भोपाल। मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस जिस तरह से एक साल पहले ही अपनी कूटनैतिक विसात बिछा रहे हैं वह अभूतपूर्व है । कांग्रेस और कमलनाथ जहाँ बारीकी से सर्वे कराकर भजपा की काट निकालने में लगी है चाहे वह सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिये हो या राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा को भव्यता देकर चुनावी शंखनाद करने का सन्देश देने की जोरो पर चल रही तैयारियों के जरिये । तो सत्ताधारी भाजपा हिन्दुत्व एवं धार्मिक स्थलों के पुनरुत्थान के जरिये अपने मूल वोट बैंक को साधने के साथ साथ भाजपा पूरे देश में लाभार्थियों को लामबंद कर रही है जो कि भाजपा की बड़ी ताकत के रूप में सामने आ सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर गरीबों के कल्याण के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के साथ-साथ भाजपा शासित राज्य अपने राज्य की ऐसी ही योजनाओं से लाभ लेने वाले लोगों की सूची तैयार कर रहे हैं और जिन योजनाओं से पार्टी को लाभ हो रहा है उन योजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है।
दरअसल, प्रत्येक चुनाव का अलग माहौल होता है और मतदाताओं की मन में यह बात पैदा करनी होती है कि भी आखिर वोट क्यों दें पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक पहुंची भाजपा हर चुनाव में हिंदुत्व के साथ-साथ कुछ ऐसे प्रयोग करती है जो अतिरिक्त वोटो का इंतजाम कर जाते हैं। पिछले कुछ छोटे और स्थानीय चुनाव में पार्टी यह प्रयोग आजमा चुकी है। जिसमें भाजपा शासित सरकारों के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हुए लोगों को यदि सम्मेलन के माध्यम से बुलाकर समझाया जाए तो फिर वह वोट में ही नहीं कार्यकर्ता के रूप में भी काम करने तैयार हो जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में यह प्रयोग सफल होने के बाद अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में और भी व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है। जिसमें केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ राज्य की योजनाओं से लाभान्वित हुए लोगों की सूचियां बनाई गई है और उन्हें सम्मेलन के माध्यम से बुलाकर इस बात का एहसास दिलाया जाएगा कि भाजपा शासित सरकारों ने आपके हित में इतने काम किए हैं।
बहरहाल, प्रदेश में भी चुनावी तैयारियां शुरू हो चुकी है और उन योजनाओं को नए सिरे से मेकअप करके सामने लाया जा रहा है जिनके कारण पार्टी को चुनावी लाभ हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को लाडली लक्ष्मी 2.0 जिस अंदाज में लांच की उससे साफतौर समझा जा सकता है। इस योजना से 2008 से लेकर अब तक पार्टी प्रत्येक चुनाव में फायदा लेती रही है। इसी कारण 2023 के चुनाव के पहले इस योजनाओं को नए सिरे से आगे बढ़ाया जा रहा है। जिसमें मुख्यमंत्री ने घोषणा भी की है कि अब हर जिले में बेटियों के नाम पर एक रोड और एक बार जरूर होगा। अब तक स्कूली छात्राओं को लाडली लक्ष्मी का लाभ मिलता आया है लेकिन पहली बार कॉलेज जा रही 1477 छात्राओं के खाते में एक करोड़ 85 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए जिसमें हर छात्रा को साडे ₹12.5 हजार दिए गए हैं और इतनी ही राशि डिग्री पूरे होने के बाद दी जाएगी।
कुल मिलाकर भाजपा लाभार्थियों का नया वोट बैंक तैयार कर रही है जो भाजपा की चुनाव के समय बड़ी ताकत के रूप में सामने आएगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में इस प्रयोग को व्यवस्थित ढंग से लागू किया जा रहा है और उसमें जो कमी रह जाएगी उसको पूरा करते हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में भी यह प्रयोग चुनावी अस्त्र के रूप में उपयोग किया जाएगा। हाल ही में संपन्न नगरी निकाय के चुनाव में कुछ इलाकों में पार्टी इसको आजमा कर भी देख चुकी है। चुनावी वर्ष में लाडली लक्ष्मी की तरह तीर्थ दर्शन मुख्यमंत्री कन्यादान जैसी योजनाओं को भी परिष्कृत रूप से सामने लाया जा सकता है जिससे कि लाभार्थियों का एक बड़ा बोरिंग तैयार किया जा सके।
देवदत्त दुबे ,
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक ।
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