राजनीतिक नौटंकी के शीर्ष शिखर पर आम आदमी पार्टी

राजनीतिक नौटंकी के शीर्ष शिखर पर आम आदमी पार्टी

बीते दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की दिन भर की प्रतिक्रियाएं हैरान करने वाली और शायद भारत की राजनैतिक घटानाक्रम में अनोखी थी । दरअसल राजधानी दिल्ली में आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने के कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पेशी के लिए सीबीआई के दफ्तर पहुंचे। जहां उनसे करीब नौ घंटे तक पूछताछ हुई। बस यहीं से आम आदमी पार्टी की सियासी नौटंकी की शुरूवात हुई जहां मुख्यमंत्री केजरीवाल दिन भर मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने की अफवाह सोशल मीडिया पर उड़ाते रहे और सिसोदिया की तुलना महान क्रांतिकारी भगत सिंह से कर दी

तो खुद सिसोदिया मीडिया समेत पूरे तामझाम के साथ अपने घर से तिलक लगवाकर सीबीआई आफिस जाने से पहले राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि को प्रणाम किया हालाकि महात्मा गांधी अपने सारे जीवन भर नशा और शराब के प्रखर विरोधी रहे है लेकिन आबकारी नीति में फसे सिसोदिया ने अपनी इस राजनीति के लिये भी बापू के नाम का सहारा लिया। आप के कई कार्यकर्ताओं द्धारा इस घटनाक्रम को गुजरात चुनाव से जोड़कर इस प्रकार दिखाया गया जैसे आम आदमी पार्टी गुजरात चुनाव जीतने ही वाली हो जबकि वहां भाजपा की सियासी जमावट का अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता और कांग्रेस ने भी अपने पत्ते नहीं खोले है। लेकिन आप उसी प्रकार अतिआत्मविश्वास में दिखाई दे रही है जैसे उत्तराखंड, गोवा और उत्तरप्रदेश और लोकसभा चुनावों में थी ।
खैर यह बात निःसंदेह सच है कि भारत के राजनैतिक इतिहास में यदि किसी राजनैतिक मूवमेंट ने सिर्फ एक दशक में ही इतनी तरक्की की हो कि देश के दो प्रमुख राज्यों में उसकी सरकार हो और पूरे देश में उसे एक राजनैतिक विकल्प के रूप में देखा जाने लगा है तो वह आम आदमी पार्टी ही है । हालाकि यह भी सत्य है कि आप का जनाधार उसके कार्यो और सिद्धांतो से प्रभावित कम और कांग्रेस भाजपा से नाराज लोगो का अधिक है। और आम आदमी पार्टी की बुनियाद के कई नीव के पत्थर बिखर चुके हैं जिन्होंने पहली ही बार में राजनैतिक सफलता को अपने कठिन परिश्रम से संभव बनाया था .

लेकिन वर्तमान में भी किसी राजनैतिक दल के आला से लेकर आखिर तक सभी जब एक ही भाषा और परिपाटी पर चलने लगें तो इससे राजनैतिक गंभीरता समाप्त होती है । कल के ही प्रकरंण में सिसोदिया के सीबीआई कार्यालय पहुंचने  से पहले ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि आठ दिसंबर को गुजरात के नतीजे आयेंगे। ये लोग तब तक मनीष को जेल में रखेंगे। ताकि मनीष गुजरात चुनाव में प्रचार के लिए ना जा पायें। तो बाकी की पार्टी भी सिर्फ एक ही रट लगाये रखी किसी भी प्रवक्ता ने यह नहीं कहा कि मनीष सिसोदिया निर्दाष है और यह जांच के बाद सिद्ध हो जायेगा सारे आम और खास देश की सबसे बड़ी जांच ऐंजेसी को सत्ता का गुलाम बताते रहे। केंद्रीय एजेंसी पर सत्ता का प्रभाव होता है और उसका उपयोग भी किया जाता है देश के दूसरे दाल भी इसकी शिकायत करते हैं और इन एजेंसियों पर पक्षपात कर दुरूपयोग के आरोप भी लगते हैं लेकिन खुलकर इस तरह जा तमाशा शायद ही किसी ने किया हो  ।

इससे भी अजीब और राजनैतिक नादानी की बात मनीष सिसोदिया ने सीबीआई आफिस से निकलने के बाद की “उन्होंने कहा कि 9 घंटे वहां रहने में पता चल गया कि यह दिल्ली में ऑप्रेशन लोटस को कामयाब करने के लिए है। सिसोदिया ने आरोप लगाए कि मुझसे कहा गया कि आप पार्टी छोड़ दो साइड में कहा गया कि सत्येंद्र जैन पर कौन से सच्चे केस हैं। आपको ये लोग सीएम भी बनायेंगे। मैंने कहा कि ऐसे दबाव में नहीं आने वाला। कोई घोटाला नहीं हुआ यह केस फर्जी है।”

अब सोचिये किसी राज्य का उपमुख्यमंत्री और राजनैतिक दल का नंबर दो का नेता इस तरह के आरोप लगाये तो क्या इसे राजनैतिक परिपक्वता कहा जा सकता है ।आम आदमी पार्टी शुरूवात से ही अपने अर्नगल आरोपो को लेकर चर्चाओं में आई केजरीवाल ने देश के कई बड़े राजनेताओं और ओद्धोगिक घरानो पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सुर्खिया बटोरी और बाद में माफी भी मांगी । लेकिन आज जब आम आदमी पार्टी को लोग गंभीरता से लेने लगे है तब पार्टी के नेताओं को इस प्रकार के ओछी राजनीति आम आदमी पार्टी के प्रति जनभावनाओं को कमजोर तो करती ही है बल्कि पार्टी की लम्बी राजनैतिक यात्रा पूरा करने पर भी सवाल खड़ा करती है ।

अभिषेक तिवारी 

 

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