राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को 70 दिन से ज्यादा हो गये हैं और अब राहुल गांधी ‘भारत को कथित रूप से जोड़ते 20 नवंबर को मध्यप्रदेश में बुरहानपुर के रास्ते प्रवेश करने वाले हैं। मप्र इस यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, क्योंकि इसी मप्र में कांग्रेस की निर्वाचित सरकार को तोड़ा गया था। राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन, आगरा-मालवा जैसे जिलों से होते हुए राजस्थान की ओर कूच करेगी। राजस्थान की सरकार भी अरसे से भाजपा के निशाने पर है, उसे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे-तैसे बचाए हुए हैं। राहुल गांधी के मप्र में आने से पहले ही सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच तकरार और तेज हो गई है है. मेरी अपनी सूचना के मुताबिक बीजेपी इसी यात्रा के दौरान राहुल गांधी को एक और झटका देना चाहती है। भाजपा के चाणक्यो की नजर कांग्रेस के उन विधायकों पर है, जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी.कांग्रेस के नेता पीसीसी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद तैयारी में जुटे हैं. निमाड़ के कुछ जिलों में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव की जगह कमान निर्दलीय विधायक शेरा को सौंपी गई है. आपको याद होगा कि बीजेपी ने अपने ऑपरेशन लोटस के तहत मप्र में न केवल कांग्रेस के दो दर्जन विधायक खरीद लिए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस सौदे को अंतिम रूप दिया था। सिंधिया के साथ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी इस सियासी खेल के खेल में शामिल थे।अब भाजपा लोटस 2 की तैयारी में है, ।
मप्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा संघर्ष होता आया है।बीच -बीच में बसपा और सपा ने भी आजमाइश की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं कर सके। दोनो दलों को कांग्रेस और भाजपा इन दलों को निगल गई।अब अरविन्द केजरीवाल और मोहम्मद ओबेसी जैसे लोग भी मप्र में अपने लिए पांव रखने की जगह तलाश रहे हैं। मप्र में अभी भी राजनीतिक स्थिरता नहीं है। दोनों दलों में बिकाऊ विधायक आज भी मौजूद है। मालवा-निमाड़ से 6, महाकौशल और बुंदेलखंड से दो-दो और ग्वालियर-चंबल अंचल से एक विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. वहीं कांग्रेस कह रही है उसके संपर्क में भी बीजेपी के कई विधायक हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी के बहुत सारे विधायक हमारे संपर्क में हैं, जो सोचते हैं कि उन्हें टिकट नहीं मिलेगी. लेकिन हम अपने संगठन को प्राथमिकता देंगे. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर हर समय फब्तियां कसने वाले मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र अब भी इस यात्रा के असर से नावाकिफ हैं। मिश्रा ने कहा कि कमलनाथ जब-जब बोलते हैं, कांग्रेस टूट जाती है. पहली बार किया तो सरकार चली गई. उपचुनाव में बोला तो पार्टी बैठ गई, वहीं राष्ट्रपति चुनाव के पहले बोला तो कांग्रेस के 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. मिश्रा की बात भले मजाक हो लेकिन एक हकीकत है।इस हकीकत से कांग्रेस भी अनजान नहीं है, फिर भी कांग्रेस ने मप्र को इस यात्रा का हिस्सा बनाया है। राहुल गांधी मप्र के सियासी खेल में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए थे।उनकी पार्टी की सरकार ओंधे मुंह गिर पड़ी थी। ऐसे में दो साल बाद अब वे मप्र कांग्रेस में कितनी जान फूंक पाएंगे कहना कठिन है।
आपको याद होगा कि कांग्रेस ने 114 विधायकों के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन अब कांग्रेस के पास मात्र 95 विधायक हैं। अगले विधानसभा चुनाव तक इनमें से कितने कांग्रेस के साथ रहेंगे कहना कठिन है, लेकिन राहुल इस सबकी फिक्र किए बिना आगे बढते जा रहे हैं। हां इतना जरूर है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के पहले दिन सबको बुरहानपुर में मौजूद रहने की हिदायत मिली है । राहुल गांधी की 150 दिन की इस यात्रा में से 70 दिन खर्च हो गये हैं। इन दो महीनों में भारत जोड़ो यात्रा को मिला प्रतिसाद किसी से छिपा नहीं है। यात्रा में चौतरफा भीड़ उमड़ पड़ी है किन्तु इस यात्रा का कांग्रेस को कोई राजनीतिक फायदा अभी तक नजर नहीं आ रहा। क्योंकि ऐसा कोई मौका आया ही नहीं है जिसके जरिए इस यात्रा के असर की पैमाइश की जा सके। हिमाचल प्रदेश के चुनाव भी ये मौका नहीं है। यात्रा का असर तो तब पता चलेगा जब मुकाबला बराबरी का हो। बहरहाल मप्र की मौजूदा सरकार इस यात्रा को लेकर बेफिक्र नहीं रह सकती, क्योंकि प्रदेश की सरकार अभिशप्त सरकार है।उसे कांग्रेस के नेताओ के साथ ही भावी दीदी मां (उमा भारती)का शाप भी लगा है । दीदी तो दोबारा संन्यास लेने वाली हैं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का पता नहीं।वे संन्यास लेंगे या अभी और लड़ेंगे, कहा नहीं जा सकता।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश ।
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