राजनीतिनामा

राज काज – शिवराज मिला पाएंगे गोविंद-भूपेंद्र के दिल !

सागर में दो मंत्रियों के बीच चल रहे ‘युद्ध’ को शांत करने की कोशिश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू कर दी है। ये हैं परिवहन एवं राज्स्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत एवं नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह। गोविंद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास हैं जबकि भूपेंद्र की गिनती मुख्यमंत्री चौहान के नजदीकी मंत्रियों में होती है। इनके बीच विवाद की वजह हैं भाजपा से निष्कासित किए जा चुके राजकुमार धनौरा। धनौरा मंत्री भूपेंद्र के रिश्तेदार भी हैं। इन्होंने गोविंद के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसकी वजह से वे भाजपा उन्हें बाहर का दरवाजा दिखा चुकी है। बावजूद इसके गोविंद के खिलाफ उनका अभियान लगातार जारी है। मुख्यमंत्री चौहान को इसकी जानकारी है। इसीलिए हाल के सागर दौरे के दौरान उन्होंने भूपेंद्र एवं गोविंद को बैठकर विवाद सुलझाने के निर्देश दिए। इसके बाद गोविंद, भूपेंद्र एवं राजकुमार की एक बैठक हो चुकी है। संभवत: इसीलिए अब गोविंद के खिलाफ आरोपों का कोई नया वीडिया सामने नहीं आया। धनौरा के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हैं, फिर भी वह खुल आम घूम रहे हैं। पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे लगता है मुख्यमंत्री के निर्देश एवं इनके बीच बैठक का असर हुआ है। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री ने बैठक तो करा दी लेकिन क्या वे इनके दिल भी मिला पाएंगे?
माथे पर चिंता की लकीरे लाने वाले ये नजारे
यह सच है कि प्रदेश में चल रहीं विकास यात्राओं से प्रदेश सरकार की छवि निखर रही है और भाजपा मजबूत हो रही है। बावजूद इसके कई अद्भुत नजारे भाजपा को चिंता में डालने वाले भी हैं। सबसे चिंताजनक वायरल वीडियो हैं। एक में मंच पर बार बाला का अश्लील डांस हो रहा है और बैनर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो के साथ विकास यात्रा का लगा है। दूसरे में बेड़नियां अश्लील डांस कर रही हैं और बैनर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का लगा है। वीडियो बुंदेलखंड के एक कस्बे के बताए जा रहे हैं। सही है या गलत, इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इससे भाजपा की छवि को धक्का लगा है। एक अन्य वीडियो में विकास यात्रा पर निकले सरकार के एक मंत्री कपड़े उतार कर शरीर खुजाते दिख रहे हैं। उन्हें किसी ने करेच लगा दी थी। इससे उनके पूरे शरीर में खुजली होने लगी। इसे शांत करने के लिए मंत्री जी को रात में ही स्नान करना पड़ा। कुछ स्थानों में भाजपा विधायकों के प्रति नाराजगी इस कदर देखने को मिली कि उन्हें उल्टे पैर भागना पड़ा। एक मामला ग्वालियर अंचल का है। यहां यात्रा पर पहुंचे विधायक से जनता मंच से ही हिसाब मांगने लगी और विधायक को वापस लौटना पड़ गया। रायसेन सहित कुछ अन्य जिलों से भी विधायकों के प्रति नाराजगी के कारण विकास यात्रा का विरोध हुआ।
कलेक्टर ने लगाई कमलनाथ के आरोप पर मुहर-
प्रदेश के दौरे के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा लगाए जा रहे एक आरोप पर एक कलेक्टर ने ही मुहर लगा दी। कमलनाथ अधिकांश अवसर पर कहते हैं कि मुझे मालूम है कि कई अफसर भाजपा का बिल्ला जेब में रखकर घूमते और काम करते हैं। वे चेतावनी देते हैं कि ऐसे अफसरों की सूची कांग्रेस के पास है। इन पर हमारी नजर भी है। आज के बाद कल भी आएगा। हमारी सरकार बनेगी और इनका हिसाब किया जाएगा। कमलनाथ के इस राजनीतिक बयान का भाजपा राजनीतिक तौर पर जवाब देती रही है लेकिन पहली बार पन्ना के कलेक्टर ने ही कमलनाथ के आरोप को सही ठहरा दिया। विकास यात्रा के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर लोगों से कहा कि अगले 25 साल तक इसी सरकार के साथ बने रहना है। किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। कई और बातें कलेक्टर ने ऐसी कहीं, जो भाजपा का कोई नेता ही बोल सकता है। बस क्या था, कांग्रेस इस कलेक्टर और भाजपा पर पिल पड़ी। नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को पत्र लिखकर कलेक्टर को भाजपा में शामिल करने की सलाह दे डाली। नियमानुसार कोई कलेक्टर इस तरह की भाषा नहीं बोल सकता। यदि राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा सत्ता में न होती तो कलेक्टर को लेने के देने पड़ जाते।
फिर अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने वाली हरकत
कांग्रेस अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने की आदी रही है। कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में कई बार ऐसा हुआ है। पार्टी में एक बार फिर यह कहावत चरितार्थ हो रही है। कमलनाथ, अजय सिंह और अरुण यादव आमने-सामने हैं। इसके लिए दोष कमलनाथ के सिर ही आएगा क्योंकि कांग्रेस उनके नेतृत्व में विधानसभा के अगले चुनाव की तैयारी कर रही है। मुखिया के नाते कमलनाथ को असंतोष पर काबू पाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन वे ही इसे हवा देते दिख रहे हैं। शुरूआत कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तुत कर अभियान चलाने से हुई। सबसे पहले पार्टी के प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल और इसके बाद अरुण यादव एवं अजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस में इस तरह मुख्यमंत्री घोषित किए जाने की परंपरा नहीं है। बस क्या था, खेमे बाजी शुरू हो गई। तीर कमान से निकल आए। कमलनाथ पक्ष की ओर से अरुण यादव को उनकी हैसियत बताई जाने लगी तो जवाब में अरुण यादव की उपलब्धियां आ गईं। नेताओं के बीच बयानबाजी शुरू हो गई। इसके साथ कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताने का भी सिलसिला जारी रहा। मौजूदा सिर फुटौव्वल देखकर नहीं लगता कि कांग्रेस विधानसभा का चुनाव एकजुट होकर लड़ पाएगी। कमलनाथ सबको साथ लेकर चलने का प्रयास करते नजर भी नहीं आते।
‘नाथ’ के चुनाव लड़ने को लेकर बवाल बेतुका
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में खुद के चुनाव लड़ने को लेकर एक बात क्या कह दी, राजनीति में बवाल मच गया। किसी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लड़ना, न लड़ना इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जितना कमलनाथ को लेकर बना दिया गया। हाल के इतिहास को देखें तो 2003 में उमा भारती का चेहरा आगे कर भाजपा ने चुनाव लड़ा था लेकिन विधानसभा का चुनाव उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद लड़ा कुछ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनने के बाद चुनाव लड़े और कमलनाथ जी मुख्यमंत्री बनने के बाद ही विधानसभा का चुनाव लड़े थे इसलिए यदि कमलनाथ ने कह भी दिया कि वे विधानसभा का अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे तो इतनी हाय तौबा क्यों कांग्रेश के साथ भाजपा की ओर से भी इसे लेकर टिप्पणी या आई कमलनाथ और कांग्रेसका इस मसले पर ताबड़तोड़ सफाई देना भी समझ से परे है इसे लेकर मचा बवाल ही बेतुका है कमलनाथ ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में चुनाव लड़ने को लेकर चाहे जो कहा हो इसे लेकर ना भाजपा को टिप्पणी करना चाहिए और ना ही कांग्रेस को सफाई देने सामने आना चाहिए क्योंकि किसी पार्टी के मुखिया का चुनाव ना कोई नई बात नहीं कमलनाथ कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई पर काबू पाने में ऊर्जा खर्च करनी चाहिए।

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री दिनेश निगम त्यागी जी  ,वरिष्ठ पत्रकार  एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश  ।

https://www.youtube.com/c/BharatbhvhTV

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

वक़्फ़ बिल संविधान पर हमला है – राहुल गाँधी

आपको याद होगा लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में पक्ष और विपक्ष के…

2 days ago

92 वर्षीय प्रसिद्ध लोक कलाकार पद्मश्री राम सहाय पांडे का निधन

पद्मश्री रामसहाय पांडे ने लंबे उपचार के पश्चात् आज प्रातः सागर के एक निजी अस्पताल…

4 days ago

ताशकंद में गूंजी भारत की आवाज़ – 150वीं IPU असेंबली में डॉ. लता वानखेड़े ने रखा भारत का मजबूत पक्ष

ताशकंद में गूंजी भारत की आवाज़: 150वीं IPU असेंबली में डॉ. लता वानखेड़े ने महिलाओं…

5 days ago

पीएम मोदी को श्रीलंका में मित्र विभूषण सम्मान

प्रधानमंत्री नरेेद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा में भारत और श्रीलंका के बीच गहरे सांस्कृतिक और…

1 week ago

मुस्कान ड्रीम्स फाउंडेशन ने सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षण सामग्री भेंट की

मुस्कान ड्रीम्स फाउंडेशन चेयरपर्सन अधिवक्ता समाजसेवी मंजूषा गौतम सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षण सामग्री…

1 week ago

EOW की बड़ी कार्रवाई – सागर और पन्ना जिले की धान उपार्जन समितियों पर FIR दर्ज

धान उपार्जन में हुई अनियमितताओं को लेकर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की सख्त कार्रवाई जारी…

1 week ago