मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने तेरह मामलों में संज्ञान लिया है। आयोग के माननीय सदस्य श्री मनोहर ममतानी ने संज्ञान लेकर संबंधित विभागाधिकारियों से समय-सीमा में जवाब मांगा है।
दमोह जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, तेंदूखेड़ा में बीते शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की लाचार व्यवस्थाओं की दर्दनाक तस्वीरें सामने आई हैं। जिसमें पहले एक जरूरतमंद को अस्पताल तक पति के लिए लाने वाहन नहीं मिलता है, तो वह हाथठेले पर अपने पीड़ित पति को लेटाकर अस्पताल लेकर आ जाती है। हद तो तब हो जाती है, जब अस्पताल में स्टैªचर तक की व्यवस्था नहीं हो पाती है। ऐसे में मजबूर परिजन हाथठेले को ही अस्पताल के अंदर ले जाने मजबूर हो जाते हैं। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, दमोह से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने सीएमएचओ से यह भी पूछा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तेंदूखेड़ा में कुल कितने वाॅर्ड ब्बाय पदस्थ हैं? कुल कितने स्ट्रªेचर मरीजों को अस्पताल के अंदर ले जाने के लिये उपलब्ध हैं? इस मामले में मरीज को हाथठेले में ही अस्पताल के अंदर ले जाने की ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई? दोषियों पर क्या कार्यवाही की गई? यह सभी जानकारियां भी प्रतिवेदन में दी जायें।
आयोग ने दमोह जिले के बटियागढ़ थानांतर्गत बरकाईन गांव में खेत में बनी एक झोपड़ी में आज अचानक आग लगने से उसमें सो रही ढाई वर्षीय एक मासूम बालिका की घटना स्थल पर ही मौत हो जाने के मामले में भी संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार बटियागढ़ थाना के अंतगर्त बरकाईन गांव में हल्ले भाई लोधी झोपड़ी बनाकर रहता था। अचानक उसकी झोपड़ी में आग लग गई। जिससे झोपड़ी में रखी खाद्य सामग्री, उसकी बाईक और उसमें सो रही ढाई साल की बच्ची प्रियांशी लोधी की मौत हो गई। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, दमोह से एक माह में जवाब मांगा है।
छतरपुर जिले की खजुराहो नगर परिषद के अंतर्गत ग्राम खर्रोही में विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते हाईटेंषन लाईन का तार टूटने से एक महिला सहित पांच दो लोगों के घायल हो जाने की घटना पर भी आयोग ने संज्ञान लिया है। इसमें एक की हालत गंभीर होने से उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया है। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी), मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि क्या पीड़ितों को मुआवजा राशि देने की कार्यवाही भी गई है? यह जानकारी भी प्रतिवेदन में दी जाये।
आयोग ने जिला अस्पताल षिवपुरी के पीआईसीयू वार्ड में बीते रविवार की रात आठ बजे आॅक्सीजन सिलेंडर फटने की अफवाह के बाद भगदड़ की स्थिति निर्मित होने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार ग्वालियर रेफर किये गये एक गंभीर बच्चे को लेने आई एंबुलेंस के चालक और महिला गार्ड जब सिलेंडर को ले जाने की कोषिष कर हरे थे, उसी समय गलत प्रक्रिया से उसका फ्लो मीटर फटा था। आवाज आते ही सभी के साथ आक्सीजन पर भर्ती गंभीर बच्चे को लेकर भागी। लगभग आधा घंटा तक बच्चा बिना आक्सीजन के रहा, इससे उसकी मौत हो गई। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शिवपुरी से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।
आयोग ने गुना जिले में पुलिस हिरासत में एक आरोपी की मौत हो जाने के मामले में भी संज्ञान लिया है। बीते सोमवार की रात बड़ी संख्या में आरोपी के परिजनों और अन्य लोगों ने अस्पताल के गेट पर मृतक का शव रखा और पुलिस के खिलाफ देर तक नारेबाजी की। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, गुना से प्रकरण की जांच कराकर सभी सुसंगत दस्तावेजों सहित एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है।
आयोग ने इंदौर जिले के बेटमा के समीप उत्तरसी गांव में बीमारी फैलने और दो से तीन दिन में 35 ग्रामीणों के बीमार हो जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के मुताबिक पेयजल में कोई जहरीला केमिकल मिल जाने के कारण इसे पीने से ही सभी ग्रामीणों की तबीयत खराब हुई। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने क्षेत्रीय संचालक, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंदौर तथा कलेक्टर इंदौर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि ग्रामीणों को उपलब्ध पेयजल की गुणवत्ता एवं इसे उपयोग योग्य होना सुनिश्चित करें और इस आशय में की गई कार्यवाही की जानकारी भी प्रतिवेदन में दी जाये।
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