मध्यप्रदेश में मंत्रियो के आयकर को लेकर एक नई बहस शुरू हो चुकी है गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में मंत्रियो का आयकर सरकारी खर्च से भरा जाता है जबकि मंत्रियो की औसत संपत्ति भी करोडों रूप्ये में है। इसी बात को लेकर मुददा गरमाया है कि जब उत्तरप्रदेश , पंजाब जैसे राज्य इस परंपरा को सालों पहले समाप्त कर चुके है ,तो मध्यप्रदेश में मंत्रियो का आयकर जनता की कमाई से क्यों भरा जाना चाहिये ,जबकि प्रदेश का छोटा कर्मचारी भी अपना आयकर खुद भरता है। हर साल मंत्रियों का आयकर भरने में सरकारी राशि का उपयोग क्या सही है ? फिलहाल कई राज्यों ने इस परंपरा को खत्म कर दिया है लेकिन मध्यप्रदेश समेत 6 राज्यों में आज भी यह जारी है ।
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