मध्यप्रदेष सरकार ने अपने चुनावी साल में शराब नीति में अभूतपूर्व परिर्वतन किये है वैसे तो ये परिर्वतन कई सालो पहले हो जाते तो प्रदेष में अब तक सैकड़ो नवयुवकों और दुर्घटनाओं में मारे गये लोगो की जान बच जाती जिसके पीछे का सबसे बड़ा कारण अवैध शराब की सुगम सहज उपलब्धता रही है लेकिन फिर भी देर आये दुरूस्त आये की तर्ज पर सरकार ने वित्तीय नुकसान उठाते हुए नई शराब नीति को हरी झंडी दे दी जिसमें सबसे अहम है कि प्रदेष भर में अब शराब के अहाते नहीं होंगे शराब सिर्फ विक्रय का उत्पाद रहेगा साथ में बैठकर पीने की उत्तम व्यवस्था नदारद रहेगी। धार्मिक संस्थान छात्रावास और शैक्षणिक संस्थानों से शराब दुकानो का दायरा 100 मीटर की दूरी पर होगा और शराब पीकर वाहन चलाने वालों के डाइविंग लायसेंस निरस्त होंगे और सजा भी बढाई जायेगी।
भाजपा की जश्न मनाने की परंपरा कायम
बीते सालों में भाजपा की संस्कृति में आये अनेक परिर्वतनों में से एक और महत्वपूर्ण परिर्वतन है कि भाजपा संगठन अपने प्रत्येक निर्णय और हार जीत का जश्न बाकायदा न सिर्फ मनाते है वरन प्रचारित भी करते है यही शराब की नई नीति को लेकर हुआ पिछले दशकों से भाजपा सरकार द्धारा ही लागू शराब नीति को बदलकर अब भाजपा नई नीति को शराब को हतोत्साहित करने वाला बता रही है तो क्या इतने सालों से प्रदेष में शराब को प्रोत्साहित किया जाता रहा है और बात अहाते बंद कराने की है तो आज भी वैध से अधिक अवैध अहाते प्रदेष में संचालित हो रहे है और किसके द्धारा किये जा रहे है यह भी किसी से छुपा नहीं है लेकिन भाजपा इस नीति में हुएं आंषिक नुकसान को दरकिनार कर इसका भरपूर लाभ चुनावों में लेना चाहती है।
उमा का सम्माना और चुनाव का भान
मध्यप्रदेष में पिछले लगभग दो सालों से मुख्यमंत्री केे चैथे कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्धारा जिस तरह से लगातार शराब बंदी को लेकर आंदोलन शुरू करने और शराब पर हंगामा करने के प्रयास किये जा रहे थे उससे सरकार लगातार परेषान थी उमा ने खुलकर मध्यप्रदेष में चल रहे अवैध श्राब के कारोबार पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था और मुख्यमंत्री और प्रदेष उपाध्यक्ष से अपनी नाराजगी जाहिर की थी उमा भारती के इस अभियान का प्रदेष में कई जगह खासतौर पर महिलाओं का सर्मथन भी मिलता हुआ था । नई शराब नीति लागू करने से पहले उमा भारती ने सरकार को स्पस्ट चेतावनी देते हुए सख्त संदेष दिया था और शराब नीति की आड़ में वे स्पष्ट तौर पर सरकार और भाजपा संगठन को निशाने पर ले रही थी और प्रमुख विपक्षी दल खुलकर उमाभारती का सर्मथन में था जिसके चलते आने वाले कांटे के चुनाव में सामाजिक समीकरण बिगड़ने का अंदेशा था इसलिये चुनावी साल में एक तीर से दो निशाने लगाते हुए जहां जनता के बीच एक शराब के प्रति सरकार का स्पष्ट संदेष पहुंचाया गया है तो उमा भारती को भी लाईम लाईट से दूर किया गया है।
नीति लागू लेकिन नीयत पर सवाल
नई शराब नीति में अवैध शराब को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिये संदेष तो स्पस्ट है लेकिन सवाल है क्या शासन और प्रसाषन इसे पूरी तरह से लागू करा पायेंगे या ये सिर्फ कागजी और चुनावी जुमला बनकर रह जायेगा दरअसल अवैध शराब का सिस्टम बिना नेताओं की शह के संचालित हो ही नहीं सकता और बिना सत्ता के कोई नेता शह नहीं दे सकता इसलिये सत्ताधीशों को अपने सिपाहियों को अवैध शराब को लेकर स्पष्ट संदेष देने की आवष्यकता है तभी सरकार द्धारा नई शराब नीति पर जो उत्सव मनाया जा रहा है वह सार्थक होगा।
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