रस्म अदायगी बन गया मंत्रियों को चमकाना
जैसा हमेशा होता है, वही भाजपा के प्रभारियों द्वारा पिछले दिनों ली गई मंत्रियों की बैठक में फिर हुआ। बैठक में भाजपा के तीन शीर्ष प्रभारी अजय जामवाल, शिवप्रकाश और मुरलीधर मौजूद थे। इस बार भी मंत्रियों से रटी-रटाई बात कही गई। मैदानी रिपोर्ट ठीक नहीं है। क्षेत्र का ज्यादा से ज्यादा दौरा करें। गांवों में रुकें, प्रवास करें और चौपाल लगाएं। भाजपा कार्यालय में जाकर कार्यकर्ताओं से मिलें। खबरों में रहने वाला और राजनीति से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि भाजपा की बैठक में इस तरह मंत्रियों को पहली बार नहीं चमकाया गया। बैठक से बाहर निकलते हुए एक मंत्री से जब पूछा गया कि अंदर क्या हुआ, जवाब था- कुछ नहीं रुटीन बैठक थी, जो हर बार होता है, वही इस बार हुआ। अर्थात भाजपा के प्रभारियों के निर्देशों का उनकी सेहत पर काई असर नहीं था। साफ है कि मंत्री भी ऐसी बैठकों को रस्म अदायगी मान रहे हैं। भाजपा के प्रभारियों की फटकार का उन पर कोई असर नहीं हो रहा। दूसरी तरफ भाजपा चिंतित है। पार्टी और संघ की रिपोर्ट में भाजपा की स्थिति 230 में से 100 सीटों में भी अच्छी नहीं बताई जा रही है। इससे उबरने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। लेकिन सरकार के मंत्री और विधायक सुधरने तयार नहीं है। यही पार्टी के लिए चिंता का कारण है।
मप्र की इज्जत मिट्टी में मिला आए एक पूर्व मंत्री
– इसे कहते हैं ‘इज्जत की मिट्टी पलीद करना’। यह उल्लेखनीय काम किया है प्रदेश की भाजपा सरकार के एक पूर्व मंत्री ने। लोग चटखारे लेकर यह चर्चा कर रहे हैं कि किस तरह ये माननीय गोवा घूमने गए और ऐशोआराम के लिए एक दलाल के जरिए कार्लगर्ल की व्यवस्था की। पूर्व मंत्री के पास धन-संपदा की कोई कमी नहीं है फिर भी कार्लगर्ल से पैसे को लेकर बात बिगड़ गई। नौबत मारपीट तक आ गई। कार्लगर्ल ने सैंडल तक से पूर्व मंत्री एवं उनके साथ गए दो समर्थकों की धुनाई कर दी। मामला होटल प्रबंधन के पास पहुंचा, इज्जत की खातिर पुलिस में रिपोर्ट नहीं हुई। ले देकर मामला रफा-दफा किया गया। पूर्व मंत्री वापस लौट आए हैं और घायल हैं। बताया जा रहा है कि वे बाथरूम में गिर गए थे। उनकी यह खबर पणजी तक के अखबारों में छपी है। इसकी कटिंग देखने को मिली है। मप्र के अखबारों, वेबसाइट्स की सुखिर्यों में भी यह खबर है। ठीक है पूर्व मंत्री अभी जवान है लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे सार्वजनिक जीवन में हैं। उनके साथ उनके राजनीतिक दल और मप्र की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। पूर्व मंत्री जी का नाम हर जुबान पर है। उनके दल ने कोई कार्यवाई तो नहीं की अलबत्ता क्राइम ब्रांच में प्रकरण दर्ज करा कर मामले को नया मोड़ देने की कोशिश जरूर हुई है।
क्या शिवपुरी-गुना से चुनाव लड़ेंगे ज्योतिरादित्य
– केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता कैलाशवासी माधवराव सिंधिया के जन्म दिन पर शुक्रवार को शिवपुरी में शक्ति प्रदर्शन किया। सवाल पैदा होने लगा कि क्या वे अगला चुनाव फिर शिवपुरी-गुना लोकसभा क्षेत्र से लड़ेंगे? पिछली बार कांग्रेस से चुनाव लड़े सिंधिया को उनके ही निज सचिव केपी यादव ने भाजपा के टिकट पर शिकस्त दे दी थी। अब सिंधिया भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं। सिंधिया और केपी यादव के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। दोनों के समर्थक आमने-सामने रहते हैं। भाजपा सिंधिया और केपी यादव में से किसे चुनती है, यह बड़ा सवाल है। हालांकि टकराव की यह स्थिति पूरे चंबल-ग्वालियर अंचल में है। सिंधिया को ग्वालियर से चुनाव लड़ाने की योजना भी है, लेकिन ग्वालियर में जिस तरह कांग्रेस महापौर का चुनाव जीती, इससे सिंधया सशंकित हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने का कोई फर्क नहीं पड़ा। भाजपा का एक वर्ग भी सिंधिया को पसंद नहीं करता, क्योंकि अंचल की अधिकांश सीटों पर उनके समर्थक दावेदार हैें। पुराने भाइपाईयों को अपने टिकट कटने का खतरा है। सिंधिया भाजपा पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं। वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जय विलास पैलेस भोजन करने और ठहराने ले जा चुके हैं। फिलहाल, इस अंचल की राजनीति रोचक मोड़ पर है।
भाजपा के निशाने पर कमलनाथ का छिंदवाड़ा
– भाजपा के निशाने पर इस बार कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा है। यह ही ऐसा गढ़ था, जिसे भाजपा पिछले चुनाव में नहीं भेद पाई थी। दिग्विजय सिंह भोपाल में हारे थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट नहीं बचा पाए थे। ऐसी मोदी लहर के बीच कमलनाथ का छिंदवाड़ा अभेद्य बना रहा। इस लोकसभा के तहत आने वाली लगभग सभी विधानसभा सीटें भी कांग्रेस ने ही जीती थीं। भाजपा नेतृत्व इस बार इसे ध्वस्त करने की तैयारी में है। इस सीट की जवाबदारी सरकार के कट्टर हिंदू चेहरे केंद्रीय मंत्री गिरिराज किशोर के कंधों पर है। वे छिंदवाड़ा का दौरा करते रहते हैं। प्रदेश सरकार ने अपने कृषि मंत्री कमल पटेल को यहां का प्रभार दे रखा है। अब भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा आ रहे हैं। वे यहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे और पार्टी की बैठक भी लेंगे। साफ है शाह का दौरा इस साल प्रस्तावित विधानसभा एवं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही हो रहा है। शाह के दौरे की तैयारी को लेकर छिंदवाड़ा क्षेत्र के कार्यकतार्ओं और जनप्रतिनिधियों की बैठक मुख्यमंत्री निवास में हो चुकी है। शाह का यह छिंदवाड़ा दौरा कितना कारगर होता है वक्त बताएगा। इस दौरान वे संभावित प्रत्याशियों की टोट भी ले सकते हैं।
वीडी के घर डैमेज कंट्रोल करने पहुंचे शिवराज.
– होली का सूत्र वाक्य है ‘बुरा न मानो होली है’। फिर भी बुरा लगने वाले कई घटनाक्रम हो जाते हैं। भोपाल में होली के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस में होली मिलन कार्यक्रम रखा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपने बंगले में। चौहान सरकार के मुखिया हैं और वीडी संगठन के। दोनों स्थानों पर होली मिलन की व्यापक तैयारी की गई थी। भाजपा के तमाम नेता और मंत्री मुख्यमंत्री निवास पहुंचे, लेकिन वीडी शर्मा के कार्यक्रम में नहीं। कम से कम संगठन के लोगों को तो शर्मा के कार्यक्रम में पहुंचना चाहिए था। कुछ कहें भले न लेकिन यह शर्मा और उनके समर्थकों के लिए बुरा लगने वाली बात थी। मुख्यमंत्री चौहान हालात भापने में माहिर हैं। वे मसले की नजाकत को समझ गए और अगले ही दिन वीडी शर्मा के घर होली मिलने पहुंच गए। मुख्यमंत्री चौहान का वीडी के घर आत्मीय स्वागत हुआ। होली मिलन कार्यक्रम के तहत तिलक लगा, गुजिया और अन्य पकवान का लुत्फ उठाया गया। वीडी शर्मा ने मुख्यमंत्री के पहुंचने पर खुशी जाहिर की। हालांकि होली जैसे पर्व पर ऐसी बातों का बुरा नहीं मानना चाहिए। मुख्यमंत्री प्रदेश के मुखिया हैं। स्वाभाविक तौर पर वहां जाने वालों की तादाद ज्यादा होगी। मुख्यमंत्री ने वीडी के घर जाकर यह कमी पूरी कर दी। इससे अच्छा डैमेज कंट्रोल और क्या हो सकता है।
भार्गव ने पूरा किया असंभव दिखने वाला संकल्प
– भाजपा के कद्दावर नेता एवं प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव क्षेत्र में अजेय रहने के साथ सामाजिक क्षेत्र में भी ‘दाद’ देने लायक काम कर रहे हैं। वे संभवत: देश के पहले ऐसे नेता हैं जो एक ही विधानसभा क्षेत्र से 18 हजार से अधिक कन्याओं की शादियां कराने का रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्ड बुक में पिछले साल ही दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने संकल्प ले लिया था कि अब वे 21 हजार कन्याओं का विवाह कराएंगे। एक ही विधानसभा क्षेत्र से इतनी गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह, वह भी एक नेता के प्रयास से, है न असंभव। लेकिन 11 मार्च को भार्गव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में यह संकल्प भी पूरा कर दिखाया। यह करिश्मा भार्गव के गृह नगर गढ़ाकोटा में हुआ, जहां एक मंडप के नीचे सभी जातियों की 2100 बच्चियों के विवाह हुए। इसके साथ अब तक हुई शादियों का आंकड़ा 21 हजार तक जा पहुंचा। इस मसले पर गोपाल भार्गव का कहना था कि उन्हें रिकार्ड से ज्यादा संकल्प के पूरा होने की खुशी है। इतनी कन्याओं के विवाह के लिए भार्गव के समर्पण और संघर्ष को वही समझ सकता है, जिसने कभी एक कन्या का विवाह किया है। भार्गव का यह संकल्प आरएसएस की भावना को भी प्रितबिंबित करता है, जिसमें एक पाठशाला, एक कुआं और एक मंडप की बात की जाती है।
व्यक्तिगत विचार आलेख
श्री दिनेश निगम त्यागी जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश ।
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