बीते 24 घंटे से सोशल मीडिया पर एक नयी बहस छिड़ी हुई है और ये बहस उस समाज को आईना दिखा रही है जो धर्म और जाति के नाम पर समानता की बहस करता है लेकिन वही समाज अब तक एक स़्त्री और पुरूष के अधिकारो में भी समानता नही कर सका है एक साफ्टवेयर इंजीनियर अतुल की आत्महत्या ने सारे समाज को हमारे मौलिक अधिकरों न्यायिक व्यवस्था और तंत्री में व्यापत भ्रष्टाचार पर सोचने पर मजबूर कर दिया है । अतुल ने अपने जीवन के अंतिम क्षणो में जो व्यथा सुनाई है वह देश में लाखो परिवारों के हालात है । क्या वर्तमान में पारिवारिक कलह के मामलो में नारी अपने संवैधानिक अधिकार का दुरूपयोग कर रहीं है खुद सुप्रीम कोर्ट इस पर चिंता जता चुका है और यदि सारी व्यवस्था स्त्रियों के प्रति सर्मपित है तो पुरूष के अधिकारों को संरक्षण कोन करेगा । इस प्रकरण ने समाज में इस गंभीर मुददे को एक बार फिर हवा दी है।
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