कलमदार

द्रोपदी का डर और डर की द्रोपदी

चलिए अच्छा हुआ कि कोलकाता बलात्कार कांड के बारे में बोलकर राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू भी उस कतार में शामिल हो गयीं जिसमें पहले से लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला,राज्य सभा के सभापति जयदीप धनकड़ और बंगाल के राज्यपाल सीबी आनंद बोस शामिल है।बिरला , ,धनकड़ और बोस पर सरकार के एजेंट के रूप में काम करने के आरोप लग चुके हैं, अब राष्ट्रपति ने भी कोलकाता काण्ड पर अपनी टिप्पणी कर ये सार्वजनिक कर दिया है कि वे देश की राष्ट्रपति बाद में हैं ,भाजपा की कार्यकर्ता पहले।
निर्भया हत्याकांड के बाद सबसे ज्यादा चर्चित और राजनीति का औजार बने कोलकाता काण्ड के बीस दिन बाद राष्ट्रपति जी का बोलना मायने रखता है। इस मामले में पूरा देश बोल चुका है। एक राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का बोलना रह गया था। राष्ट्रपति ने मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सभ्य समाज में बेटियों से ऐसे अपराध मंजूर नहीं हैं. मैं पूरी घटना से निराश और भयभीत हूं। राष्ट्रपति ने ये बात पीटीआई [भाषा] से बातचीत में कही। जाहिर है की पीटीआई को इस बात के लिए किसी ने आमंत्रित किया होगा कि वो राष्ट्रपति महोदया से मिलकर कोलकाता काण्ड पर उनका बयान ले। अन्यथा राष्ट्रपति जी ऐसे मामलों पर पहले कभी नहीं बोलीं।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू बेहद भद्र और सहनशील महिला है। वे मान-अपमान से परे है। सरकार ने उनका कितनी बार अपमानित किया ये देश को तो याद है, लेकिन उन्हें नहीं। उन्होंने कभी अपने अपमान की शिकायत नहीं की ,बल्कि अपमान का घूँट खामोशी के साथ पिया । उलटे वे देश के प्रधानमंत्री जी को दही – मिश्री खिलातीं रहीं। कोलकता काण्ड पर भी उनसे बुलवाया गया है। उन्होंने कहा कि बेटियों के खिलाफ ऐसे अपराध मंजूर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना पर कोलकाता में छात्र, डॉक्टर और नागरिक प्रदर्शन कर रहे थे जबकि अपराधी कहीं और घूम रहे थे। अब बस बहुत हुआ। समाज को ईमानदार होने और आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। समाज को आत्ममंथन करने की जरूरत है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रपति ने इस घटना बयान दिया है।
राष्ट्रपति महोदया का बोलना बुरा नहीं है ,बल्कि उन्हें तो बहुत पहले से वाचाल होना ही चाहिए , क्योंकि देश के तमाम ज्वलंत मुद्दों पर देश के प्रधानमंत्री जी मौन साध लेते हैं। लेकिन तकलीफ ये है कि राष्ट्रपति जी ने बोलने में देर कर दी। वे तब बोलीं जब इस मुद्दे पर लाल किले से बोला जा चुका है । वे तब बोलीं जब बंगाल को भाजपा बंद करा चुकी है। वे तब बोलीं जब सौरब गांगुली इस मुद्दे पर बोल चुके हैं । राष्ट्रपति जी तब बोलीं जब ये पूरा मामला राजनीति का मुद्दा बन गया है। राष्ट्रपति को महिला उत्पीड़न के हर मामले में बोलना चाहिए। उन्हें राज्य की सीमाएं नहीं देखना चाहिये । वे बंगाल के अलावा उत्तराखंड ,मप्र,महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश में हो रहीं बलात्कार और महिला उत्पीड़न के मामलों पर भी बोल सकतीं हैं।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को हक है कि वे किसी भी मुद्दे पर बोल सकतीं है, लेकिन बोलतीं नहीं है। वे तभी बोलतीं हैं जब उनसे बोलने के लिए कहा जाता है। अन्यथा वे चाहतीं तो 9 अगस्त की इस जघन्य वारदात के बाद सीधे बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी से फोन पर बात कर सकतीं थीं । उन्हें अपने मन में बैठे भय से वाकिफ करा सकतीं थीं ,किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वास्तव में वे भयभीत नहीं थीं। भयभीत होतीं तो क्या 20 दिन मौन बनीं रहती ? उनके भयभीत होने का कोई कारण भी नहीं है। उन्हें दुनिया की सर्वश्रष्ठ सुरक्षा हासिल है ,फिर भी वे भयभीत हैं तो, कुछ दिन के लिए अपना भय दूर करने के लिए विदेश यात्रा कर सकतीं हैं।
बंगाल के मामले में राष्ट्रपति जी का बयान विमर्श में आना चाहिए। अब देश की बैशाखी सरकार के लिए बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का रास्ता बिलकुल साफ़ है। कम से कम राष्ट्रपति जी का भय दूर करने के लिए तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया ही जा सकता है ,क्योंकि बिना राष्ट्रपति शासन लगाए बंगाल की सत्ता भाजपा के हाथ में आने वाली नहीं है ,ये बात पिछले दो विधानसभा चुनावों में साफ़ हो चुकी है। हाल के लोकसभा चुनावों के नतीजे भी यही संकेत देते हैं की भाजपा के लिए बंगाल जीतना आसान नहीं है।
आप हैरान हों या न हों किन्तु मै हैरान हूँ कि राष्ट्रपति जी कोलकाता के एक काण्ड से भयभीत हो गयीं लेकिन उन्हें मणिपुर में ऐसे ही असंख्य वारदातों के बाद भी भय नहीं लगा । उन्होंने मणिपुर के बारे में कभी एक शब्द नहीं कहा। मुमकिन है कि उन्हें भी मणिपुर इस देश का हिस्सा न लगता हो ,जैसा की माननीय प्रधानमंत्री जी को नहीं लगता । मेरा सुझाव तो ये है कि माननीय राष्ट्रपति जी को तुरत-फुरत कोलकाता जाकर पीड़ित महिला चिकित्सक के परिजनों से भी मिलकर अपने भय और संवेदना का इजहार कर देना चाहिए।
हमारे देश में राष्ट्रपति को ‘रबर स्टाम्प ‘ कहा जाता है। हमें तो स्कूलों में कम से कम यही पढ़ाया गया था। संयोग से अपवादों को छोड़ दें तो राष्ट्रपतियों ने इस बात को प्रमाणित भी किया। वे काठ की पुतली ही बने रहे। कुछ थे जिन्होंने देश की सरकारों के कामकाज में बाधा डालने की कोशिश की। राष्ट्रपति मुर्मू इस मामले में अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों से ज़रा अलग है। वे सरकार के लिए आदिवासियों को लुभाने किसी भी आदिवासी बहुल राज्य में जातीं है। वे खड़ी रहतीं हैं और प्रधानमंत्री बैठे रहते है। उन्हें कहीं न बुलाया जाये तो उन्हें न गुस्सा आता है और न क्षोभ होता है वे स्थितिप्रज्ञ हैं। मै उनका बेहद सम्मान करता हूँ ,क्योंकि वे अहसान फरामोश नहीं है। उन्हें जिस दल ने राष्ट्रपति बनाया है वे उस दल के प्रति निष्ठावान है। पहले के तमाम राष्ट्रपति भी उन्हीं की तरह होते थे । फर्क सिर्फ इतना था कि अधिकाँश कठपुतली होते हुए भी थोड़ी बहुत रीढ़ की हड्डी भी रखते थे।
बहरहाल अब देखते हैं कि देश की सरकार देश की राष्ट्रपति के मन में उपजे भय के शमन के लिए बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाती है या नहीं ? क्योंकि बंगाल में आपरेशन लोटस तो कामयाब हुआ नहीं। सनातन काम आया नहीं। काली माता ने कृपा की नहीं भाजपा पर। ले-देकर अब राष्ट्रपति शासन ही विकल्प बचता है।
@ राकेश अचल

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

भागवत बोले प्रत्येक परिवार में तीन बच्चे होना चाहिये

संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान से फिर से जनसंख्या दर और अनुपात को…

5 hours ago

महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री !

बारात तैयार है लेकिन दूल्हा कौन होगा यह तय नहीं है जी हां यह बात…

2 days ago

क्या सचमुच आग से नहीं खेल रही सरकार ?

जब किसी देश की सरकार मंजे हुए खिलाड़ी चला रहे हों तो वहां कोई भी…

4 days ago

रुद्राक्ष धाम में भजन संध्या कल पूर्व मंत्री पं श्री गोपाल भार्गव करेंगे शुभारंभ

सागर। शुक्रवार 29 नवम्बर को रुद्राक्ष धाम मंदिर प्रांगण में आयोजित भजन संध्या का शुभारंभ…

5 days ago

विश्वविद्यालय: मध्य क्षेत्र अंतरविश्वविद्यालयीन युवा उत्सव का हुआ उद्घाटन

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के…

6 days ago

ज्ञान, कर्म और भक्ति के धनी थे डॉ. गौर- उपमुख्यमंत्री शुक्ल

उपमुख्यमंत्री एवं सागर जिले के प्रभारी मंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल ने सदर छात्र संघ एवं…

6 days ago