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यूक्रेन में होनहार छात्र की मौत, पिता ने राजनीति और शिक्षातंत्र को दोषी ठहराया

यूक्रेन पर रूसी हमले के छठे दिन खारकीव शहर में एक भारतीय छात्र नवीन कुमार की मौत हो गई थी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसकी जानकारी देते हुए मंगलवार को सोशल मीडिया पर कहा हमें यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है खारकीव में बमबारी की वजह से एक बार भारतीय छात्र की जान चली गई हम उनके परिवार के संपर्क में हैं घटना की सूचना मिलने पर प्रधानमंत्री मोदी ने छात्र के पिता से बात कर दुख जताया रूसी हमले में मारा गया छात्र नवीन कर्नाटक के हवेली का रहने वाला था उसकी उम्र 21 साल थी और वह खाना लेने के लिए बाहर निकला था
यूक्रेन रूस युद्ध में जान गवाने वाले पहले भारतीय छात्र नवीन के जाने के बाद अब कर्नाटक से उनके पिता का बयान आया है पिता ने बताया कि 97 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी उनके बेटे को भारत में एडमिशन नहीं मिला था इसलिए उन्हें विदेश भेजा गया अपने बेटे की मौत से दुखी पिता ने मीडिया से चर्चा के दौरान अपना दर्द बयान करते हुए कहा आखिर उन्हें नवीन को यूक्रेन क्यों भेजना पड़ा अपनी बात रखते हुए उन्होंने भारतीय शिक्षा क्षेत्र में लागू आरक्षण नीतियों पर भी वार किया
उन्ळोने कहा हमारे कुछ सपने थे जो अब बिखर गए हैं मेरा बेटा जिसने अपनी यूनिवर्सिटी कोर्ट में 97 प्रतिशतअंक लाए थे एक होनहार बच्चा था जिसे सिर्फ यहां के सिस्टम की वजह से बाहर पढ़ने जाना पड़ा उन्होने कहा कि निजी शिक्षण संस्थान एक आम आदमी की पहुंच के बाहर होते हैं मैंने पता किया था मुझे किसी भी मेडिकल कॉलेज में उसका एडमिशन करवाने के लिए पचासी लाख से एक करोड़ रुपए तक देने थे तब मैंने सोचा कि मैं अपने बेटे को यूक्रेन भेजूंगा लेकिन वह तो मुझे और ज्यादा महंगा पड़ गया
नवीन के पिता ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील की कि वह लोग इस मामले में देखें वह कहते हैं डोनेशन आदि बहुत बेकार चीजें हैं इसी के चलते इंटेलीजेंट बच्चे पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं यहां जगह पाने के लिए करोड़ों मांगे जाते हैं ऐसे में विदेश से वही शिक्षा बल्कि अच्छी शिक्षा वह भी बढ़िया उपकरणों के साथ मिलती है यहां भारत में सिर्फ जाति के जाति के आधार पर मिलती है सीटें मेरे बेटे के 97 फ़ीसदी पीयूसी में आए थे उन्होंने कहा देश के शिक्षा तंत्र और जातिवाद के चलते इंटेलिजेंट बच्चे सीट नहीं पाते वह कहते हैं मैं हमारे राजनीतिक तंत्र शिक्षा तंत्र और जातिवाद के कारण उदास हूं सब कुछ निजी संस्थानों के हाथों में है उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे लेकर नवीन को एमबीबीएस पढ़ने यूक्रेन भेजा था वहां वह अपने दोस्तों के साथ अपार्टमेंट में रहता था जब से युद्ध शुरू हुआ था वह घर पर कम से कम 5.6 बार बात करता था और फ्लैट के नीचे बने बनकर में जाकर रहने लगा था नवीन के बड़े भाई हर्ष ने बताया कि उनके भाई का इस जून में आठवां सेमेस्टर था उसके बाद वह इंटरशिप लेने वाला था पर अब यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि वह हमारे साथ नहीं है बता दे कि भारतीय छात्र की मृत्यु की खबर मंगलवार को आई थी इसके बाद विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में इस खबर की पुष्टि की गई साथ ही विदेश मंत्रालय की ओर से नवीन के परिवार के प्रति गहरी संवेदना भी व्यक्त की गई। नवीन के बाद बुधवार को भी एक भारतीय छात्र की मृत्यु की खबर सामने आ रही है ।

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