सम्पादकीय

मध्यप्रदेश – नई सर्कार में बुंदेलखंड का पावर सेंटर कौन ?

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बुंदेलखंड क्षेत्र से जीत की उम्मीद थी लेकिन पूरे मध्यप्रदेश की तरह बुंदेलखंड  में भी कांग्रेस की करारी शिकस्त हुई और बुंदेलखंड की 26 सीटों में से भाजपा ने 21 सीट पर अपना परचम फहराया बुंदेलखंड में प्रभाव रखने वाली समाजवादी पार्टी और बसपा भी इस बार खाली हांथ रही । पिछली बार पथरिया से रामबाई बसपा तो बिजावर से राजेश शुक्ला समाजवादी पार्टी से जीतकर आये थे लेकिन इस बार भाजपा ने बुंदेलखंड के 6 जिलों में से दमोह और पन्ना में कांग्रेस का खाता नहीं खुलने दिया तो अन्य जिलों में बडी बढत बनाई बुंदेलखंड की 26 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर जीत हांसिल कर पाई ।  एतिहासिक जीत के बाद अब भाजपा ने मध्यप्रदेश में पूरी तरह से राजनीति का कायाकल्प करने का मूड़ बना लिया है इन हालातों में बड़ा सवाल यह है कि नई सरकार में बुंदेलखंड का पावर सेंटर कौन होगा , मंत्रिमंडल में पुराने दिग्गजों के बीच से क्या भाजपा नये चेहरों को सत्ता में बुंदेलखंड की साझेदारी सौंपेगी । शिवराज सरकार में बुंदेलखंड के 5 मंत्री थे जिनमें से सबसे बडी भागेदारी बुंदेलखंड के सबसे बड़े जिले सागर की थी गोपाल भार्गव ,भूपेंद्र सिह , गोविंद सिंह जैसे बड़ें नाम और प्रमुख विभाग थे ताजा हालातो में चुनाव से पहले मंत्री बनाये गये उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह खरगापुर से अपना चुनाव हार चुके है।  2023 के चुनाव परिणाम में एक बार फिर बड़े चेहरों ने जीत दर्ज की है और 4 मंत्रियों के अतिरिक्त दमोह विधानसभा से पूर्व मंत्री जयंत मलैया भी चुनाव जीते है। लेकिन बदलाव की चलती बयार में राजनैतिक गलियांरो में चर्चा जोरों पर है कि बुंदेलखंड में भी भाजपा पिछले दो दशकों से भाजपा सरकार में बुंदेलखंड का चेहरा रहे बड़े नामों के स्थान पर लो प्रोफाईल माने जाने वाले चेहरों को मंत्रिमंडल में स्थान देगी जिनमें चार बार चुनाव जीत चुके नरयावली विधायक प्रदीप लारिया अनुसूचित जाति कोटे से और सागर विधायक शैलेन्द्र जैन अल्पसंख्यक कोटे से और मलहरा विधानसभा से ललिता यादव का नाम आगे है।

                 पिछली सरकार में सागर जिले से मंत्रियो की संख्या मध्यप्रदेश के इंदौर जबलपुर जैसे बड़े जिलो पर भारी थी 2003 के बाद से ही भाजपा शासनकाल में सागर ही बुंदेलखंड की राजनीति का पावर सेंटर रहा है उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज के प्रथम कार्यकाल में जहां कांग्रेस के शासनकाल में संघर्षशील रहे पुराने भाजपा नेताओं गोपाल भार्गव और जयंत मलैया सत्ता के केंद्र में रहे तो तो बीते दशक में  पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाने वाले मंत्री भूपेंद्र सिंह का राजनीतिक हस्तक्षेप तेजी से बढा बुंदेलखंड में सबसे अधिक खींचतान कमलनाथ सरकार गिराये जाने के बाद सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाजपा में आने के बाद रही जो बीते तीन साल से लगातार जारी है । अब जबकि भाजपा में सारे राजनैतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके है केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश में खेमेबाजी को पूरी तरह तहस नहस कर दिया है, तब मंत्रीमंडल गठन को लेकर जहां दिग्गजों की सांसे फूली हुई है ,तो पुराने विधायकों की उम्मीदे बढ गई है एंसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले प्रत्येक अंचल से अनुभव और नयापन का गठजोड़ तैयार किया जायेगा जो क्षेत्रीय और जातीय समीकरणो पर भी फिट बैठैगा , नई सरकार में किसी भी क्षेत्र में मंत्रियो के हस्तक्षेप पर पूरी लगाम रहना तय है , फिर भी मध्यप्रदेश भाजपा में दिग्गजो से भरी विधानसभा में सत्ता का बराबर बटवारा और नई पीढी को नेतृत्व की कमान भाजपा के लिये लोकसभा चुनाव के पहले किये गये कठिन प्रयोगों में से एक होगा लेकिन भाजपा का नया केंद्रीय नेतृत्व एंसे ही प्रयोग करने के लिये जाना जाता है।

संपादकीय – श्री अभिषेक तिवारी

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