इस-पन्द्रह मंत्री बनाने की सलाह नहीं मानी उमा भारती ने
इसके पहले जब बाबूलाल गौर को हटाकर शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया जा रहा था तब डा. गौरीशंकर शेजवार ने उमा भारती से कहा कि “आप निर्णय बहुमत नहीं है और समझवारी इसमें है कि आप शिवराज सिंह का समर्थन करें। अनायस आप ‘पुरु की सेना’ बन जायेंगी और आपकी वजह से आपके समर्थकों का बड़ा का और कुचल कर समाप्त हो जायेगा।” शेजवार की सलाह थी कि अपने दस-पन्द्रह मंत्री बना लिये जायें और मध्यप्रदेश में सत्ता का केन्द्र बने रहना चाहिये। लेकिन उमा भारती नहीं मानीं। उमा भारती उस समय चाहती थी कि खुद संजय जोशी उन्हें मनायें और शिवराज सिंह का समर्थन करने के लिए उन्हें राजी करें। लेकिन संजय जोशी भी हठधर्मी थे, उन्होंने जब उमा भारती की यह मंशा जानी तब उन्होंने भी घोषणा की कि हम उमा भारती को फ्लोर पर ही कुचलेंगे। शेजवार की यह सलाह यदि उमा भारती मान जाती तो शायद मध्यप्रदेश में भाजपा का इतिहास कुछ अलग होता। भोपाल से निकलकर उमा भारती ने अपनी अयोध्या यात्रा का नाम दिया ‘राम रोटी यात्रा।’ पदयात्रा चौथे दिन रायसेन पहुंची। डा. शेजवार ने रायसेन में एक बड़े शक्ति प्रदर्शन का आयोजन किया। उसके बाद उमा भारती जब सागर पहुंची, तब तक उन्हें भरोसा था कि पार्टी उन्हें मना लेगी। लेकिन इस बार पार्टी ने भी पक्का इरादा कर लिया था कि उमा भारती के दबाव में वह अब नहीं आयेगी।
सेक्स सीडी ने संजय जोशी का कैरियर खत्म किया
इस बीच धक्के देकर उमा भारती को भोपाल में पार्टी विधायक दल की बैठक से निकालने के ठीक 29 दिन बाद पार्टी के संगठन महामंत्री संजय जोशी खुद भाजपा से बाहर हो गये। भाजपा के मुम्बई में राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले उनकी एक सेक्स स्कैंडल की सीडी अचानक बाहर आ गई। इस सीडी में प्रचारक संजय जोशी, जिन्होंने आजीवन ब्रम्हचर्य का व्रत लिया था एक महिला के साथ कथित तौर पर अंतरंग क्षणों में दिखाई दिये। उमा भारती अपनी राम-रोटी यात्रा में ही थीं कि तभी इस सीडी की खबर आयी। इस खबर ने उमा भारती को संजय जोशी पर एक नैतिक दबाव बनाने का अवसर दे दिया। उन दिनों उमा भारती के समर्थक कहते कि “दीदी को मुख्यमंत्री पद से हटाने में प्रमोद महाजन और संजय जोशी की प्रमुख भूमिका थी।” उल्लेखनीय है कि प्रमोद महाजन को उनके हीछोटे भाई ने पारिवारिक मामले में गोली मार दी थी वहीं संजय जोशी सीडी कांड में जाते रहे। यह सीडी उन दिनों की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई। संजय जोशी, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोधी माने जाते थे। डेढ़ घंटे की यह वीडियो शूटिंग जासूसी कैमरे से एक होटल में रिकार्ड की गई थी। यह सीडी उन दिनों गुजरात से पूरे देश में कोरियर के माध्यम से भेजी गई। इसके अलावा एमपी नगर, भोपाल की एक कोरियर कमली का भी इस्तेमाल किया गया जिस पर सुल्तानिया रोड का पता लिखा था। इसी समय एक और ऑडियो सीडी भी आई जिसमें एक महिला और संजय जोशी के कथित संवाद थे। कहते हैं कि वह महिला बड़ौदा की रहने वाली थी और उसके संजय जोशी से संबंधों के बारे में नरेन्द्र मोदी को पता था। संजय जोशी गुजरात में एक समय पदाधिकारी रहे थे और नरेन्द्र मोदी से उनकी खींचातानी जगजाहिर थी। बाद में इस सीडी के मामले में खुद संजय जोशी ने मध्यप्रदेश पुलिस को एक शिकायत की और जांच करने का आग्रह किया। कई सालों बाद विश्व हिन्दू परिषद के प्रवीण तोगड़िया ने भी कहा कि संजय जोशी की सीडी गुजरात में ही बनी थी। उन्हीं दिनों अचानक एक महिला जिसका नाम भुवनेश्वरी चित्ते था सामने आईं और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सीडी में दिखने वाली महिला वह नहीं हैं। उसने बताया कि सीडी कांड में जब उनका नाम लिया जा रहा था तब उन्होंने नरेन्द्र मोदी समर्थक जीतू सुखाड़िया और प्रदीप जोशी की सलाह पर अपना घर छोड़ दिया था। उन्होंने उस समय एक लिखित वक्तव्य भी जारी किया। भुवनेश्वरी का इस तरह से सामने आना पूरे मामले को लगभग खोलकर चला गया। उसके बाद इस सीडी कांड में कोई सस्पेंस नहीं बचा।
संजय जोशी सीडी कांड की जांच मध्यप्रदेश पुलिस को
सीडी की जांच तत्कालीन डीजीपी स्वराजपुरी ने सीआईडी और अपने एक विश्वस्त आईजी को सौंपी। आईजी साईबर क्राईम के विशेषज्ञ माने जाते थे। सीडी मामले के मात्र बीस दिन के अंदर ही मध्यप्रदेश पुलिस ने सीआईडी जांच में संजय जोशी को क्लीनचिट इस आधार पर दे दी कि संजय जोशी ने जो सीडी पुलिस को सौंपी है। उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। जांच के उपरांत पुलिस ने तकनीकी आधार पर संजय जोशी को नहीं बल्कि उनकी दी गई सीडी को एक तरह की क्लीनचिट दी। जांच में कहा गया कि सीडी के साथ छेड़छाड़ की गई है। यह टेम्पर्ड है। कुल मिलाकर जांच की गई सीडी की, न कि पूरे मामले की। संजय जोशी ने पुलिस को कतिपय लोगों द्वारा उनकी ब्लैकमेलिंग की शिकायत की थी। जांच में जब उनके द्वारा दी गई सीडी ही नकली पाई गई तो आगे जांच का मतलब ही नहीं था। सीआईडी ने वह सीडी हैदराबाद भी भेजी वहाँ से भी यही रिपोर्ट आ गयी कि सीडी के साथ छेड़छाड़ हुई है। कुल मिलाकर पुलिस ने जब मामला खत्म किया तो अखबारों में इस तरह से छपवाया गया कि मानों संजय जोशी बरी हो गये हों। इससे संजय जोशी को फौरी तौर पर राहत तो मिली किन्तु पार्टी की मुख्य धारा में वे वापस नहीं लौट सके। सीडी कांड में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने संजय जोशी की भरपूर मदद की। यहाँ तक कि वे अपना वर्षांत का छुट्टी दौरा रद्द करके भोपाल वापस आये और डीजीपी को विशेष निर्देश दिये। जिस तरह से शिवराज सिंह ने पूरे प्रकरण में संजय जोशी की मदद की उससे नरेन्द्र मोदी को बहुत अच्छा नहीं लगा। लेकिन शिवराज ने संजय जोशी को अपना कर्ज अदा कर दिया। उसके बाद अचानक पार्टी में इस तरह की सीडी आने की परम्परा चालू हो गई। उन्हीं दिनों मंदसौर के भाजपा अध्यक्ष काडूलाल सोनी की आपत्तिजनक सीडी आई तो पार्टी ने उन्हें पद से मुक्त कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” ( भाजपा युग ) से साभार ।