राजनीतिनामा

क्या सियासत के लिए ‘ मिमिक्री ‘ भी मुद्दा है ?

देश के उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति की ‘ मिमक्री ‘ को लेकर आधी संसद रो रही है, किसान रो रहे हैं,खांप रो रही है बल्कि उन्हें जबरन रुलाया जा रहा है ,क्योंकि ये ‘ मिमिक्री ‘भी अब एक सियासी औजार बन गयी है। गनीमत ये है कि विपक्ष विहीन आधी सांसद ने इसे अभी भारतीय दंड संहिता के किसी अनुच्छेद में स्पष्ट रूप से अपराध घोषित नहीं किया है। भारतीय अपराध संहिता के लिए भी मन देखे जा रहे है। कौन इटली वाला है और कौन नागपुर वाला ?ताजा ‘ मिमक्री ‘ विवाद पर मुझे अब हंसने के बजाय रोने का मन हो रहा है। मेरा मन न इटली का है न पाकिस्तान का ,वो शुद्ध हिन्दुस्तान का है ,जहां हास्य,व्यंग्य,विनोद के लिए हर जगह स्थान है। लेकिन अदावती की सियासत के युग में अब इस आवश्यक विधा पर भी हमला किया जा रहा है ,वो भी रो-रोकर,सांसद में खड़े हो-होकर । जबकि इस देश ने संसद में अपने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की गयी हर ‘ मिमिक्री ‘ को पूरी उदारता से न सिर्फ देखा बल्कि उसका आनंद लिया । उस पर कभी टसुए नहीं बहाये,उसे कभी जातीय या पेशेगत अपमान से नहीं जोड़ा।हम लोग बचपन से देखते-सुनते आ रहे हैं कि जब भी लोग फुरसत में होते हैं तो ‘अंताक्षरी खेलते है। कहा जाता है -‘ शुरू करो अंताक्षरी लेकर हरि का नाम ,समय बिताने के लिए करना है कुछ काम।’ संसद के दोनों सदनों से निलंबित किये गए सदस्य संसद के बाहर समय बिताने के लिए अंताक्षरी के बजाय ‘ मिमक्री कर रहे थे। ‘ मिमक्री अपराध नहीं बल्कि एक कला है। ‘ मिमक्री के माध्यम से सन्नाटे में ,नीरसता में विनोद पैदा किया जाता है और मिमक्री के लिए उस पात्र को चुना जाता है जो अपने समय में अपने हाव-भाव और अदाओं की वजह से सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो। ‘ मिमक्री किसी अनाम आदमी की नहीं की जाती। निलबित सांसदों की जमात ने इस बार मिमिक्री के लिए माननीय उपराष्ट्रपति को चुना । लेकिन वे इस चुनाव से खुश होने के बजाय आहत हो गये । उन्होंने धन्यवाद देने के बजाय विपक्षी सांसदों पर अपमान करने का आरोप मढ़ दिया और मजा ये कि उनके ‘ टसुए ‘ पौंछने के लिए राष्ट्रपति,प्र्धानमंत्री ,लोकसभा अध्यक्ष, से लेकर सत्तारूढ़ दल की पूरी फ़ौज रूमाल लेकर कतारबद्ध नजर आने लगी।’मिमक्री काण्ड’ को लेकर समूचा दृश्य हास्यास्पद बन गया है । जो सभापति सदन के भीतर सदस्यों को संरक्षण देने के बजाय सत्तारूढ़ दल की कठपुतली की तरह काम करता हो उसे अचानक अपने पद,जाति और पेशे के अपमान का बोध हो जाये तो आप क्या कहेंगे ? निलंबित सदस्य सदन के बाहर हैं और सदन के बाहर की गयी कोई कार्रवाई सभापति के दायरे में नहीं आती। उनके दायरे में जो आता है वो उन्होंने अब तक किया नही। वे एक बेरहम संरक्षक के रूप में सामने आये है। सभापति के रूप में उन्होंने विपक्ष को कभी संरक्षण दिया हो ऐसा प्रतीत नहीं होता।
                                   दुनिया में शायद ही कोई ऐसा समाज होगा जिसमें हास्य-व्यंग्य और विनोद के लिए स्थान न हो,शायद ही ऐसा कोई समाज होगा जो इस विधा को अपराध मानता हो। हम तो उस समाज से आते हैं जहाँ हास्य-व्यंग्य सनातन संस्कृति का हिस्सा है। यहां ‘हरि को भी व्यंग्य वचनों का इस्तेमाल करने की आजादी दी गयी है। आम आदमी का तो ये सबसे महत्वपूर्ण और लोकतांत्रिक औजार है। आज के सत्तारूढ़ दल ने देश के संसदीय इतिहास को न पढ़ा है न देखा है । भाजपा का तो जन्म ही 1980 में हुआ है और आज की भाजपा तो 2014 में जन्मी है। उसे संसदीय हास्य परम्पराओं का बोध कैसे हो सकता है ?आज की स्थिति में गनीमत है कि निलंबित संसद केवल गांधीवादी तरीके से संसद के बाहर धरना दे रहे हैं, कल वे सड़कों पर भी उत्तर रहे हैं ,मै तो कहता हूँ कि उन्हें निलंबन के इस नए इतिहास के लेखकों से त्यागपत्र देने के लिए आंदोलन चलना चाहिए ,क्योंकि सभी ने मिलकर संसदीय परम्पराओं का गला घोंटा है। अपने दल के परम् विनोदी नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की आत्मा को आहत किया है। संसद लठैती से नहीं चलती कायदे कानूनों से चलते है । सभापति के पास निलंबन का अधिकार है तो बहाली का भी अधिकार है । सभापति सदन के हर सदस्य के संरक्षक हैं न कि केवल सत्तारूढ़ दल के। और जो सभापति कठपुतली बनते हैं ,वे न सिर्फ अपने पद की गरिमा को कलंकित करते हैं बल्कि हमेशा के लिए इतिहास में एक खलनायक की तरह दर्ज किये जाते हैं। दुर्भाग्य से आज के नायक अचानक खलनायक बन गए हैं।आपको जानकार हैरानी होगी कि मिमक्री को लेकर असंवेदनशीलता पिछले एक दशक में ही बढ़ी है ।अब ये केवल नेताओं का विशेषाधिकार हो गया है। खासतौर पर सत्तारूढ़ दल के नेताओं का विशेषाधिकार। और कोई मिमक्री करता है तो उसे अपराध माना जाता है। हमारे सूबे में आज की तारीख में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से सबसे कुशल मिमक्री कलाकार हैं। एक जमाने में लालू प्रसाद यादव के पास ये तमगा हुआ करता था। कभी सदन में पीलू मोदी होते थे इसी भूमिका में। । वे सोती और रोती संसद को भी अपने हास्यबोध से जागृत कर देते थे लेकिन उनके समय में कभी कोई सभापति आहत नहीं हुआ। आज के सभापति तो ‘ छुईमुई ‘ के पौधे हो गए हैं । यानि एक ‘ मिमक्री से उनकी जाति ,वर्ग और पद का अपमान हो जाता है। ऐसे छुईमुई के पौधे जब संवैधानिक पद पर बैठकर किसी महिला मुख्यमंत्री का अपमान करते हैं तब अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं और इसी के आधार पर सियासत में पदोन्ति भी पाते है। लेकिन ये एक अलग मसला है।
                                  आज का मसला ये है कि क्या इस देश में कोई किसी की मिमक्री नहीं करेगा । और अगर करेगा तो उसे जेल में डाल दिया जायेगा । मुझे याद है कि मध्य्प्रदेश के जबलपुर शहर में श्याम रंगीला नाम के एक मिमक्री कलाकर के साथ यही सब हुआ । उसे मोदी और शाह की मिमिक्री करने पर जेल जाना पड़ा और उसपर धाराएं लगीं दंगा करने और अश्लीलता फ़ैलाने की । श्याम रंगीला अकेला नहीं है। फिल्म और टेलीविजन जगत के अनेक हास्य कलाकार इस तरह की असहिष्णुता के शिकार हो चुके है। दुर्भाग्य ये है कि देश के इस हास्य बोध को माननीय अदालतों का भी संरक्षण नहीं मिलता। आज मिमिक्री को लेकर उग्र लोग इटली के नहीं उस नागपुर के हैं जो हरिशंकर परसाई के व्यंग्य को नहीं पचा पाते थे और उनकी रीढ़ की हड्डी तोड़ने का दुस्साहस कर चुके हैं। लेकिन ऐसे लोग और ऐसी सत्ताएं ये भूल जाती है कि वे अजर-अमर नहीं हैं। इस देश में जो परम्पराये हैं ,जो हास्य बोध है वो किसी के हड़काने ,किसी को जेल भेजने से समाप्त नहीं हो सकता। और ऐसी कोशिशें भी नहीं की जाना चाहिए अन्यथा लोकतंत्र का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। मै माननीय की मिमिक्री करने के लिए कल्याण बनर्जी को शाबासी देता हूँ। मेरी माननीय सभापति के प्रति भी सहानुभूति है। मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो मिमिक्री विरोधियों को सद्बुद्धि दे।
राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

खुरई ने सर्वाधिक प्रकरणों का निराकरण कर जिले में प्राप्त किया प्रथम स्थान

राजस्व महा अभियान 2.0  के तहत सागर जिले की खुरई तहसील ने सर्वाधिक प्रकरणों का…

2 days ago

सागर – शहर के 25 किलोमीटर की परिधि में बसों का संचालन होगा शुरू

बसों में लगे सीसीटीव्ही कैमरा एवं जीपीएस को आईसीसीसी से जोड़ने एवं आमजन की सुविधा…

2 days ago

चुनौतीपूर्ण समय में शिक्षकों को अपनी भूमिका का विस्तार करना होगा-कुलगुरु प्रो. नीलिमा गुप्ता

अध्यापक के धर्म, कर्म और मर्म को भारत ने ही विश्व में स्थापित किया है-…

2 days ago

तानाशाह की सनक 30 अधिकारियों को फासी पर टांगा

अपनी तानाशाही के लिये पूरी दुनिया में कुख्यात उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग…

3 days ago

जातिगत जनगणना पर संघ के मन की बात

जातिगत जनगणना का मुददा भारत में इन दिनो लगातार चर्चाओं में है कांग्रेस नेता राहुल…

4 days ago

सत्ता का गुलाम आखिर कौन ?

बहुत दिनों बाद एक ढंग का विषय मिला है । इसके लिए धन्यवाद उत्तरप्रदेश के…

6 days ago