कलमदार

मोदी की मनसा पर, नडडा का ठप्पा…!

इन दिनों केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आठ सालों में किये गये कार्यों को जनता के सामने परोस रही है इनमें से कुछ काम निर्विवाद रूप से एतिहासिक कहे जा सकते है तो कुछ अति आत्मविश्वास में लिये गये आत्मघाती कदम । लेकिन ये सभी सत्ता और सरकार के स्तर पर है । संगठन के स्तर पर भाजपा ने जो प्रमुख बदलाव और सख्त रवैया अपनाया है वह है वंशवाद की राजनीति पर अंकुश लागाना। इसका आगाज उत्तरप्रदेष के पिछले विधानसभा चुनावों से माना जाता है। जहाँ प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूचि दिखते हुए कई राजनेताओं के पुत्रों को टिकिट नहीं मिलने दिया था ।
एंसा मन  जा  रहा  है कि अब प्रधानमंत्री मोदी की नजर सत्ता और सरकार के साथ साथ संगठन पर भी जा टिकी है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण वंशवाद की राजनीति पर प्रधानमंत्री मोदी अपनी व्यक्तिग राय को सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके है और इसे लोकतंत्र के लिये सबसे बड़ा खतरा बताते आये है । अब संगठन ने भी प्रधानमंत्री की मनसा को जमीन पर उतारने का मन बना लिया है । और यदि भाजपा संगठन तात्कालीन चुनावी नफे नुकसान को दरकिनार कर सच में वंशवाद के खात्मे की इस नवीन विचारधारा को जमीन पर उतारने में कामयाब हो जाती है तो यह मीडिया की सुर्खियां बटोरने और जनता को खुश करने से ज्यादा आजाद भारत की राजनीति में एक अहम बदलाव लाने वाला कदम माना जायेगा ।

लोकतंत्र के लिये शुभ संकेत यह है कि पिछले दिनों देष के दोनो प्रमुख दलों के राश्टीय सम्मेलन में जो एक बात समान रूप से उभरकर सामने आयी वह है वंषवाद की राजनीति को रोकने के लिये संकल्पित होना । कांग्रेस के उदयपुर सम्मेलन में जहां इस बात पर मुहर लगी की एक परिवार से एक ही सदस्य को प्रत्याषी के रूप में चुना जायेगा तो भाजपा के जयपुर में हुए सम्मेलन मे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंषवाद की राजनीत को खतरा बताते हुए संगठन को सचेत किया था।
मध्यप्रदेष की राजधानी भोपाल आये भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष जेपी नडडा ने दो टूक अंदाज में वंशवाद की राजनीति पर प्रहार करते हुए भाजपा को वंशवाद, परिवारवाद और भाई भतीजावाद की राजनीति से मुक्त करने के संकेत दिये और आने वाले चुनावों में राजनैतिक परिवार के व्यक्ति को भाजपा से टिकिट न देने की बात कही और पिछले दिनों से चल रहे उहापोह पर पूर्णविराम लगा दिया। नडडा के बयान से मध्यप्रदेष के कई दिग्गज राजनेताओं के साथ साथ लंबे समय से भाजपा संगठन में कार्य एवं क्षेत्रीय राजनीति कर अपनी राजनीतिक विरासत संभालने के लिये तैयार बैठे युवा राजनेताओ और को धक्का लगा है तो संगठन स्तर पर प्रदेशअध्यक्ष को स्वतंत्र निर्णय लेने का बल मिला है ।
तात्कालिक रूप से आप भाजपा संगठन के इस निर्णय को सकारात्मक या नकारात्मक रूप में ले सकते है लेकिन जमीनी हकीकत पर ध्यान दे ंतो वंशवाद की राजनीति का काला पन्ना निकलकर सामने आता है सत्ता में बैठे मजबूत राजनैतिक नेता लोकतंत्र की चादर ओढकर अपने क्षेत्र में राजनीति के माध्यम से राजतंत्र ही चलाना चाहते है और यह सिर्फ राजनैतिक ताकत के माध्यम से ही संभव हो सकता है यही कारण है कि बचपन से उच्च श्रंणी की शिक्षा प्राप्त कर राजनैतिक परिवार के सदस्य कैरियर के अंतिम विकल्प के रूप में राजनीति को ही चुनते है । और जनता के सामने भी उन्हे जनसेवक के रूप में प्रस्तुत कर क्षेत्र के भावी राजनेता के रूप में थोपा जाता है।
वंशवाद की राजनीति लोकतंत्र को कई प्रकार से प्रभावित करती है प्रत्यक्ष रूप से जहां क्षेत्र में नये नेतृत्व को दबाया जाता है तो अप्रत्यक्ष रूप से इन सबके पीछे क्षेत्रवाद की राजनीति, विकासकार्यो में दोगलापन जैसी बाते भी सामने आती है।
बहरहाल अब लोकतंत्र के 70 साला इतिहास  में  पहली बार प्रमुख दल वंशवाद पर अपनी नीति और नीयत स्पष्ट लिये हुए है तो उन्हे संगठन के स्तर पर कुछ नियम भी तय करने होंगे जिनमें सबसे प्रमुख है राजनेताओं को एक ही क्षेत्र से प्रत्याशी बनाये जाने की सीमा तय करना हो सकता है इससे राजनीति की दिशा व्यक्ति से अधिक विचारधारान्मुखी तो होगी ही साथ ही वंषवाद और क्षेत्रवाद जैंसे लोकतंत्र को जंग लगाने वाले कारको पर भी लगाम लगेगी।

अभिषेक तिवारी

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बागेश्वर धाम की हिन्दू एकता पदयात्रा आज से प्रारम्भ

जहां देश में एक तरफ जातिगत जनगणना को लेकर वार पलटवार का दौर चल रहा…

12 hours ago

ग्राम बोधिपुर में सिद्ध स्थान राजा बाबा के यहां वार्षिक मढ़ई महोत्सव का आयोजन

देवरीकला। वीरान ग्राम बोधिपुर में सिद्ध स्थान राजा बाबा के यहां वार्षिक मढ़ई महोत्सव का…

1 day ago

कमलनाथ की हार और कुमार विश्वास का तंज

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीते साल मध्यप्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े नेता रहे कमलनाथ…

1 day ago

सागर – ई-चालान का भुगतान न करने वाले 997 वाहन चालकों पर की जाएगी सख्त कार्यवाही

यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर पांच या पांच से अधिक ई-चालान जिन वाहनों पर…

2 days ago

कलेक्टर ने की लापरवाह शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई

शिक्षा, स्वास्थ्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी - कलेक्टर संदीप जी आर   डीईओ ,डीपीसी,…

2 days ago

धीरेंद्र शास्त्री से डर गई कांग्रेस या वजह कुछ और….!

धीरेंद्र शास्त्री से डर गई कांग्रेस या वजह कुछ और....! - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री…

3 days ago