चुनाव आते ही राजनीतिक दल अपनी सक्रियता बढ़ा देते हैं। एक तरफ जहां बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करते हैं। बेहतर प्रत्याशियों की तलाश करते हैं मुद्दों को के सहारे भी सियासत की नाव सत्ता तक पहुंचाने की कोशिशे तेज हो गई है। धार देते हैं। वहीं 2023 के दरअसल, धर्म प्रधान देश में हमेशा से सता की शरण में जाने में भी अब किसी को कोई शास्त्री से कथा सुनने पहुंचे थे जिस तरह धीरेंद्र थे लेकिन अब जिस तरह से कथा के साथ-साथ हिचक नहीं है बल्कि सन्त के दरबार में जाकर संत समर्थकों का जुड़ाव अपनी ओर करना बताते हैं। उससे उनके कथा स्थल पर लाखों की भीड़ बढ़ रही है वरन वह राजनीतिज्ञों के लिए भी जरूरी समझा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के लिए संतो राजनीतिक व्यक्ति धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेता रहा है या अपनी भाव भंगिमा समय-समय पर धार्मिक होने की कोशिश करता रहा कोई त्रिपुंड लगाता है। कोई रुद्राक्ष की माला पहनता है कोई भगवा वस्त्र पहनता है। कोई भगवान के दरबार में साष्टांग प्रणाम होता है। कुछ ना कुछ ऐसा करते हो है जिससे छवि धार्मिकता को बने लेकिन जब से संतो के नए नए रूप सामने आए हैं तब से बहरहाल, प्रदेश की सियासत संतों के इर्द गिर्द घूमने लगी है यदि ऐसा भी कहे कोई में लोग आते हैं। अतिशयोक्ति रही होगी।
इस समय सबसे ज्यादा चर्चा युवा संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम की हो रही है जिनको दरबार में सोमवार को कमलनाथ ने भी पहुंचकर आशीर्वाद दिया। इसके पहले तमाम भाजपा नेता ना केवल बागेश्वर धाम जाकर आशीर्वाद ले चुके हैं। वरन अपने-अपने क्षेत्रों में बागेश्वर धाम की कथा भी करा रहे हैं। पिछले दिनों नागपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कृष्ण शास्त्री की कथा सुनने पहुंचे थे । शास्त्री लोगों को पर्ची के माध्यम से उपचार बताते हैं जिससे भीड़ दरबार में लगती है। प्रदेश ही नहीं पूरे देश से और विदेशों से भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरवार इसी तरह सीहोर के प्रदीप मिश्रा की कथा में भी लाखों लोग आते हैं जब से उनके रुद्राक्ष महोत्सव में लंबा जाम लगा था तब से उनकी उनकी चर्चा पुरे देश में होने लगी सके। अभी फिर से रुद्राक्ष महोत्सव होने जा रहा है। जिसके कारण सीहोर भोपाल और आसपास के सभी होटल लॉज बुक होने जा रहे हैं। इसी तरह पंडोखर सरकार भी राजधानी भोपाल पहुंच गए हैं और कलियासोत डेम के किनारे उनका दरबार लग रहा है। पंडोखर सरकार भी वागेश्वर धाम की तरह लोगों को उनकी परेशानी बताने से पहले लिखकर बता देते हैं और उसके उपाय भी बताते हैं इस कारण पीड़ित पंडोखर सरकार के दरबार में भी जाते हैं। कुल मिलाकर पहले कथावाचक सीधी कथा कहते थे इसलिए कथा में रुचि लेने वाले हो जाते थे अब चमत्कार होने लगे हैं। उसके कारण ना केवल जनता बल्कि राजनेताओं को भी आकर्षित कर रही है क्योंकि इसी भीड़ में तो वह मतदाता है जिसके समर्थन से सरकार बनती है और एक साधे सब सधे की तर्ज पर राजनीतिज्ञ संत को साथ कर उनके समर्थकों को साधने की कोशिश कर रहे हैं जिससे सत्ता की सीढ़ी चढ़ी जा सके।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री देवदत्त दुबे जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश ।
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