मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां एक तरफ अनेक आदिवासी योजनाओं के माध्यम और जनजातीय सम्मेलन जैसे नवाचार कार्यक्रम को सफल बनाकर पूरे देश में मध्यप्रदेश की छाप आदिवासियों की राजनैतिक अवधारणा को बदलने में अग्रणी बनाने में लगे है वहीं दूसरी तरफ सरकार के कुछ विधायक और मंत्री लगातार अपनी उटपटांग बयानबाजी से इस हवा का रूख दूसरी तरफ मोड़ देते है ताजा मामला मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के केबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंग के बयान पर मचे बबल को लेकर है । दो दिन से मंत्री बिसाहूलाल द्वारा सवर्ण समाज की महिलाओं पर की गयी अभद्र टिप्पड़ी और प्रतिक्रिया स्वरूप गर्मायी राजनीति का पटापेक्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नसीहत और मंत्री बिसाहूलाल सिंग की सार्वजनिक माफी के बाद समाप्त होता दिख रहा है दरअसल विगत दो दिनो से सर्वण समाज के विरोध प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री द्धारा इसे आगे बढने से रोकने के लिये उन्होने मंत्री बिसाहूलाल को तलब किया था और मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेहद सख्त लहजे में भाजपा के कार्यकर्ताओं और मंत्रियो को भी चेतावनी देते हुए कहा कि चाहे कोई भी हो मध्यप्रदेश शासन में महिलाओं का अपमान सहन नहीं किया जायेगा सरकार महिलाओ के उत्थान के लिये अनेक योजनाए चला रही है महिलाएं हमारे लिये देवी समान पूज्य है हमें अपने एक एक शब्द तौल तौल कर बोलना चाहिए भावना चाहे जो हो लेकिन प्रकटीकरण का संदेश गलत नहीं जाना चाहिए भाजपा के कार्यकर्ताओं और मंत्रियो को भी मर्यादा में रहकर अपनी बात करनी चाहिए इस प्रकार की बयानबाज बर्दास्त नहीं की जायेगी।
मध्यप्रदेश की राजीनीति लगभग विगत दो माह से सिर्फ भाजपा नेताओं के बयानबाजी से ही चर्चा का विषया बनी हुई है इसके पहले भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्यविजय सिंह पर टिप्पणी की थी तो भाजपा के प्रदेश मंत्री मुरलीधर राव ने एक सवाल के जबाब में ब्रांहण और बनिया को अपनी जेब में होने की बात की थी जिस पर भी संगठनो ने नाराजगी व्यक्त की थी अन्य प्रकरणो में मुख्यमंत्री ने इस तरह खुलकर कोई बयान नहीं दिया था लेकिन इस बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सख्त चेतावनी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की माफीनामे के बाद भाजपा बयानबीरों पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है यह भविष्य मे देखने वाली बात होगी।
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