सम्पादकीय

ओबीसी आरक्षणः भाजपा के लिये पेचीदा होता पिछड़े वर्ग का पेंच

मध्यप्रदेष में पिछले पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव लगभग सात साल पहले हुए थे बीते दो वर्षो से कोरोना महामारी के बीच और बाद में पंचायती एवं निकाय चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस लगातार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे है । सुप्रीम कोर्ट में चुनाव कराने को लेकर लगाई गई याचिका पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर आकर अटक गई और लगातार नाटकीय रूप लेती हुई आज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के साथ ही अपनी परिणिति लिये हुए नजर आ रही है अंत में सुप्रीम कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही प्रदेष में पंचायती चुनाव कराने का निर्णय दिया है। इस निर्णय के नफा नुकसान में भाजपा का पलड़ा हल्का नजर आता है निर्णय के तुरंत बाद कांग्रेस के नेताओ को भाजपा पर हमलावर होने के लिये एक अहम मुददा हांथ लगता दिखाई दे रहा है जिसके परिणाम दूरगामी हो सकते है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने अहम एवं बहुप्रतीक्षित मामले पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव जल्द कराए जाने की याचिका पर फैसला सुनाते हुए निर्णय देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव बिना ओबीसी ;अन्य पिछड़ा वर्गद्ध आरक्षण के संपन्न कराये जायें साथ ही निर्देश दिए हैं कि 15 दिन के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दोनो दलों की प्रतिक्रिया भी सामने आयी है सत्ताधारी दल भाजपा के मुखिया और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का परीक्षण किया जाएगा। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण मिले इसके लिए रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी। और सरकार की पूरी कोशिष है कि प्रदेष में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नही होने चाहिये।लेकिन जहां भाजपा के अन्य नेता इस मुददे पर बैकफुट पर नजर आये वहीं कांग्रेस की ओर से निर्णय आने के तुरंत बाद भाजपा सरकार पह बयानबाजी कर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी और अपुष्ट जानकारी को आधार बनाकर सरकार पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाया गया।
इस पूरे मामले में शुरूवात से ही जुड़ें हुए कांग्रेस नेता और याचिकाकर्ता सैयद जाफर, जया ठाकुर के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने निर्णय के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत और नगरीय निकाय जल्द कराए जाने संबंधी हमारी याचिका पर चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हमारे तर्कों को सही माना है। सविधान के अनुसार पांच वर्ष में पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव होने चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश में यह तीन साल से नहीं हुए हैं। अब सरकार को चुनाव की अधिसूचना जारी करनी होगी।वहीं कांग्रेस के महामंत्री जेपी धनोपिया ने कहा कि हमने पूर्व में ही आशंका जाहिर की थी कि आधी अधूरी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण निर्धारित नहीं हो सकता है। सरकार की मंशा ही नहीं है कि पिछड़ा वर्ग को उनका हक मिले सुप्रीम कोर्ट में राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा ओबीसी की आबादी को लेकर प्रस्तुत रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है। आयोग ने 35 प्रतिशत स्थान पंचायत और नगरीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने की अनुशंसा की थी। आयोग ने दावा किया था कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं। सरकार से ओबीसी के लिए 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की सिफारिश भी की गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने टवीट कर इसे भाजपा का ओबीसी विरोधी चेहरा बताते हुए कहा है कि सरकार की नीयत ही ओबीसी विरोधी है उन्होने कहा कि शिवराज सरकार ओबीसी आरक्षण के मुददे पर शुरूवात से ही साजिष रच रही थी कि किसी भी प्रकार ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ न मिले इसीलिये सरकार द्धारा गंभीर प्रयास नही किये गये कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक इस मुददे को उठायेगी । गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनावों में पिछड़ा वर्ग का सर्मथन कांग्रेस को अधिक माना गया था जिसके दम पर कमलनाथ सरकार बनी थी अब आरक्षण के मुददे पर कांग्रेस एक बार फिर पिछड़ा वर्ग के सर्मथन की उम्मीद लगाये बैठी है। तभी कांग्रेस नेता इस निर्णय को पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय बताते हुए इसकी जिम्मेवार सरकार को बता रहे है।
मध्यप्रदेष के दिवंगत पिछडा वर्ग और किसान नेता सुभाष यादव के पुत्र और कांग्रेस नेता अरुण यादव ने भी निर्णय के बाद सरकार को जिम्मेवार बताते हुए कहा कि शिवराज सरकार की वजह से मध्य प्रदेश की 56 प्रतिशत आबादी को भाजपा सरकार के षडयंत्र के कारण अपने वाजिब अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा । उन्होने इस पूरे मसले को वर्तमान के पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों से इतर मध्यप्रदेष में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर कहा कि पिछड़ा वर्ग से ही संबध रखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी यह सौदा और षणयंत्र भविष्य में आपके लिए घातक होगा।राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंचायती नगरीय निकायों के संबंध मैं आज आ गया। यह निर्णय पूर्व निर्धारित सुप्रीम कोर्ट के नजीर आर ट्रिपल टेस्ट के मापदंड के अनुरूप है। समय रहते यदि मध्य प्रदेश सरकार निर्धारित कदम ले लेती तो ये स्थिती ओबोसी आरक्षण को लेकर नहीं होती।वहीं अब तक भाजपा इस मुददे पर रिव्यू पिटीषन दाखिल करने के अलावा किसी भी प्रकार की बयानबाजी से बच रही है ।

जातिवादी राजनीति की नई प्रयोगशाला बने मध्यप्रदेष में आने वाले विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेष में राष्टीय मुददे हिंदुत्व,   राष्ट्रवाद,  बेरोजगारी ,महंगाई से इतर ओबीसी आरक्षण एक बड़ा मुददा बनकर सामने आयेगा और दोनो ही दल प्रदेश के आधी से अधिक आबादी वाले वर्ग को साधकर ही अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहेंगे , लेकिन हाल फिलहाल इस मुददे पर कांग्रेस का पलड़ा भाजपा से भारी दिखाई देता है।

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