लोकतंत्र-मंत्र

संसद का विशेष सत्र : लोकतंत्र की गणेश पंचमी

इस बार न टीवी पर रात 8 बजे प्रधानमंत्री जी प्रकट हुए और न देश पर कोई संकट नजर आया लेकिन सरकार ने संसद के विशेष सत्र को आहूत करने की घोषणा कर दी । संसद के विशेष सत्र से सांसदों को चौंकना चाहिए लेकिन इस बार जनता भी चौंकी है क्योंकि संसद का विशेष सत्र ठीक गणेश चतुर्थी के दिन आयोजित किया गया है । संसद का ये विशेष सत्र चूंकि पांच दिन का है इसलिए आप इसे लोकतंत्र की गणेश पंचमी कह सकते हैं।विशेष सत्र को आप आपात सत्र भी काह सकते हैं । देश वासियों के मन में जिज्ञासा है कि आखिर अचानक देश में ऐसा क्या हो गया जो सरकार को गणेश चतुर्थी के दिन संसद का विशेष सत्र आहूत करना पड़ा ? आम तौर पर संसद तीज-त्यौहार के अवसरों पर अवकाश रखती है लेकिन इस बार जानबूझकर गणेश चातुर्थी को ये सत्र आहूत किया गया है। ये गणेश जी को खुश करने के लिए किया गया है या नाराज करने के लिए ये सरकार और गणेश जी के अलावा कोई नहीं जानता। देश जलते हुए मणिपुर पर चार्चा के लिए संसद के विशेष सत्र की मांग करती रही लेकिन तब देश की नहीं सुनी गयी । आज देश जब इस तरह की कोई मांग नहीं कर रहा तब संसद का विशेष सत्र आहूत किया जा रहा है। भला ऐसा कौन सा आसमान टूट पड़ा देश के ऊपर ?संसद के विशेष सत्र के आयोजन की खबर आने के बाद अटकलों का बाजार गर्म है । अभी तक सांसदीय कार्य मंत्री ने संसद के विशेष सत्र की कार्यसूची जारी नहीं की है । सरकार ने इस बाबद न विपक्ष को भरोसे में लिया है और न अपने सहयोगी दलों को। सहयोगी दल सरकारी पार्टी के लिए कोई महत्व नहीं रखते और विपक्ष को [ जो अब इंडिया हो चुका है ] सरकार विपक्ष नहीं ‘ घमंडिया ‘ मानती है। ऐसे में घमंडी विपक्ष से क्या बात करना ? आम तौर पर जब कोई विधानसभा भंग करना हो या जब सरकार अल्पमत में आ गयी हो तो ऐसे सत्र आहूत किये जाते हैं। फिलवक्त ऐसा कोई मुद्दा नहीं है । जितना सरकारी कामकाज था वो पिछले दिनों पावस सत्र में निबटा लिया गय। ध्वनिमत से निबटा लिया गया । विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की धज्जियां उड़ा दी गयीं । तब सवाल उठता है कि संसद के विशेष सत्र की क्या जरूरत है ? किसने कहा की सोती संसद को जगाओ !बढ़ती उम्र के साथ मेरी याददाश्त कमजोर हो रही है फिर भी मुझे जहाँ तक याद आता है कि संसद का विशेष सत्र तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए फरवरी 1977 में राज्यसभा का दो दिन का विशेष सत्र आयोजित किया गया था.सन 1991 में अनुच्छेद 356(3) के प्रावधान के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए भी एक और दो दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया। यूपीए शासन के दौरान वामपंथी दलों द्वारा तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। संविधान दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे अन्य विशेष अवसरों को मनाने के लिए दोनों सदनों के कई विशेष सत्र आहूत किये गए। स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अगस्त 1997 से सितंबर 1997 तक संसद का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था।
                                                    इस समय देश में एक स्थायी किन्तु भ्रमित और भयभीत सरकार है ,सरकार को विश्वश सत्र आहूत करने का संवैधानिक अधिकार है इसलिए उसे चुनौती नहीं दी सकती और दी भी नहीं जाना चाहिए किन्तु इस फैसले पर पूरे देश में बहस की जाना चाहिए ताकि अफवाहों का दौर समापत हो सके। अभी अफवाह है कि 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस विशेष इस सत्र में पांच बैठकें होंगी। संसद के इस विशेष सत्र में मोदी सरकार ‘एक देश-एक चुनाव पर विधेयक लेकर आ सकती है। जैसा कि मायने पहले ही कहा कि सरकार के पास पूर्ण बहुमत है इसलिए वो विपक्ष की मर्जी और विरोध की परवाह किये बिना जो क़ानून बनाना चाहे बना सकती है। विपक्ष संसद में आये या न आये इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं ह। विपक्ष आकर हंगामा करे तो भी सरकार के पास विधेयक पारित कराने के लिए मेजें थपथपाकर [ध्वनिमत ] से पारित करने की असीमित शक्ति है। इसलिए इस सत्र की कोई जरूरत नहीं थी । इस काम पिछले पास सत्र में भी किया जा सकता था,लेकिन इससे देश और दुनिया चौंकती नहीं। गणेश जी व्यथित नहीं होते।मुझे लगता है कि ये विशेष सत्र विशेष कार्यों के लिए विधेयक पारित करने के साथ ही नए संसद भवन में संसदीय कार्य का श्रीगणेश करने के लिए भी आयोजित किया जा रहा ह। मुमकिन है किसी राष्ट्रवादी ज्योतिषी ने सरकार को बताया हो कि गणेश चतुर्थी के दिन नए संसद भवन में प्रवेश करने से गणेश जी खुश होकर सरकार कि ‘ घमंडिया ‘ उर्फ़ ‘ इंडिया ‘ से निबटने का वरदान दे सकते है। गणेश चतुर्थी के दिन से संसद के विशेष सत्र के आयोजन को लेकर शिवसेना [ठाकरे] और [यूबीटी के नेता भले ही भड़क रहे हों और इस फैसले को हिन्दू विरोधी कह रहे हों किन्तु इससे भाजपा और उसकी सरकार के हिंदुत्व पर कोई असर होने वाला नहीं है।आपको याद दिला दूँ कि माननीय मोदी जी की सरकार और उनकी माननीय पार्टी भाजपा देश में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर एक लम्बे बहस चला रही है । इसी साल जनवरी में विधि आयोग ने इसे लेकर राजनीतिक दलों से छह सवालों के जवाब मांगे थे।सरकार इसे लागू कराना चाहती है तो वहीं कई राजनीतिक दल इसके विरोध में है। अटकलों के मुताबिक संसद के विशेष सत्र के दौरान यूसीसी और महिला आरक्षण विधेयक भी पेश किए जा सकते हैं। बहरहाल सरकार के मन में क्या है ये सरकार और भगवान के अलावा कोई नहीं जानता। पूरे देश को प्रार्थना करना चाहिए कि संसद के विशेष सत्र में ऐसा कुछ विशेष न हो जो देश के संसदीय इतिहास को कलंकित कर दे।वैसे भी भारतीय लोकतंत्र बीते कुछ दशकों में चमका कम है कलंकित ज्यादा हुआ ह। कांग्रेस के राज में घोटालों की वजह से और भाजपा के राज में समाज में नफरत की फसल को सरकारी संरक्षण दिए जाने की वजह से। आपको याद होगा कि मणिपुर काण्ड के बाद दुनिया की तमाम सांसदों में हमारी निंदा की गयी और हम न संसद के पावस सत्र में बोले और न लाल किले की प्राचीर से। लेकिन अब हम चाहते हैं कि गणेश जी सभी पर कृपा करें।
राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

कंगाल मध्यप्रदेश में माल ही माल

कर्ज में गले-गले तक डूबी मध्यप्रदेश में धन की कोई कमी नहीं है। मप्र की…

7 hours ago

क्षत्रिय समाज शिक्षित बने,कमजोरों को सहायता देकर बराबरी पर लाए -विधानसभा अध्यक्ष तोमर

भारत मां का वैभव स्थापित करने युवा राष्ट्रवाद की ओर बढ़ें- विधानसभा अध्यक्ष तोमर क्षत्रिय…

7 hours ago

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

1 day ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

4 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

5 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

7 days ago