प्रिय पाठको
किसी भी सभ्यता, संस्कृति के अस्तित्व और विकास की संभावनाओं की जड़ उसके इतिहास में निहित होती है । आज के सोशल मीडिया के भ्रामक दौर में जहां राजनैतिक , सामाजिक और सांस्कृतिक तथ्यों को प्रदूषित करना चलन हो चला है, तब आज की युवा पीढी को अपने इतिहास की सत्य एवं सारगर्भित प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतभवः देश – प्रदेश के प्रसिद्ध इतिहासकारों एवं लेखकों की कृतियों के संदर्भो को आप तक पहुँचाने के लिये प्रयासरत है। इस तारतम्य में सबसे पहले मध्यप्रदेश के संपूर्ण राजनैतिक इतिहास को अपनी किताब ” राजनीतिनामा मध्यप्रदेश “ के संस्करण में पिरोने वाले पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक श्री दीपक तिवारी की ख्यातिप्राप्त किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” से हम विशेष कालम ” हमारा इतिहास” की शुरूवात कर रहें है। धन्यवाद।
अध्याय 1 : मध्यप्रदेश राजनीतिनामा
1 नवंबर 1956 को जिस समय मध्यप्रदेश का जन्म हुआ , वह अमावस्या की रात थी। राज्यपाल डॉक्टर भोगराजू पट्टाभि सीता रमैया जब आधी रात को पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल को लाल कोठी कहे जाने वाले आज के राजभवन में शपथ दिला रहे थे , तभी किसी ने याद दिलाया कि ”आज तो अमावस्या की रात है”। शपथ ले रहे शुक्ल पहले तो थोड़ा असहज हुए फिर बोले “पर अन्धकार मिटाने के लिए हजारों दिए तो जल रहे हैं “ वह शपथ वाली रात दीपावली की भी रात थी।
अमावस्या की रात का कुछ असर था या नहीं कौन जाने इसे विधि का विधान ही कहा जाएगा कि उस दिन के ठीक 2 महीने बाद 31 दिसंबर 1956 को रविशंकर शुक्ल चल बसे, वह दीपावली उनकी आखिरी दीपावली बन गई । 1 नवंबर को शपथ वाले दिन ही 80 साल के शुक्ल उसी साल उसी शाम को पुराने मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर से भोपाल जीटी एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के कुएं में बैठकर पहुंचे थे। उनका जगह-जगह स्वागत हुआ, इटारसी रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक अभिनंदन किया गया । जब वे भोपाल पहुंचे तो स्टेशन से उन्हें जुलूस की शक्ल में ले जाया गया । नागपुर राजधानी में रविशंकर शुक्ल 1946 के मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में रहे थे यह प्रदेश जिसमे विदर्भ के कई जिले शामिल थे ,आजादी के पहले सेन्ट्रल प्राविन्स और बरार के नाम से जाना जाता था। 1 नवंबर 1956 को ही शपथ लेने से पहले राज्यपाल सीतारमैया को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिदायतुल्ला ने शपथ दिलाई। इसके पहले सीतारामय्या , रविशंकर शुक्ल के साथ नागपुर में भी राज्यपाल थे। मध्यप्रदेश के पहले मंत्रिमंडल में 12 कैबिनेट और 11 उप मंत्री थे। क्रमश: