बाहर पुलिस लाठियाँ बरसा रही थी तब उमा भारती को अंदर वही पार्टी बेइज्जत कर रही थी, जिसने मात्र दो साल पहले उसी स्थान पर उन्हें अपना नेता घोषित किया था। लाखों भाजपा और संघ के कार्यकर्ता यह सब देखकर स्तब्ध थे। प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे बड़े नेता इसी क्षुब्धता के कारण भोपाल नहीं आये थे। नये जमाने की भाजपा उस दिन जन्म ले रही थी, जहाँ सारी लोकतांत्रिक मर्यादाएं ताक पर रखकर पार्टी हाईकमान के निर्णय को जबरन थोपा जा रहा था। उस दिन भारत और दक्षिण आफ्रीका के बीच एक महत्वपूर्ण क्रिकेट मैच खेला जा रहा था लेकिन मध्यप्रदेश में उस मैच को लोगों ने नहीं देखा बल्कि भाजपा के इस घटनाक्रम को हर मिनिट जानने की कोशिश करते रहे। कार की लालबत्ती पर पांव रख कर उमा भारती ने भाजपा छोड़ी उमा भारती जिनके पास एक महीने पहले 120 विधायकों ने समर्थन की चिट्ठी सौंपी थी, वह एक दर्जन के लगभग समर्थक विधायकों को देखकर दुःखी हो गई और पैदल पार्टी कार्यालय से बाहर आईं। उमा भारती के साथ बहिष्कार करने वालों में गौरीशंकर शेजवार, ढाल सिंह बिसेन, करन सिंह वर्मा, सुनील नायक, जालम सिंह पटेल, भगवत पटेल, दिलीप दुबे, रमेश दुबे, मारूतराव खवसे, रामदयाल प्रभाकर, रसाल सिंह, हरिशंकर खटीक, रामदयाल अहिरवार और देवी सिंह शामिल थे। उस दिन भाजपा के 154 विधायक पार्टी हाईकमान के साथ रहे और 16 विधायक उमा भारती के साथ गये।
उमा भारती निकलीं तो बाहर इंतजार कर रहे समर्थकों को मानों कुछ क्षण के लिए कुछ समझ ही नहीं आया। फिर अचानक उमा भारती लालबत्ती लगी एक एम्बेसडर कार के ऊपर चढ़ गई। वहाँ उन्होंने घोषणा की कि वे अयोध्या तक की पदयात्रा पर निकल रहीं हैं। जब वे ऐसा कह रही थीं तो अनजाने में उनका एक पैर कार के ऊपर लगी हुई लालबत्ती पर रखा हुआ था। सांकेतिक रूप से ऐसा लग रहा था कि मानों जो सत्ता अभी तक उनके सर का ताज थी, आज मानों पैरों में पड़ी हुई है। उमा भारती के ऊपर वह लालबत्ती ठीक नौ साल बाद तब आयी, जब दिल्ली में नरेन्द्र मोदी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया।
दीनदयाल परिसर से पैदल अयोध्या की ओर
रात को पार्टी कार्यालय से निकलकर उमा भारती फिर अपने बंगले नहीं गईं। उस रात वे एम.पी. नगर में अपने समर्थक के यहाँ रहीं और अगले दिन अपनी “राम-रोटी पदयात्रा” पर अयोध्या की तरफ आगे बढ़ गईं। जब शिवराज सिंह की राजभवन में शपथ हो रही थी तब उमा भारती भोपाल में मीडिया से कह रहीं थीं कि “वे ही असली भाजपा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि चार-पाँच लोगों ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है और विधायकों की कनपटी पर पिस्तौल लगाकर शिवराज को मुख्यमंत्री बनाया गया है। जब उमा भारती ऐसा कहकर पदयात्रा के लिए निकल चुकी थीं तब उनके समर्थक 14 विधायकों को पार्टी से निलंबित करने का नोटिस मिल चुका था। इसके अलावा उनके समर्थक छह निगम अध्यक्षों को भी पार्टी में वापस शामिल होने का अल्टीमेटम दिया जा चुका था। उमा भारती ने पार्टी से निलंबित होते ही आरोप लगाया कि संसदीय बोर्ड में चूंकि आडवाणी और जसवंत को छोड़कर सभी ब्राह्मण हैं इसलिए उनका निलंबन हुआ। उन्होंने संसदीय बोर्ड के पुर्नगठन की मांग की और आफ द रिकार्ड ब्रीफिंग बंद करने का कहा।” प्रहलाद पटेल ने भी बकायादा भाजपा संसदीय बोर्ड के फैसले को असंवैधानिक बताया।