दिल्ली में भाजपा कोर ग्रुप की बैठक और कांग्रेस में लंबे अरसे बाद गांविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाकर संगठन शक्ति का विकेन्द्रीकरण के साथ ही प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में अपने अपने राजनीतिक एजेंडे तय कर लिए हैं। दिल्ली में भाजपा कोर ग्रुप की सदस्यों की बैठक में जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति बनी तो कांग्रेस में डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद तय हो गया है कि पार्टी में अनुभवी नेताओं को वरीयता दी जाएगी।
दरअसल मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रियता बढ़ गई है दोनों ही प्रमुख दल मिशन मिशन 2023 के साथ साथ मिशन 2024 की तैयारियों में भी जुट गए हैं। इसके लिए जरुरी निर्णय को लेने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। सत्तारूढ़ दल भाजपा में सत्ता और संगठन में गति देने के लिए कोर ग्रुप की बैठक दिल्ली में हुई जिसमें पार्टी नेताओं ने आगामी रोड मैप तैयार किया। जिसमें खास तौर पर सत्ता और संगठन में जातीय समीकरणों को साधने की कवायद की जाएगी। इसके लिए जो भी परिवर्तन करना होगा। पार्टी बेहिचक करेगी और परफॉर्मेंस के आधार पर जिम्मेदारियां दी जाएगी। बैठक में प्रदेश स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच तालमेल बनाने पर जोर दिया गया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, केंद्रीय मंत्री राष्ट्रीय एवं प्रदेश के पदाधिकारियों के अलावा प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे। बैठक में स्पष्ट तौर पर 2023 के चुनाव को गंभीरता से लेने पर चर्चा हुई 2018 की तरह पार्टी की रणनीति और टिकट वितरण में कोई गलती ना हो। इसकी तैयारी अभी से करने को कहा गया। मंत्रियों के परफारमेंस रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई जिसमें आगामी जब भी मंत्रिमंडल का फेरबदल होगा उसमें कुछ लोगों को बाहर किया जाएगा और कुछ मंत्रियों के विभाग परिवर्तन किए जाएंगे। कथा जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधा जाएगा। सत्ता और संगठन में तालमेल बनाने पर जोर दिया गया।
वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने भी फैसला लेते हुए सात बार के विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। अब तक प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ नेता प्रतिपक्ष की कमलनाथ थे और इसको लेकर चर्चा चलती रहती थी कि कोई एक पद कमलनाथ छोड़ें कमलनाथ भी अपनी पद छोड़ने की इच्छा राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने बहुत पहले जता चुके थे लेकिन जिस तरह से दावेदार सक्रिय थे। उसको लेकर फैसला लेना भी आसान नहीं था लेकिन 2018 की तरह पार्टी नेताओं के बीच एकता बनाने और अनुभवी लोगों को प्राथमिकता देने की रणनीति पर कांग्रेसी एक बार फिर आगे बढ़ रही है अब तक असंतुष्ट चल रहे अरुण यादव और डॉक्टर गोविंद सिंह को पार्टी ने सक्रिय कर लिया है पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह विंध्य क्षेत्र में पहले ही सक्रिय हो चुके हैं पार्टी की कमान अनुभवी नेताओं के हाथ में आ गई है पार्टी भाजपा से मुकाबला करने के लिए इन नेताओं के अनुभवों के आधार पर चुनाव लड़ेगी।पार्टी ने प्रदेश में आक्रामकता बढ़ाने के लिए प्रशासनिक अत्याचार प्रतिरोध समिति बनाई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में कांग्रेस कार्यालय में इस समिति की बैठक हुई जिसमें सरकारी उत्पीड़न का शिकार हर कार्यकर्ता के लिए कानूनी लड़ाई कांग्रेस द्वारा लड़ने का ऐलान हुआ है और इसकी शुरुआत दतिया से हो रही है। संभाग और जिला स्तर पर पार्टी पत्रकार वार्ताये आयोजित करके होने वाले अत्याचारों का विरोध करेगी।
कुल मिलाकर प्रदेश में समय से पहले सत्ता संघर्ष तेज हो गया है और माना जा रहा है कि प्रदेश में 2023 का चुनाव दोनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है राजनीति के एजेंडे तय करते हुए दोनों ही दल मैदान में सक्रियता बढाएंगे। साथ ही इन चुनावों को भाजपा और कांग्रेस की 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों और मतदाता का रूझाान जानने का अंतिम अवसर माना जा रहा है यही कारंण है कि विधानसभा चुनावों से लगभग 18 महीने पहले ही दोनो दलों का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में संगठन स्तर पर किये जाने वाले प्रत्येक निर्णय पर न सिर्फ नजर रख रहा है बल्कि सीधे तौर पर हस्तक्षेप भी कर रहा है।
देवदत्त दुबे- भोपाल, मध्यप्रदेश
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