उमा भारती ने जनवरी से अपने अघोषित चुनाव अभियान का आरंभ किया चुनावी साल की शुरुआत से ही सांप्रदायिकता का वातावरण बनने लगा। धार की भोजशाला में हिंदुओं द्वारा शुक्रवार को पढ़ने वाली बसंत पंचमी पर पूजा की मांग की जाने लगी नतीजा यह हुआ कि समूचे धार जिले में कर्फ्यू लगाना पड़ा। गंजबासौदा में भी हिंदू मुसलमान दंगों की शुरुआत उसी समय हो गई इसके अलावा राजगढ़ में भी सांप्रदायिक तनाव के बाद कर्फ्यू लगाना पड़ा इस तरह के दंगे भाजपा के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण करते रहे हैं। तभी भाजपा के युवा तुर्क कहे जाने वाले कमल पटेल ने उज्जैन से जनवरी 2003 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की परिवर्तन यात्रा निकाली ।
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आडवाणी जब 15 मार्च 2003 को भोपाल आए उस दिन उन्होंने विधिवत घोषणा की कि मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा जाएगा भोपाल में उमा भारती को मध्य प्रदेश की कमान दी गई तभी शिवराज सिंह चौहान का भी कद बढ़ाया गया । वे विदिशा से सांसद थे ही , पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री भी बना दिया सच बात तो यह है कि पार्टी उन्हें बहुत पहले से मुख्यमंत्री बनाने का सोच चुकीथी कई मायनों में पार्टी के आदर्श कार्यकर्ता थे। तभी उन्हें मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव में उतारा गया यह सब कदम उन्हें राजनीति में एक निश्चित कद देने के लिए थे।
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