हिंदुस्तान में होली की पड़वा जैसा सन्नाटा अमेरिका में भी होता है, लेकिन थेंक्स गिविंग डे के दिन और ब्लैक फ्राइडे की पूर्व संध्या पर।इस दिन आवश्यक सेवाओं को छोड़कर लगभग पूरा अमेरिका अवकाश पर चला जाता है। हमने इस मौके का लाभ ‘दि एडम’फिल्म देखकर उठाया। जैन धर्म के क्षमावाणी पर्व से मिलते जुलते थेंक्स गिविंग डे पर स्थानीय समाज अपने परिजनों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए सारे काम छोड़ कर मिलने जाते हैं,वो भी उपहार लेकर। एक तरफ अमेरिका में थेंक्स गिविंग डे की सामाजिक प्रतिबद्धता है वहीं दूसरी तरफ ब्लैक फ्राइडे डे का उन्माद है।लोग हर तरह की उपभोक्ता सामग्री पर मिलने वाली अप्रत्याशित छूट का फायदा उठाने के लिए कमर कसे बैठे हैं। आनलाइन डील सर्च की जा रही है, आर्डर दिए जा रहे हैं।इस मौके पर सभी को कुछ न कुछ खरीदना है। भारत में इस तरह का जुनून धनतेरस और नवदुर्गा महोत्सव के दौरान दिखाई देता है। हमारे यहां ऐसे मौके को पुष्य नक्षत्र से जोड़कर खरीद को शुभ मंगल से जोड़ा जाता है। लेकिन अमरीकी इस चक्कर में नहीं पड़ते, उन्हें तो फायदे से मतलब है। शुक्रवार की अलग सुबह से अमरीका जागेगा तो पूरी रात जागेगा।सभी स्टोर और कंपनियों ने ब्लैक फ्राइडे के लिए विशेष तैयारी की है। मेरे लिए अमेरिका की पांचवीं यात्रा में ये पहला अनुभव है। ब्लैक फ्राइडे को लेकर अनेक किस्से, कहानियां और किंवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन जिन किस्सों को मान्यता प्राप्त है उनके अनुसार अमेरिका में वित्तीय संकट के लिए ब्लैक फ्राइडे शब्द का इस्तेमाल किया गया। इसका सेल्स या शॉपिंग से कोई लेना-देना नहीं था। कहा जाता है कि वॉल स्ट्रीट के दो बड़े फाइनैंसर्स थे जिम फिस्क और जे गोल्ड। उन दोनों ने मिलकर बड़ी मात्रा में सोना खरीदा। उनको उम्मीद थी कि कीमत काफी बढ़ेगी जिससे उनको जबर्दस्त मुनाफा होगा। लेकिन हुआ इसके उलट। 24 सितंबर, 1869 को शुक्रवार यानी फ्राइडे वाले दिन अमेरिकी गोल्ड मार्केट धाराशयी हो गई। फिस्क और गोल्ड दिवालिया हो गए।
एक दूसरी कहानी के मुताबिक यह उन दिनों की बात है जब अमेरिका में दुकानदार अपना हिसाब-किताब हाथों से लिखते थे। मुनाफे को वह काले अक्षरों में लिखते थे और घाटे को लाल में। ऐसा माना जाता है कि ज्यादातर दुकानें साल भर ‘लाल’ रहती थीं लेकिन थैंक्सगिविंग डे के बाद ‘काली’ हो जाती थीं। इसका कारण यह होता था कि थैंक्सगिविंग डे का बाद बड़ी संख्या में ग्राहक खरीदारी करते थे। वैसे 50 के दशक में फिलाडेलफिया के पुलिस अधिकारियों ने पहली बार ब्लैक फ्राइडे शब्द का इस्तेमाल किया। थैंक्सगिविंग डे के बाद लोगों की बड़ी भीड़ खरीदारी के लिए उमड़ती थी जिससे शहर की हालत अस्त-व्यस्त हो जाती थी, सड़कों पर ट्रैफिक जाम से बुरा हाल हो जाता था और कई बार तो दुकानों में लूटपाट भी हो जाती थी। पुलिस अधिकारी उस दिन छुट्टी नहीं ले पाते थे और उनको लंबे समय तक काम करना पड़ता था। इस वजह से उन्होंने इस दिन को ‘ब्लैक फ्राइडे’ कहना शुरू कर दिया। अमेरिका की एक मैग्जीन में 1966 में एक विज्ञापन छपा था जिसमें ब्लैक फ्राइडे टर्म का इस्तेमाल किया गया था। बाद में 80 के दशक में दुनिया भर में यह शब्द फैल गया और तुरंत ही रिटेलर्स ने अपनी थैंक्सगिविंग डे के बाद की सेल्स से इसे जोड़ दिया।अब ये बीमारी अमेरिका से निकल कर आधी से ज्यादा दुनिया में फैल चुकी है, क्योंकि अब दुनिया सचमुच गोल है ‘ ग्लोवल विलेज’ ।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश ।
मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…
आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…
सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…
संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…