मध्यप्रदेश के जन्म का एक विचित्र संयोग था यहां के रहने वालों ने कभी किसी ऐसे प्रदेश की मांग नहीं की थी लेकिन जब आंध्र प्रदेश में दिसंबर 1952 में श्री राम आलू नाम के व्यक्ति एक व्यक्ति तेलुगु भारतीय राज्य की मांग को लेकर भूख हड़ताल करते हुए मर गया और आपका आंध्रप्रदेश बना दिया तब देश के बाकी इलाके भी स्थाई आधार पर राज्य की मांग करने लगे कांग्रेस पार्टी जो कि सन 1920 से भाषाई आधार पर राज्यों को बनाने की बात कर रही थी आजादी के बाद बदल गई थी ऐसा उसने 1948 के एस के धर कमीशन की सिफारिश पर किया लेकिन जब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने मराठी भाषा के लोगों के लिए महाराष्ट्र राज्य की मांग की और आंध्रप्रदेश की घटना हो गई तब सुप्रीम कोर्ट के जज सर सैयद फजल अली की अध्यक्षता और क्वालाम माधव पणिक्कर एवं डॉ ह्रदयनारायण कुंजरू की सदस्यता में राज्य पुनर्गठन आयोग सन 1955 में बना दिया गया । इस आयोग ने 1,52,250 अभ्यावेदनों पर विचार किया और यह मेमोरेंडम व्यक्तियों और संस्थाओं ने दिए थे आयोग 104 स्थानों पर गया और 38000 लंबी यात्रा की ।
राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपनी 267 पन्नो की रिपोर्ट में भाषाई आधार पर 16 राज्य और 3 केंद्र शासित राज्यों की सिफारिश की। मध्य प्रदेश के संबंध में आयोग ने केवल इतना किया कि जो छोटे राज्य थे और बाकी के राज्यों से बचे हिस्से को जोड़कर नया राज्य बना दिया। इस तरह पुराने मध्य प्रदेश के महाकौशल ,छत्तीसगढ़ के 14 जिले ,विंध्य प्रदेश, मध्य भारत,भोपाल राज्य और राजस्थान की सिरोंज तहसील की अदला-बदली मंदसौर के सुनेल टप्पा से करके नया प्रदेश बना दिया गया । जवाहरलाल नेहरू ने जब राज्य का नक्शा देखा तो कहा यह क्या की तरह दिखने वाला राज्य बना दिया उस दौर में हिंदू महासभा ने नए मध्यप्रदेश के निर्माण का विरोध किया। इधर उधर से काट कर के जो प्रदेश बना वह लोगों को लोगों का अपना प्रदेश सही मायनों में आज तक नहीं बन पाया इसलिए सन 2010 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अभियान चलाया आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश जो भावनात्मक एकता के लिए एक प्रयास था क्योंकि जब बिहार के निवासी बिहारी, राजस्थान के राजस्थानी ,पंजाब के पंजाबी और उड़ीसा के उड़िया हो सकते हैं तो यहां के लोग रेवाड़ी ,मालवीय, बुंदेलखंडी ,निमाड़ी क्यों रह गए । माना जाता है कि भावनात्मक रूप से परिवर्तित नहीं हो पाई राज्य पुनर्गठन आयोग ने भी इस बात को अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था इसी भावनात्मक एकता की कमी के कारण हुआ।