पद्मश्री रामसहाय पांडे ने लंबे उपचार के पश्चात् आज प्रातः सागर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और आम नागरिकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। बुंदेलखंड के गौरव पद्मश्री रामसहाय पांडे को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।सागर विधायक श्री शैलेंद्र जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हीरा सिंह राजपूत, नगर निगम अध्यक्ष श्री वृंदावन अहिरवार, महापौर प्रतिनिधि श्री सुशील तिवारी, श्री श्याम तिवारी, श्री आकाश सिंह राजपूत, श्री सुधीर यादव, जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर श्री रुपेश उपाध्याय, एसडीएम श्रीमती आदिति यादव, तहसीलदार श्री प्रवीण पाटीदार, संस्कृति मंत्रालय भोपाल की ओर से डॉ. जुगलकिशोर नामदेव, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जगत के साथी सहित आम नागरिकों ने पुष्पगुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।मशहूर लोक नृत्य कलाकार एवं पद्मश्री सम्मान से सम्मानित स्वर्गीय श्री राम सहाय पांडे के निधन पर संभाग कमिश्नर डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वर्गीय श्री पांडे का जाना समूचे बुंदेलखंड सहित मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है उन्होंने कहा कि हमने एक युग अनुभव संस्कृति की जानकारी रखने वाले लोक संस्कृति के संवाहक को खो दिया है।कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि लोक संगीत और परंपरा के संवाहक रहे श्री पांडे के निधन से क्षेत्रीय लोक संस्कृति को अपूर्णीय क्षति हुई है। लोक संस्कृति ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया है।श्री राम सहाय पांडे (जन्म 11 मार्च 1933) भारतीय राज्य मध्यप्रदेश के सागर के एक राई नर्तक थे। राई नृत्य पारंपरिक रूप से बेड़िया समुदाय से जुड़ा हुआ था। इस तथ्य के बावजूद कि वे समुदाय के सदस्य नहीं थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन राई नृत्य के अभ्यास और प्रदर्शन के लिए और नृत्य शैली को स्वीकृति और सम्मान दिलाने के लिए समर्पित कर दिया। उनके अथक प्रयासों से इस नृत्य शैली को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने में मदद मिली। राई नृत्य शैली मूल रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र का एक लोक नृत्य है।प्रदेश की लोक संस्कृति के विकास के लिए अपने जीवन को समर्पित करते हुए उन्हें वर्ष 2022 में भारत सरकार ने कला में उनके योगदान के लिए राम सहाय पांडे को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया, वे 1980 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित आदिवासी लोककला परिषद के सदस्य चुने गए, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ’’नृत्य शिरोमणि’’ की उपाधि से सम्मानित हुए, उन्हें वर्ष 1984 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शिखर सम्मान से सम्मानित भी किया गया।द्मश्री रामसहाय पांडे को उनके बड़े पुत्र श्री संतोष पांडे ने मुखाग्नि दी। वे अपने पीछे 4 बेटे और 5 बेटियों सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए।