प्रदेश में घोषणाएं करने वादे करने और अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने के लिए हर कोई एक्सीलेटर दबाया जा रहा है। इस बात की चिंता नहीं है कि इस स्पीड से कहां पहुंचना है। कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए यह भी नहीं सोचा जा रहा है। बस चुनावी वर्ष और सत्ता संघर्ष हुआ तेज। कौन पहुंचेगा जनता के पास आकर्षक चेहरा लेकर और जनता किसे करेगी पसंद। पूरा वर्ष इसी उधेड़बुन में गुजरेगा क्योंकि भाजपा और कांग्रेस “तू डाल डाल में पात पात” की राजनीति में प्रतिस्पर्धी हो गए है। दरअसल प्रदेश में चुनावी वर्ष का पहला महीना भी बीता नहीं कि प्रदेश के प्रमुख प्रतिद्वंदी दल भाजपा और कांग्रेस चुनावी तैयारियों का एक्सीलेटर दवाने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं। बल्कि की होड़ में दोनों शामिल हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यदि प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं तो उनकी विशेषता यही है कि वह एंटी इनकमवेसी को पनपने नहीं देते जब जब एंटी इनकंबेंसी की बातें होती है तब तब वे लोकलुभावन घोषणाएं करके डायलूट कर देते हैं। ऐसा ही उन्होंने नर्मदा जयंती के अवसर पर होशंगाबाद में “लाडली लक्ष्मी योजना” की तर्ज पर ” लाडली बहना योजना” की घोषणा की। जिसमें गरीब महिला जो इनकम टैक्स नहीं भरती उसको प्रतिमाह 1000 रुपए सरकार देगी और इसके माध्यम से शिवराज सिंह चौहान ने आधी आबादी को साधने के लिए मास्टर स्टोक चला लेकिन 2023 को जीतने के लिए प्रतिबद्ध और डेढ़ साल में सरकार गिरने के बाद प्रतिशोध की ज्वाला में जल रही कांग्रेस ने तुरंत कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर महिलाओं को 15 सो रुपए महीने दिया जाएगा।
मतलब “तू डाल डाल में पात पात” यहीं नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के बीच एक-दूसरे के प्रति प्रश्न पूछने की प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई है। जिससे इन दोनों के बीच चुनावी मुकाबला होने का माहोल बन गया है और अपने अपने दल में दोनों ही नेता यह सिद्ध करने में जुट गए हैं कि उन्हीं के नेतृत्व में उनकी पार्टी चुनाव जीतेगी 2018 में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने एक-दूसरे पर निशाना साथ के चुनावी मुकाबला जीतने की कोशिश की थी और कुछ विधायकों के ज्यादा जीतने से कांग्रेस के कमलनाथ सरकार बनाने में सफल हुए जो डेढ़ साल में ही सरकार गिर गई और फिर से चौथी बार शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने लेकिन इस बार दोनों ही नेता 2018 से भी ज्यादा सक्रिय और आक्रामक समय से पहले हो चुके हैं। बहरहाल, प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए अब 1 वर्ष से भी कम अवधि का समय बचा है जिसमें दोनों ही दल टी-20 की तरह चुनावी तैयारियों में गए हैं। सत्तारूढ़ दल भाजपा की ओर से जहां एक के बाद एक मेगा शो किए जा रहे हैं इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश की फिजा बदलने की कोशिश की जा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर चुनावी मोड़ पर ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं जिससे कि आधी आबादी को साधा जा सके। इसी के तहत महिलाओं को 1000 रुपए महीने दिए जाने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शायद विपक्षी दल भी इस बात को समझ रहा है। इसी कारण कांग्रेसी भी सरकार बनने पर 15 सो रुपए महीने देने का वादा कर रही है। मतलब चुनाव जीतने के लिए जिसके बस में जो है वह कर रहा है सरकार घोषणा कर सकती. हे अमल कर सकती है विपक्ष वादा कर सकता है। इस सरकार के आने पर हमेशा करेंगे वही हो रहा है और इसमें दिन प्रतिदिन गति बढ़ेगी क्योंकि पूरे देश में लोकलुभावन और घोषणा की दम पर सरकार बनाने के अनेक राज्यों में उदाहरण है लेकिन जिस तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है वह चुनावी वर्ष कहा तक पहुंचेगी। कुल मिलाकर प्रदेश में अपनी छवि सुधारने और नेतृत्व के सामने चुनावी क्षमता सिद्ध करने की ऐसी होड शुरू हो गई है जिसका कोई और छोर नहीं दिखाई देता। 5 फरवरी से भाजपा की “विकास यात्रा” और कांग्रेस का “हाथ से हाथ जोड़ो” घर-घर चलने वाला अभियान इस होड़ का और भी एक्सीलेटर दबाएगा।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री देवदत्त दुबे जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश ।
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