मध्यप्रदेश में आये चुनाव परिणामो ने पूरे देश से हैरानी वाली प्रतिक्रिया सामने आई है लेकिन जिस प्रकार से भाजपा नेताओं का आत्मविश्वास चुनाव से पहले और चुनाव के बाद था मतदान के बाद आये एक्जिट पोल ने उसे पंख लगा दिये जिसे चुनाव परिणामो न सच साबित कर दिया। यह सही है कि तीन महीने पहले तक प्रदेश में कांग्रेस हर स्तर पर भाजपा से आगे थी लेकिन कांग्रेस की घोष्णाओं को योजनाओं में बदलकर भाजपा ने जहां मतदाताओं को सनातन की ओट से निकलने का मौका नहीं दिया तो केंद्रीय नेतृत्व ने 20 साला सरकार की एंटी इनकमबेंसी को भांप कर मतदाताओं के सामने मुख्यमंत्री पद के आठ चेहरे दिखा दिये । बूथ मेनेजमेंट,लाड़ली बहना और पीएम मोदी के चेहरे का जादू एसा चला कि भाजपा से नाराज मतदाता जिनके दम पर प्रदेश में कांग्रेस की लहर चली थी उन्होने भी अंतिम समय में अपना वोट डालते समय शिवराज या कमलनाथ का नहीं वरन मोदी और कांग्रेस को सामने रखा और नतीजा सबके सामने है।मध्यप्रदेश में लगभग हर जिले से भाजपा ने पुराने रिर्काड तोड़े है सागर में भी बहुत पहले से रहली और खुरई को छोड़कर कोई भी विधानसभा भाजपा के लिये सुरक्षित नही मानी जा रही थी लेकिन भाजपा ने आचार संहिता की घोषणा से पहले ही जैसे ही सूची जारी करने का सिलसिला जारी किया उसमेे जिले में भाजपा के लिये सबसे कमजोर माने जाने वाली बंडा और देवरी विधानसभा जहां पहले से ही कांग्रेस के विधायक थे उन पर अपने प्रत्याशी घोषित किये , बंडा से जहां जातिवाद के लोहे को लोहे से काटने का निर्णय काम कर गया तो देवरी में 10 साल से विधायक हर्ष यादव को हराने की पटकथा लिखने का काम एक साल पहले ही शुरू हो गया था जहां कांग्रेस के पूर्व विधायक और पूरे क्षेत्र पर पुरानी पकड़ रखने वाले बृजबिहारी पटैरिया ने कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक को ध्वस्त करते हुए नये जातिगत समीकरण बनाकर बड़ी जीत दर्ज की और इसके लिये दोनो विधानसभाओं में पर्याप्त समय मिला। रहली और खुरई में भाजपा की जीत तय थी दोनो विधानसभाओ में हुए विकास कार्याे ने क्षेत्र की तस्वीर बदली है इससे इतर प्रत्याशी चयन और दोनो विधानसभाओं में व्यक्तिगत आरोपों ने भाजपा की लीड को बढाने का काम ही किया ।
सुरखी विधानसभा सागर जिले की सबसे टक्कर के चुनाव वाली विधानसभा मानी जा रही थी और एंसा साबित भी हुआ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत जिले में सबसे कम मतो से अंतिम समय में जीत दर्ज करा पाये शुरू में कमजोर माने जाने वाले नीरज शर्मा अंत में खासा जनसर्मथन जुटाने में कामयाब रहे । समानांतर विकास कार्याे के बाद भी सुरखी में कांग्रेस को मिला सर्मथन भाजपा के लिये समीक्षा का विषय है कि आखिर कौन से व्यवहारिक पक्ष में कमी के कारण एसे हालात निर्मित हुए। सागर कि चर्चित नरयावली और सागर विधानसभा में शुरूआत से ही कभी प्रत्याशी बदलाव की चर्चा रही तो कांग्रेस की जीत के कयास लेकिन भाजपा ने कांटे के मुकाबले में अपने तीन बार के विधायकों को बदलने का जोखिम नहीं उठाया और सागर विधायक शैलेन्द्र जैन और नरयावली विधायक प्रदीप लारिया ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर संगठन के निर्णय को सही साबित किया सागर में चुनाव प्रचार के दौरान कई दफा भाजपा के लिये संशय की स्थिति बनी लेकिन विधायक शेलेन्द्र जैन की मजबूत जमावट, भरोषेमंद टीम, और र्स्माट सिटी परियोजना के अंर्तगत जमीन पर दिखने वाले बड़े विकास कार्याे ने भजपा को बड़ी जीत दिलाई । नरयावली विधानसभा में भी पूरे प्रचार के दौरान कांग्रेस का भारी हल्ला रहा तीन बार के पुराने प्रतिद्धंदियो के बीच इस बार मुकाबला दिलचस्प रहा लेकिन कांग्रेस में टिकिट के दावेदारों की नाराजगी से खुला विरोध सामने आया तो दोनो प्रत्याश्यिों की व्यक्तिगत छवि ने भी मतदाताओं को प्रभावित किया जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ। नरयावली में भाजपा की सोशल मीडिया की भूमिका भी अहम रही जिसने न सिर्फ विधायक लारिया पर किये गये दुष्प्रचार का जबाब उसी अंदाज में दिया बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं और नरयावली में बीते दशकों में हुए विकास कार्याे को गिनाकर जनता के सामने तुलनात्मक दृष्टिकोण रखा जिसका फाायदा भाजपा को मिला। जिले की बीना विधानसभा एकमात्र एंसी सीट है जहां कांग्रेस की जीत पर किसी को आश्चर्य नहीं विधायक महेश राय पिछली दफा भी बहुत कम अंतर से चुनाव हारे थे और इन चुनावों मे भी उन्हे प्रत्याशी बनाये जाने के साथ ही कांग्रेस का पलड़ा भारी हो गया था।
अभिषेक तिवारी
संपादक भारतभवः
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