सम्पादकीय

मध्यप्रदेषः जातिवाद की जद में होंगे विधानसभा चुनाव…!

बीते महीने हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत की उम्मीद भी थी क्योकि प्रत्येक राज्य में भाजपा और कांग्रेस की वैंसी आमने सामने की टक्कर नहीं थी जो आने वाले विधानसभा चुनावों में खासकर मध्यप्रदेश में होने वाली है । पिछले विधानसभा चुनावों के बाद से मध्यप्रदेश में हुए सियासी उठापठक के बाद अब फिर विधानसभा चुनावों की तैयारी है जहां कांग्रेस निर्विवाद रूप से इस बार कमलनाथ के चेहरे पर चुनावों की तैयारी मे है । मध्यप्रदेश विधानसभा  चुनावों में देश के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भी कांग्रेस में आगवानी की चर्चा है लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस में चीजें कमलनाथ के हिसाब से ही चलने वाली है और अपनी सरकार के गिराने की कसक लिये कमलनाथ शायद ही इन विधानसभा चुनावों में किसी का दखल होंने देंगे । तो दत्ताधरी भाजपा को फिलहाल तक शिवराज के अतिरिक्त कोई बेहतर विकल्प नहीं है और आखिर तक शायद होगा भी नहीं । कुलमिलाकर अंदरूनी राजनीति में कांग्रेस इस बार भाजपा से स्पष्ट है । राजनीति में अब मंहगाई बेरोजगारी स्वास्थ शिक्षा जैंसे मुददे जातिवाद और राष्टवाद जैंसे वटवृक्षों की विराट छांव में लगभग ढक गये है इसलिये ये मुददे अब बस राजनीतिक मंचो की शोभा बढाने वाले शब्द है । अंदरूनी राजनीति और रणनीति में इनका कोई महत्व नहीं है यही वजह है और मध्यप्रदेश में आने वाले चुनाव में यही दो सबसे बड़े रणनीतिक मुददे रहने वाले है जिसका अंदाजा हम मध्यप्रदेश में पिछले पखवाड़े से चल रही सियासी क्रियाकलापों और बयानबाजी से लगा सकते है खरगौन जिले में रामनवमी पर्व पर शोभायात्रा पर किये गये उपद्रव के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने जो बुल्डोजर अभियान चलाया उसका प्रचार भी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री द्धारा भरपूर किया गया राष्ट्रीय  स्तर पर दम भरकर डंके की चोट पर किया गया और ये बयान पूरे प्रदेश में एक बड़ी आबादी को मानसिक रूप से सुकून देने वाले है तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने संगठन के स्तर पर खुलकर सड़को पर आकर इसका विरोध भी शायद इसीलिये नही किया केवल इसे न्यायसिद्धांत के विरूद्ध बताया।
वैंसे भी कांग्रेस के पास मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में राष्ट्रवाद  के मुकाबले जातिवाद को प्राथमिकता देने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प शायद है भी नहीं क्योकि वर्तमान राजनीतिक दौर में जहां विकास की परिभाषा को अंर्तमुखी कर दिया गया हो वहां राष्ट के विकास का मुकाबला अपनी जाति का विकास ही कर सकता है । यही कारण है कि पिछले दिनो कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में ओबीसी आबादी को ध्यान में रखकर कांग्रेस की राजनीति का फोकस बनवाया है तो भोपाल में अपने एक दिवसीय दौरे पर आये भाजपा के थिंक टैंक और केेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जातिवाद पर दो टूक बयान देते हुए इसे न्यू इंडिया की सच्चाई बता दिया और संगठन को भी दो टूक संदेश देते हुए जाति के आधार पर ही गुणा भाग लगाकर नेताओं को पद और महत्व के बटवारे का गुरूमंत्र देकर गये । सोचिये अभी हाल ही में संपन्न उत्तरप्रदेष विधानसभा चुनावों में जहां भाजपा ने अपनी विरोधी खासकर समाजवादी पार्टी को घेरने के लिये उस पर जातिवादी राजनीति करने के आरोप लगाये थे तो मध्यप्रदेष में भाजपा के चुनावी रणनीतिकार जातिवाद को देश की सच्चाई बता रहे है। और यह उनकी मजबूरी भी है क्योकि मध्यप्रदेष में ओबीसी और अनुसूचित जाति जनजाति के सहारे ही सरकार की वापसी हो सकती है। और इनमें से जहां अनुसूचित जाति जनजाति कांग्रेस के बहुत हद तक आज भी कांग्रेस के बोटबैंक है। तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार ओबीसी वोटबैंक पर नजर बनाये हुए है और अपनी चुनावी रणनीति को भी खुलकर जता रहें है । इसी रणनीति की टक्कर में भाजपा चहुंओर से तैयारियों में लग गई है आदिवासियों को रिझाने पिछले छ महीनों में दो प्रमुख सम्मेलन पार्टी के दोनो प्रमुख नेताओं की आगवानी में राजधानी भोपाल में हो चुकें है तो मध्यप्रदेष में जातिवाद की सच्चाई को उजागर करना और उसी हिसाब से सत्ता संगठन में बटवारे की बात प्रदेष की बहुसंख्यक ओबीसी आबादी को अपनी ओर आर्कषित करने के लिये है । और बाकी की कसर प्रखर राश्टवाद संबधी मुददे पूरी करेंगे इसका संकेत भी शाह ने अपने भोपाल दौरे में दिया और राममंदिर,सीएए,अनुच्छेद 370,तीन तलाख के बाद समान नागरिक संहिता का एलान मध्यप्रदेष की धरती से कर दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी नेताओ के साथ की गई बैठक में  दिया गया एक बयान आने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर महत्वपूर्ण माना जा रहा है शाह ने बैठक में दो टूक अंदाज में कहा कि यहां जितने लोग बैठे हुए है ये सभी सत्ता के लाभार्थी है। पिछले 16 सालों से भाजपा राज मेें लगातार मलाईदार पदों और सत्ता का सुख ले रहे वरिष्ठ मंत्रियों और विधायकों के लिये भी ये आने वाले चुनावों में होने वाले किसी बड़े बदलाव का संकेत हो सकते है।
संक्षेप सार यह है कि केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने एक दिवसीय दौरे में यह स्पष्ट कर दिया कि आज भी देश के किसी भी हिस्से में होने वाले चुनावों में भाजपा के चुनावी रणनीति की पिच वे ही तैयार करते है और मध्यप्रदेष में होने वाले विधानसभा चुनावों में क्या मुददे होने वाले है और भाजपा को इनकी तैयारी कैंसे करनी है यह 2023 में 2018 की तरह तय नहीं किया जायेगा ।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बागेश्वर धाम की हिन्दू एकता पदयात्रा आज से प्रारम्भ

जहां देश में एक तरफ जातिगत जनगणना को लेकर वार पलटवार का दौर चल रहा…

6 hours ago

ग्राम बोधिपुर में सिद्ध स्थान राजा बाबा के यहां वार्षिक मढ़ई महोत्सव का आयोजन

देवरीकला। वीरान ग्राम बोधिपुर में सिद्ध स्थान राजा बाबा के यहां वार्षिक मढ़ई महोत्सव का…

24 hours ago

कमलनाथ की हार और कुमार विश्वास का तंज

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीते साल मध्यप्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े नेता रहे कमलनाथ…

1 day ago

सागर – ई-चालान का भुगतान न करने वाले 997 वाहन चालकों पर की जाएगी सख्त कार्यवाही

यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर पांच या पांच से अधिक ई-चालान जिन वाहनों पर…

2 days ago

कलेक्टर ने की लापरवाह शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई

शिक्षा, स्वास्थ्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी - कलेक्टर संदीप जी आर   डीईओ ,डीपीसी,…

2 days ago

धीरेंद्र शास्त्री से डर गई कांग्रेस या वजह कुछ और….!

धीरेंद्र शास्त्री से डर गई कांग्रेस या वजह कुछ और....! - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री…

3 days ago