लोकतंत्र-मंत्र

क्या सर्दी में गर्मी का अहसास कराएगी संसद…!

सड़कों पर हो रही कुश्ती के बाद अब सर्दी में गर्मी का अहसास करने के लिए पूरा देश संसद के शीतकालीन सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। हिमाचल और गुजरात के मौसम का असर भी संसद के माहौल को प्रभावित करेगा।संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है। संसद के पिछले सत्र से लेकर अब तक देश में बहस के लिए अनेक मुद्दे पक रहे हैं।सारा दारोमदार विपक्ष पर है।विपक्ष में भी कांग्रेस पर ही सबकी नजर है, क्योंकि कांग्रेस ही इस समय तमाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर सड़कों पर कदमताल कर रही है। दुर्भाग्य ये है कि हमारी संसद मुद्दों पर बहस के बजाय हंगामा करने में यकीन करती है। कभी -कभी लगता है कि हमारे सांसदों को हंगामा करने के लिए ही चुना जाता है और सांसदों को वेतन भी इसी हंगामे का मिलता है। वैसे यदि संसद चाहे तो बहस के लिए तमाम मुद्दे हैं। बेरोज़गारी, किसानों के लिए एमएसपी क़ानून की गारंटी, मूल्यवृद्धि और महंगाई, साइबर क्राइम, आरटीआई, मनरेगा, वन अधिकार अधिनियम, चीन के साथ बरकरार तनाव, संवैधानिक संस्थाओं के कामकाज में सरकार का हस्तक्षेप काबिले बहस मुद्दे हो सकते हैं।

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कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र के लिए बैठक भी बुलाई। कांग्रेस के नये रणनीतिकार जयराम रमेश के मुताबिक मोरबी पुल के गिरने ,न्यायपालिका और सरकार के बीच में जो तनाव, डॉलर के संदर्भ में रुपये के मूल्य में आई गिरावट, आर्थिक स्थिति , उत्तर भारत में वायु प्रदूषण, कश्मीर पंडितों की टारगेट किलिंग जैसे मुद्दों पर बात हुई.” आपको याद होगा कि 22 महीने से चीन के साथ सीमा पर तनाव बरकरार है लेकिन इस पर संसद में बहस नहीं हुई है. जब नवंबर 1962 में, आज से ठीक साठ साल पहले, चीन का आक्रमण हुआ था तब संसद में बहस हुआ करती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री सब की बातें सुना करते थे जवाब देते थे. आज की स्थिति देखिए, पिछले दो साल से विपक्ष कोशिश कर रहा है कि बहस हो लेकिन बहस के लिए सरकार राजी नहीं है । गुजरात चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच नयी कड़वाहट पैदा हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विभीषण का अग्रज बता दिया था मोदी जी समेत पूरी भाजपा खड़गे के आक्रमण से विचलित हो कर गुजरात में गली -गली दस्तक दे रहे हैं। बात नेताओं की औकात तक आ पहुंची है। बहस के रंग कैसे होंगे, देखते रहिए, क्योंकि अब नेताओं के छुईमुई होने पर भी बहस हो सकती है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक़ संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इस बार मौजूदा भवन में ही सत्र आयोजित किया जाएगा. वहीं इस सत्र में बहु-राज्य सहकारी समितियों की जवाबदेही बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने वाले बिल समेत 16 नए बिल पेश करने की योजना बनाई है. सत्र 29 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान 23 दिनों में 17 बैठकें होंगी. संसद का यह पहला सत्र, जिसमें राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उच्च सदन की कार्यवाही करेंगे।

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश  । 

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