बागीचों के नाम बदलने के साथ ही देश में पिछले आठ साल में बहुत कुछ बदला है।बदलाव के इस युग को आप नदामो युग कहा सकते हैं। हमारी सरकार के पास जादू है जादू। सरकार बिना एक पाई खर्च किए बिना अमृत उद्यान बना सकती है तो सीतारामी बजट में जादू क्यों नहीं हो सकता? सरकार का जब संसद में सीतारामी बजट पेश कर रही थी उस वक्त में सात समंदर पार कर रहा था। चालीस हजार फीट की ऊंचाई पर 800 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने में जो रोमांच होता है वैसा ही रोमांच सीतारामी बजट की घोषणाएं सुनकर इस देश की जनता करती है।हम भी कर रहे हैं,आप भी कीजिए क्योंकि श्रीमान अदाणी की कृपा से इस बजट में लोगों को ठीक वैसी ही राहत मिली है जैसी हवाई जहाज में बिजनेस क्लास और कैटल क्लास के लोगों को मिलती हैं। रेल मे यही फर्क एक्जीक्यूटिव क्लास और तृतीय श्रेणी के यात्रियों के किराए तथा सुविधाओं में होता है। अगर अगले वर्ष लोकसभा चुनाव न होने होते तो मुमकिन है कि अपने अंतिम पूर्ण बजट में केंद्र सरकार कई अहम ऐलान न करती।बजट में मध्य वर्ग को खुश करने की पूरी कोशिश की गई है ,अब 7 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त होगी। पहले यह राशि पांच लाख रुपये थी।महंगाई की मार झेल रहे मध्य वर्ग के लिए इस ऐलान को बड़ी राहत माना जा रहा है. लेकिन कोई ये नहीं बता रहा कि खरबूजा छुरी पर गिरेगा या छुरी खरबूजे पर ! आपको शायद याद होगा कि दो साल पहले, सरकार ने एक नई व्यक्तिगत कर व्यवस्था पेश की थी और करदाताओं को पुरानी और नई व्यवस्था में से चयन का विकल्प दिया था। नई घोषणा के मुताबिक इस वर्ष पेश की गई नई व्यवस्था अब डिफॉल्ट हो जाएगी । करदाता अभी भी पुरानी कर व्यवस्था के लिए अनुरोध कर सकेंगे, जो छूट की अनुमति देता है जबकि नई व्यवस्था में छूट की कोई गुंजाइश नहीं है, हालांकि इसकी कर-मुक्त सीमा 7 लाख रुपये है । महिला वित्त मंत्री होने के फायदे देश को जरूर मिलते यदि सचमुच कोई गृहणी वित्त मंत्री होती।
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सीतारमण जी को आटे -दाल का भाव पता नहीं है इसलिए वे केवल टैक्स स्लैब घटाने -बढाने के अलावा बजट में कोई जादू कर नहीं सकीं। वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच कर दी है, इसके साथ ही टैक्स छूट की सीमा भी 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी है ।अब आप इसमें जितना खुश हो सकते हैं, खुश हो लें। कोई आपको रोकने वाला नहीं है। मैडम की कृपा हुई सो व्यक्तिगत आयकर में कर की उच्चतम दर, जो वर्तमान में 42.74 प्रतिशत थी को अब घटाकर 39 प्रतिशत कर दिया गया है । इससे “15.5 लाख रुपये या उससे अधिक की आय वाले वेतनभोगी व्यक्ति को 52,500 रुपये का लाभ होगा ।” नई कर व्यवस्था में उच्चतम सरचार्ज को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा है.। पहले बजट से पहले रेल बजट आता था तो ऐसा लगता था कि पंगत से पहले जलपान कराया जा रहा है।इस सरकार ने हमारे जैसे आम आदमी से ये सुख पहले ही छीन लिया ।अब रेल मंत्री मंत्री और रेल बजट का अता पता ही नहीं चलता।रेल कोविड काल में पटरी से उतरी तो तमाम रियायतें डकारने के बाद भी पटरी पर वापस नहीं लौटी।इस बजट में’ ‘ रेलोत्थान ‘ के लिए क्या कुछ किया गया है,मै आपको बता नहीं सकता। बजट के बारे में कोई खास चर्चा न करे इसलिए माननीय अदाणी साहब का 20 हजार करोड़ का एक ऐलान सामने ला खड़ा किया गया।अब आप दो में से एक काम कीजिए कि चाहे अदाणी जी की जय बोल लीजिए चाहे सीतारमण जी की।जय तो आपको हर हाल में बोलना पड़ेगी। सरकार खुद जय श्रीराम का जयकारा लगाकर अपनी नैया पार लगाना चाहती है।जयकारे में अपूर्व शक्ति होती है।इस पर चर्चा फिर कभी।अभी तो देश को बकौल भाजपा और सरकार लोक कल्याणकारी बजट मुबारक हो।विपक्ष को ये बजट अच्छा लगे ये सवाल ही पैदा नहीं होता। अपने अनुभव से मैं कहता हूं कि सरकार बजट पर विस्तृत बहस होने ही नहीं देगी।गौतम अदाणी भाई साहब को बिजूका बनाकर संसद को उलझा दिया जाएगा। ये हों भी रहा है।अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर गुरुवार को संसद में जमकर हंगामा हुआ भी। पूरे विपक्ष ने अडाणी ग्रुप के वित्तीय लेनदेन की जांच संसदीय पैनल या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से कराने की मांग की। इस मुद्दे पर हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा को कार्यवाही शुरू होते ही अगले दिन तक के लिए स्थगित करना पड़ी।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री राकेश अचल जी जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश ।
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