सरकार के गले की फांस बन गई पेट्रोल की कीमत
अनजाने ही सही लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल दौरे के दौरान पेट्रोल की कीमतों को लेकर अपनी ही सरकार को असहज कर गए। वे बोल गए कि भाजपा शाषित राज्यों में पेट्रोल की कीमत सौ रुपए प्रति लीटर से कम हैं जबकि विरोधी दलों की सरकारें लोगों से ज्यादा कीमत वसूल रही हैं। उन्होंने कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत का उल्लेख भी उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत कर दिया। संभवत: प्रधानमंत्री को नहीं मालूम था कि मप्र में पेट्रोल की कीमत 108 रुपए प्रति लीटर से भी ज्यादा है। बस क्या था, इधर मोदी का बोलना था और उधर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी सहित राज्य सरकार को घेर लिया। पेट्रोल की कीमत अब राज्य सरकार के गले की फांस बन गई है। मोदी को सही करने लिए उसे कम से कम 8-9 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल के दाम कम करना पड़ेगे। ऐसा किया तो राज्य के राजस्व को बड़ा नुकसान होगा। वैसे भी चुनावी साल में सरकार को सबसे ज्यादा पैसे की जरूरत है। उसे हर माह कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। बावजूद इसके खबर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पेट्रोल की कीमत कम करने पर विचार कर रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने वित्त विभाग के साथ प्रमुख मंत्रियों और अफसरों के साथ विचार विमर्श किया है। मुख्यमंत्री कितनी कीमत घटा पाते हैं, इस पर सभी की नजर है।
क्या सच भूपेंद्र के नाम पर पीएमओ ने चलाई कैंची
– प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे खास हैं, यह कई अवसरों पर साबित हो चुका है। हर वीवीआईपी दौरे के दौरान वे मुख्य भूमिका में रहते आए हैं। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल दौरे के दौरान वे सीन से गायब थे। स्वागतकतार्ओं में छोटे-छोटे नेताओं के नाम थे लेकिन भूपेंद्र का नाम नदारद। खबर है कि मोदी का स्वागत करने वालों में चार मंत्रियों के नाम भेजे गए थे, इनमें नरोत्तम मिश्रा, विश्वास सारंग के साथ भूपेंद्र भी शामिल थे लेकिन पीएमओ ने उनके नाम पर कैंची चला दी। सिर्फ नरोत्तम मिश्रा को बरकरार रखा। इसके पीछे दो वजह बताई जा रही हैं। पहला, आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकायुक्त ने उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की है। महाकाल लोक निर्माण में भ्रष्टाचार की आँच भी उन तक आ रही है। मोदी चूंकि इस समय भ्रष्टाचार पर हमलावर हैं। इसलिए भूपेंद्र का नाम हटाया गया ताकि विपक्ष को कोई अवसर न मिले। दूसरा, सागर जिले में मंत्रियों, विधायकों का विरोध भूपेंद्र पर भारी पड़ रहा है। प्रदेश के कद्दावर मंत्री गोपाल भार्गव तक भूपेंद्र के खिलाफ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच गए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है। केंद्रीय नेतृत्व इससे नाराज बताया जाता है।
पहली बार दिखा मोदी की हंसी का ऐसा ठहाका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ठहाका लगाकर हंसते भी हैं, मप्र में ऐसा पहली बार देखने को मिला। अवसर था शहडोल यात्रा के दौरान जबलपुर के डुमना हवाई अड्डे पर प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की आगवानी का। आमतौर पर भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा एवं विश्वास सारंग ही प्रधानमंत्री के मप्र दौरे पर आगवानी करते नजर आते हैं, संभवत: पहली बार मिनिस्टर इन वेटिंग का दायित्व गोपाल भार्गव के पास था। अक्सर प्रधानमंत्री सभी का अभिवादन स्वीकार करते, किसी से कुछ पूछते आगे बढ़ जाते हैं। इस बार नजारा कुछ अलग था। जो तस्वीर सुर्खियां बनी उसमें मोदी और भार्गव ठहाका लगाकर हंसते दिखाई पड़ रहे हैं। पास में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और अन्य नेता भी खड़े हैं। इससे साफ है कि मोदी और भार्गव के बीच कैमिस्ट्री अच्छी है। इस दिन भार्गव का जन्मदिन भी था, मोदी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके दीघार्यु होने और उज्जवल भविष्य की कामना की। भार्गव ने विनम्रता से मोदी को धन्यवाद दिया। भाजपा प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेयी ने यह फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया कि ‘इससे अच्छा जन्मदिन कैसे हो सकता है भाई साहब’। मोदी-भार्गव के बीच की यह कैमेस्ट्री कोई नया राजनीतिक गुल न खिला दे, इसलिए फोटो देखकर कई प्रतिद्वंद्वी नेताओं की ‘छाती में सांप लोट गए’।
बड़ी खबर बनी मोदी का ज्योति को साथ ले जाना
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोपाल दौरे के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को साथ ले जाना चर्चा का विषय है। ऐसा कर मोदी ने क्या संदेश दिया, इसे लेकर कई तरह की अटकलें हैं। एक चर्चा ज्योतिरादित्य को सुकून पहुंचाने वाली है तो दूसरी नींद उड़ाने वाली। मोदी के साथ उनका जाना भाजपा के कई अन्य नेताओं की नींद भी उड़ा गया है। सिंधिया को खुश करने वाली चर्चा ये है कि मोदी ने ज्योति से प्रदेश की राजनीति और उन्हें दी जाने वाली नई संभावित जवाबदारी पर बात की। प्रदेश के राजनीतिक हालात का फीडबैक लिया। इस चर्चा को मोदी की मौजूदगी में दिल्ली में हुई संगठन की बड़ी बैठक से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह, जेपी नड्डा, बीएल संतोष आदि के साथ बैठक में मोदी ने सिंधिया के साथ हुई बातचीत को शेयर किया। इस आधार पर ही सिंधिया को नई जवाबदारी को लेकर अटकलें शुरू हुई हैं। दूसरा यह कि मोदी ने सिंधिया से उनके समर्थकों की बेचैनी और मची भगदड़ पर बात की। सिंधिया से कहा कि वे अपने समर्थकों को भाजपा नेताओं के साथ तालमेल बनाने को कहें। उनकी नाराजगी दूर करें ताकि वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में न जाएं। दोनों के बीच बातचीत का सच कोई नहीं जानता, लेकिन मोदी द्वारा सिंधिया को अपने साथ ले जाना बड़ी खबर बन गई।
दमोह में आमने-सामने हो गए भाजपा के ये दिग्गज
वरिष्ठ नेता जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ की भाजपा में वापसी के साथ दमोह में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ने लगी है। सोसाइड के एक प्रकरण को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की नाराजगी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रहलाद ने अपनी सुरक्षा में दमोह पुलिस की सेवाएं लेने से इंकार कर पुलिस, सरकार और जयंत मलैया पर एक साथ निशाना साधा है। पुलिस ने आत्महत्या के एक मामले में सोसाइड नोट के आधार पर प्रकरण दर्ज किया है। जिसने सोसाइड किया और जिन पर प्रकरण दर्ज हुआ, सभी भाजपा के नेता-कार्यकर्ता हैं। खबर है कि आत्महत्या करने वाला जयंत मलैया के साथ जुड़ा था, इसलिए मलैया के कहने पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया। प्रहलाद चाहते थे कि पहले सोसाइड नोट की जांच हो, इसके बाद कार्रवाई, क्योंकि सोसाइड नोट में जिनका नाम था, वे सभी प्रहलाद से जुड़े थे। इनमें एक पार्षद और सांसद प्रतिनिधि भी है। प्रहलाद की नाराजगी के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रकरण की सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं। इससे मामला शांत होता नहीं दिखता। अब समूची दमोह भाजपा जयंत बनाम प्रहलाद में बंट गई है। सिद्धार्थ की पार्टी में वापसी ही नहीं हुई, उन्हें दमोह से तैयारी के संकेत भी दे दिए गए। यह प्रहलाद को नागवार गुजरा है। इस तनातनी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
राज-काज – दिनेश निगम ‘त्यागी’
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
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