कलमदार

सावरकर को क्यों छेड़ते हैं राहुल…?

भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने यात्रा का आधा रास्ता तय करने के बाद एक बार फिर सावरकर को छेड़ कर तमाशा देख रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि ये राहुल का लड़कपन है तो कुछ लोग समझते हैं कि ये राहुल की अपनी रणनीति है। बिखरते देश को जोड़ने के लिए देश की डेढ़ हजार किलोमीटर की यात्रा पर निकले राहुल की यात्रा का घोषित लक्ष्य राजनीति नहीं है, लेकिन ये हकीकत नहीं है।जब कोई राजनीतिक व्यक्ति किसी अभियान पर निकलता है तो उसके राजनीतिक निहितार्थ तय होते ही हैं। राहुल गांधी के भी हैं,और जो ऐसा न होता तो वे दूसरी बार विनायक दामोदर सावरकर को क्यों घसीटते ? सब जानते हैं कि भाजपा जब से सत्ता में आई है तभी से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का विकल्प खोज रहीं हैं। भाजपा ने इसी वजह से हिंदुत्व की राह पकड़ी है। भाजपा ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्याय के बजाय विनायक दामोदर सावरकर का सहारा लिया। सावरकर साहित्यकार भी हैं, स्वतंत्रता सेनानी भी हैं और हिन्दू नेता भी। लेकिन वे बेदाग नहीं है। सावरकर को माफीवीर कहा जाता है।कल भी,आज भी और कल भी माफीवीर ही रहेंगे। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सावरकर भाजपा की दुखती रग हैं । महाराष्ट्र में तो सबके अपने -अपने सावरकर हैं। एनसीपी के अलग,शिव सेना के अलग और भाजपा के अलग। कांग्रेस के अलग।अब इन्ही सारवरकर को चर्चा में लाकर राहुल गांधी ने कांग्रेस का भला किया है,या भाजपा का, ये विवाद का विषय है।

राहुल ने सावरकर को उसी महाराष्ट्र में छेड़ा है, जहां वे माफीवीर नहीं वीर सावरकर हैं।वीर सावरकर को उस समय भी छेड़ा है जब गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राहुल गांधी यात्रा को विराम देकर गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं राहुल हिमाचल प्रदेश नहीं गये थे। वहां के लिए उन्हें सावरकर की जरूरत भी नहीं पड़ी। जाहिर है जहां हिंदुत्व का ध्रुवीकरण होता है या होने की संभावना है वहीं राहुल को वीर सावरकर चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा पर सतत् निगाह रखने वाले दस, पांच लोग नहीं हैं। लाखों, करोड़ों लोग हैं।इन सबका मानना है कि यदि ये यात्रा भटकी तो देश लंबे समय के लिए राजनीतिक ‘कोमा’ में जा सकता है, इसलिए राहुल को असली मुद्दों से भटकना नहीं चाहिए । राहुल गांधी ही भावी राजनीति की धुरी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी भाजपा को ज्यादा से ज्यादा पांच साल और दिशा दे सकते हैं, इसके बाद तो भाजपा का वही हश्र होना है जो आज कांग्रेस का हो रहा है। हासिए पर पहुंच चुकी कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा ने बीते पचहत्तर दिन में बहुत कुछ दिया है।इस यात्रा से देश भी जुड़ रहा है और कमोवेश कांग्रेस भी प्राणवायु हासिल कर रही है। सावरकर का नाम कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद होगा अभी कहना कठिन है। खुद कांग्रेस को पता नहीं है कि उसे सावरकर क्या देकर जाएंगे ? पिछले चार दशक से देश की राजनीति में सक्रिय भाजपा कल से अब तक हिंदुत्व के सहारे ही राजनीति में खड़ी है। विकास, रोजगार, समरसता से भाजपा का उतना ही लेना देना है , जितना खाने में नमक का होता है। ऐसे में कांग्रेस देश की राजनीति को नयी करवट कैसे दिलाएगी ये भी सामने आना जरूरी है। मुझे लगता है कि आने वाले तीन महीने में यात्रा का समापन होने तक समूचा परिदृश्य स्पष्ट हो जाएगा। ये भी जाहिर हो जाएगा कि प्रेम और जंग में सब जायज है अथवा नहीं। भारत जोड़ो यात्रा में हर दिन सियासी और गैर सियासी लोगों की भागीदारी से एक बात जाहिर है कि राहुल की दिशा कम से कम अभी तक तो सही है। आगे की भगवान जानें।हम तो इतना जानते हैं कि भाजपा इस यात्रा में खलल डालने की गलती कभी नहीं करेगी, क्योंकि ये रथयात्रा नहीं पदयात्रा है। ये यात्रा किसी मंदिर के लिए नहीं देश के लिए है।

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश  । 

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

17 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

3 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

5 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

6 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago