“वक्त है बदलाव है” यह नारा पिछले 5 साल से मध्यप्रदेश की राजनीति में अब्बल दर्जे पर रहा है 2018 में कमलनाथ और कांग्रेस ने बीते डेढ दशक से मध्यप्रदेश की राजनीति पर राज कर रहे भाजपा और शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने के लिये जो पंच लाईन गढी थी वह प्रदेश की राजनीति में अब तक प्रासंगिक है । लेकिन इनकी सत्ता जरूर बदलती रही है जहां 2018 में कमलनाथ के साथ इन पंच लाईन का जादू चला और शिवराज सिंह चौहान कहते रहे कि हमसे क्या भूल हुई जो ये सजा हमको मिली। तो 2020 में पुराने कांग्रेसी दिग्गज और अब के कटटर भाजपाई महाराज ज्त्योतिरादित्य सिंधिया को ये बात जम गई और उन्होने बनी बनाई सरकार ही बदल दी और बोले कि अब “वक्त है बदलाव है”
सारा सिस्टम और बदलाव शिवराज और महाराज के हिसाब से चल रहा था कि 2023 में मध्यप्रदेश में भाजपा की हालत देखकर भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के दिमाग में भी इन पंच लाईन की गूंज उठी तो उन्होने भी ठान लिया की मध्यप्रदेश की राजनीति में अब “वक्त है बदलाव है” और चुनाव से तीन महीने पहले शाह की राजनैतिक पैंतरों ने कांग्रेस की पूरी बाजी ही पलट दी और भाजपा ने रिर्काड बहुमत से एक बार फिर मध्यप्रदेश में सरकार बनाई । अब लग रहा था कि मध्यप्रदेश में ये नारा अपने अंतिम पायदान पर है और अब कोई वक्त भी बदलाव का नहीं होगा लेकिन अभी दिल्ली दरबार के मन में मध्यप्रदेश को लेकर असल बदलाव बाकी था तो उन्होने भाजपाई दिग्गजों की कतार में से मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर दिखाया कि अब “वक्त है बदलाव है”। भाजपा का जिगरा देखकर कांग्रेस का जमीर भी जागा और उसने भी प्रदेश में एक झटके में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का चुनाव बिना किसी मश्वरे के कर के दिखा दिया कि कांग्रेस में भी बदलाव का वक्त आ चुका है। खैर वर्तमान में बदलाव के वक्त के मालिक मुख्यमंत्री मोहन यादव है और मंत्रीमंडल गठन से लेकर बीते तीन सप्ताह में उन्होने जिस तरह से सख्त प्रशासनिक निर्णय लिये है उससे शिवराज की कूल माने जाने वाली सरकार की छवि भी बदलती हुई है । मुख्यमंत्री मोहन यादव के भाषण और तेवर दोनो से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश में यादव बीती सरकार की किसी भी बात या छाप को दोहराना नहीं चाहते वो अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते है बहरहाल मुख्यमंत्री के तेज तर्रार तेवर और निर्णय से अब आम जनता को भी इस पुरानी बात का नया- नया एहसास होने लगा है कि मध्यप्रदेश में अब “वक्त है बदलाव है”।
अभिषेक भारतभवः
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