निकाय चुनावों के परिणाम तैयार करेेंगे विधानसभा चुनाव की जमीन

निकाय चुनावों के परिणाम तैयार करेेंगे विधानसभा चुनाव की जमीन

सम्पादकीय

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले होने वाले अहम नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस और भाजपा जिस प्रकार से राजनैतिक गंभीरता लिये हुए है उससे इन चुनावों के असर का अंदाजा लगाया जा सकता है कांग्रेस प्रदेशअध्यक्ष कमलनाथ जहां पूरे मध्यप्रदेष में पार्षद स्तर पर भी अपनी सर्वे रिर्पोट और गाईडलाइन के अनुसार प्रत्याशियों का चयन कर रहें है तो भाजपा में निकाय चुनावों की गूंज दिल्ली के केंद्रीय नेतृत्व तक है। प्रत्याषी चयन में कांग्रेस से पिछड़ने के बाद भारी जददोजहद के बाद कल भाजपा ने 13 नगरीय निगम में अपने महापौर पद की घोषणा कर दी ।
सागर नगर निगम में कांग्रेस के प्रत्याशी की घोषणा के लगभग 15 दिनों बाद भाजपा ने तमाम अटकलों को विराम देते हुए भाजपा से संगीता तिवारी के नाम को महापौर प्रत्याशी के लिये चुना है । दोनो प्रमुख दलों के महापौर प्रत्याशी की घोषणा हो जाने के बाद यह राजनैतिक मुकाबला दिलचस्प हो गया है और महापौर पद के लिये जिस प्रकार की चर्चाए शहर में चल रहीं थी उन सभी पर विराम लग गया है । सुशील तिवारी और सुनील जैन दोनो ही राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है और दोनो ही इस अवसर को अपने हांथ से नहीं जाना देना चाहेंगे । निगम चुनावों में दोनो ही प्रत्याशियों के अपने अपने सकारात्मक और नकारात्मक पहलूं है ।
जहां सुशील तिवारी की ताकत भाजपा का मजबूत संगठन और कार्यकर्ताओं की जमीनी मेहनत है तो सुनील जैन को संगठन से ज्यादा अपने अंदरूनी मेनेजमेंट पर भरोसा है हालाकि मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों पर सीधा असर डालने वाले इन निकाय चुनावों में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ की गंभीरता और सीधे हस्तक्षेप ने बहुत हद तक कांग्रेस को मैदानी मुकाबले के लिये तैयार किया है लेकिन वह अब तक तो भाजपा के मुकाबले नाकाफी है ।

  • जमीनी और अंदरूनी अनुभव का महामुकाबला

कांग्रेस की ओर से लगभग 15 दिन पहले कांग्रेस नेता सुनील जैन की धर्मपत्निी निधी जैन को महापौर पद का प्रत्याशी बनाने के बाद इसे कमलनाथ के मास्टर स्टोक के रूप में देखा जा रहा था कारंण सागर की राजनीति में सुनील जैन के असर से ज्यादा उनके बड़े भाई सागर विधायक शैलेन्द्र जैन के परिवार से कांग्रेस प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर था खुद विधायक जैन ने भी इस मसले पर कमलनाथ पर षडयंत्र करने का आरोप लगाते हुए भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाकर मुंहतोड़ जबाब देने की बात कही है। जहां तक सागर नगर की राजनीति में प्रभाव की बात है तो सुशील तिवारी संगठन और जमीनी स्तर पर हमेशा सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाये हुए है। कांग्रेस में होते हुए भी उन्होने जनता के साथ कुछ बड़े आंदोलन कर जनभावनाओं को अपने पक्ष में किया था तो भाजपा में आने के बाद भी लगातार पार्टी गतिविधियों में उनकी जबाबदेही और सहभागिता रही है जबकि देवरी विधानसभा से पूर्व विधायक रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जैन की छवि सागर शहर मे तो मेनेजमेंट गुरू के रूप में मानी गयी है और जमीनी आंदोलन मेें उनकी सहभागिता भी लगभग शून्य रही है इसलिये यह चुनाव बहुत हद तक जमीनी और मेनेजमेंट के अनुभव का भी माना जा रहा है।

  • विधायक शेलेन्द्र जैन का राजनैतिक भविष्य दाव पर

महापौर चुनावों मे भाजपा की जीत और हार का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष यदि सबसे अधिक प्रभाव किसी के राजनैतिक भविष्य पर होने वाला है तो वे नगर विधायक शैलेन्द्र जैन है दरअसल अब तक सागर में जैन समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में निर्विवाद रूप से अपनी छवि बना चुके विधायक इसी बड़े और प्रभावशाली वोटबैंक के भरोसे अपनी राजनैतिक ताकत मानते है लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निधि सुनील जैन को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद जहां सागर में चर्चाओं का बाजार गर्म है तो खुद विधायक भी धर्मसंकट में है भाजपा में रहते हुए अपने वोटबैक को बचाये रखने की चुनौती उनके सामने है ।
देश में राजनैतिक वर्चस्व स्थापित कर चुकी भाजपा जहां अब राजनैतिक परिर्वतन काल के दौर से गुजर रही है तो परिवारवाद वंशवाद और नये कार्यकर्ताओं को अवसर जैसे नारों के बीच अच्छे अच्छे नेताओं को अपने राजनैतिक कैरियर पर पूर्णविराम लगता दिखाई देने लगा है एंसी परिस्थितियों में यदि सागर नगर निगम चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में आते है तो निश्चित ही यह वर्तमान विधायक शैलेन्द्र जैन के कद को बढायेंगे और यदि यह कांग्रेस के पक्ष में आयेंगे तो उन पर जबाबदेही होना भी तय है जो उनके राजनैतिक भविष्य में बाधक भी हो सकते है।

  • भाजपा की नई गाईडलाईन की परीक्षंण की घड़ी

मध्यप्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव भाजपा के लिये उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों से श्ुारू किये गये परिवारवाद वंशवाद जैसी नीति और नीयत के मैदानी परीक्षण को जांचने का भी एक मौका है यही कारंण है कि 16 निगम मंडलों में महापौर पद के प्रत्याशी के लिये चयन प्रक्रिया में सीधे दिल्ली का हस्तक्षेप रहा है और बहुत हद तक पार्टी द्धारा निर्धारित गाईडलाईन का पालन भी किया गया है । इन चुनावो के परिणाम ही यह तय करेंगे की भाजपा में संगठन की बुनियाद कार्यकर्ताओं के निजी स्वार्थ पर कितनी टिकी हुई है और इन परिणामों के आधार पर ही आने वाले विघानसभा चुनावों में रणनीति तैयार की जायेगी ।

अभिषेक तिवारी 

Share this...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *