नगरी निकाय चुनाव में दलबदल से तरबतर होता मध्यप्रदेश

नगरी निकाय चुनाव में दलबदल से तरबतर होता मध्यप्रदेश

भोपाल। यह महज संयोग ही है की लम्बे समय के बाद मध्यप्रदेश में बारिश और चुनाव का मौसम साथ साथ आया है । जहाँ प्रदेश के कुछ हिस्सों में मानसून ने जोरदार दस्तक दे दी है तो नगरी निकाय के चुनाव को लेकर टिकट वितरण के बाद प्रदेश में दलबदल की भी झड़ी लग गई है औसत रूप में एक नगरीय निकाय क्षेत्र से 20 लोगों के दल बदल का अनुमान लगाया जा रहा है।दरअसल, राष्ट्रीय प्रादेशिक स्तर पर होने वाला दलबदल अब स्थानीय स्तर पर भी हंगामेदार दस्तक दे रहा है। नगरीय निकाय के चुनाव में पार्षदों के टिकट में भारी पैमाने पर दलबदल की खबरें आ रही है। राजधानी भोपाल से लेकर बुंदेलखंड तक दल बदल करने में कोई पीछे नही है।

राजनीतिक दल भी संभावित दलबदल को भांप रहे थे। इसी कारण नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख के अंतिम समय तक पार्षद प्रत्याशियों की टिकट मिलने की सूचना की सूची जारी की लेकिन जैसे ही दावेदारों ने सूची में अपना नाम नहीं देखा तो आग बबूला हो गए। पहले पार्टी नेताओं को खरी खोटी सुनाएं नारेबाजी की और फिर प्रतिद्वंदी दल में संभावनाएं तलाशी। दमोह क्षेत्र में दोनों तरफ से दल बदल कर के टिकिट हासिल किए गए। यहां पर सिद्धार्थ मलैया के पार्टी छोड़ने के बाद कुछ ज्यादा ही भाजपा नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

इसी तरह सागर में लगभग 8 भाजपा के पूर्व पार्षद कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और इसमें से कुछ टिकट भी पा गए। सागर में इतवारी वार्ड भाजपा द्वारा घोषित प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह ने प्रचार प्रारंभ कर दिया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा लक्ष्मण सिंह के स्थान पर रिंकू नामदेव के टिकट की सिफारिश की है। इसके बाद सागर से लेकर भोपाल तक हलचल है। सागर के कुछ नेताओं के फोन उमा भारती रिसीव नहीं कर रही है इस कारण भी इस मामले में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है।

राजधानी भोपाल में कांग्रेस के टिकिट को लेकर बवाल मचा हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को विशेष बैठक बुलानी पड़ी लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है। बहरहाल, जिस तरह से दोनों ही प्रमुख दलों में बगावत का बिगुल बज गया है। उसके बाद एक नया अग्निपथ तैयार हो रहा है चूंकि 22 जून तक नामांकन पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख है। इस कारण स्कूटनी के पहले फाइनल मैनडेट जमा करने का समय होता है। इसी कारण घोषित प्रत्याशियों की सूची के बाद भी दावेदार बगावत कर दबाव बना रहे हैं जिससे टिकट परिवर्तन हो सके।

सत्तारूढ़ दल भाजपा में जहां स्थानीय स्तर पर सभी वरिष्ठ नेताओं को डैमेज कंट्रोल करने के लिए कहा गया है। वहीं प्रदेश स्तर पर एक अपील समिति भी बनाई गई है जो दावे आपत्तियां की सुनवाई कर रहा है। कांग्रेस में शिकायतें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ तक पहुंच गई है और उन्होंने असंतुष्ट से मुलाकात भी की है और समाधान निकालने का आश्वासन भी दिया है उन्होंने अपने बंगले पर जिला प्रभारियों और पर्यवेक्षकों की बैठक बुलाई साथ ही निर्देश दिए कि जो भी नाराज नेता है उनके घर घर जाएं और उन्हें पार्टी के पक्ष में मनाए साथ ही यह भरोसा दिलाएं कि पार्टी उन्हें भविष्य में महत्त्व भी देगी जिम्मेदारी भी देगी और यदि प्रभारियों की बात नहीं मानते हैं तो फिर विधायक और क्षेत्र के कद्दावर नेताओं से संबंध में मदद ली जाए लेकिन हर हाल में डैमेज कंट्रोल किया जाए।

उन्होंने कहा कि नगरी निकाय चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी है और हमारे लोगों की नाराजगी दूर करके हम और बेहतर स्थिति में आ सकते हैं इसलिए असंतुष्ट को संभालना जरूरी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी एक संदेश जारी कर दावेदारों से कहा है कि वे निराश ना हो मैं आपके साथ हूं। आपकी आवाज बनकर आपके लिए लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा। चुनाव में उम्मीदवार एक ही होता है लेकिन चुनाव प्रत्येक कार्यकर्ता लड़ता है। यह समय कांग्रेस को मजबूत करने का है। यह समय जनता के बीच अपनी बात रखने का है। मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चलें।

कुल मिलाकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस को पार्षद का टिकट ना मिलने के कारण जो लोग असंतुष्ट हुए हैं उनकी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। असंतुष्टों को मनाने और पार्टी के पक्ष में नामांकन पत्र वापस कराने के लिए दोनों ही दलों ने मोर्चा संभाल लिया है। असली तस्वीर तो 22 जून के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी कौन कितना अपनों को मना पाता है।

देवदत्त दुबे,  भोपाल , मध्यप्रदेश  

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