उस दिन शाम को जब दीनदयाल परिसर में विधायक दल की बैठक आरंभ हुई तब गौरीशंकर शेजवार ने अकेले दम से अरुण जेटली और केन्द्रीय नेतृत्व का भाजपा के संविधान के हिसाब से पूरी कार्यवाही संचालित न होने का विरोध किया। जवाब में जेटली ने बताया कि भाजपा संविधान का अनुच्छेद 25 केन्द्रीय संसदीय बोर्ड को विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार देता है। जिसे विधायक दल बाद में अनुमोदित करता है। उमा भारती ने तब कहा कि ऐसी परम्परा तो कांग्रेस में भी नहीं है जहाँ नेता का चयन विधायक दल की बैठक से पहले ही हो जाता है। हालांकि तब प्रमोद महाजन ने कहा कि इसके पहले जब उमा भारती को इसी तरह चुना गया था तब उन्होंने कुछ नहीं कहा । विधायक दल की बैठक के दौरान बहस से मामला इतना बिगड़ा कि संजय जोशी ने उमा भारती के साथ जब लगभग हाथापाई कर दी। तभी उमा भारती के 40-50 समर्थक पार्टी कार्यालय का मुख्य स्वागत द्वार तोड़ दिया। वहाँ रखीं प्लास्टिक की कुर्सियां गमले भी तोड़े गये। इस विरोध के दौरान शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह, जिप्सी से कार्यालय पहुंची तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। वे तभी प्रवेश कर पायी जब शिवराज सिंह नेता चुने जा चुके थे। जैसे ही वे अंदर पहुंची राघवजी ने उन्हें पुष्पगुच्छ मेट कर स्वागत किया। इस पर साधना सिंह चुप नहीं रह सकीं और उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि आप तो कुछ देर पहले तक उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाना वाहते थे।” उस दिन दोपहर तक राघवजी, उमा भारती के साथ थे। वे अपनी विदिशा की राजनीति के चलते शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते थे। तोड़-फोड़ के इस घटनाक्रम ने पूरा वातावरण खराब कर दिया। जब समर्थक कार्यकर्ताओं पर बाहर पुलिस लाठियाँ बरसा रही थी तब उमा भारती को अंदर वही पार्टी बेइज्जत कर रही थी, जिसने मात्र दो साल पहले उसी स्थान पर उन्हें अपना नेता घोषित किया था। लाखों भाजपा और संघ के कार्यकर्ता यह सब देखकर स्तब्ध थे। प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे बड़े नेता इसी क्षुब्धता के कारण भोपाल नहीं आये थे। नये जमाने की भाजपा उस दिन जन्म ले रही थी, जहाँ सारी लोकतांत्रिक मर्यादाएं ताक पर रखकर पार्टी हाईकमान के निर्णय को जबरन थोपा जा रहा था। उस दिन भारत और दक्षिण आफ्रीका के बीच एक महत्वपूर्ण क्रिकेट मैच खेला जा रहा था लेकिन मध्यप्रदेश में इस मैच को लोगों ने नहीं देखा बल्कि भाजपा के इस घटनाक्रम को हर मिनिट जानने की कोशिश करते रहे। https://youtu.be/KgwgPlWHGDQ
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” ( भाजपा युग ) से साभार ।