मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन ने पांच मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इदौर शहर में कई बेघर लोगों को इस कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर रात बिताने को मजबूर होने की खबर पर संज्ञान लिया है। खबर के मुताबिक इन बेघर लोगों को रैनबसेरों तक लाने के लिये अबतक इंदौर की टीम नहीं निकली है। जबकि ठंड का आगाज होते ही निगम ने सभी दस रैनबसेरों में बिस्तर सहित कई व्यवस्थाएं जुटा दी थीं। पिछले तीन-चार दिनों से अत्यधिक ठंड पड़ रहीं है। परंतु अबतक न तो कोई सामाजिक एनजीओ, न हीं नगर निगम का अमला फुटपाथ पर सोने वालों की खोज खबर लेने निकला है। इससे कड़ाके की ठंड में भी सैंकड़ों बेघर लोग खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं नगर निगम कमिश्नर, इंदौर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में एक सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल सागर के पोस्टमार्टम कक्ष में एक युवक के शव की आँख चूहे द्वारा कुतर दिये जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। जिले के आमेट गांव के मोती पिता बारेलाल गौंड के शव को पोस्टमार्टम कक्ष में रखा गया था। कक्ष में रखे दोनों फ्रीजर खराब होने के कारण शव को खुले में ही रख दिया गया था। अगले दिन सुबह जब पोस्टमार्टम के लिये डाक्टर पहुंचे, तो शव की एक आंख नहीं थी, उससे खून निकल रहा था। आरएमओ का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सागर से घटना की जांच कराकर पोस्टमार्टम कक्ष की सुरक्षा व्यवस्था एवं मृतकों के शवों को सम्मानपूर्वक रखना सुनिश्चित करते हुये की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में तलब किया है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने विदिशा जिले के परासीखुर्द गांव में दलित परिवारों को पट्टे देकर गांव से बाहर बसा देने परंतु आवागमन हेतु रास्ता न देने के कारण बीमारी में बीमार को खटिया पर लेटाकर अस्पताल तक ले जाने के लिये मजबूर होने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में 1980 के दशक में 25-30 परिवारों को पट्टों का लाभ मिला था। गांव से लगभग आधा किमी दूर इन लोगों को पट्टे दिये गये थे, जहां पर यह परिवार अपना मकान बनाकर रह रहे थे। सरकार ने पट्टा तो दे दिया था, लेकिन सड़क की सौगात देना सरकार और सरकार के मुलाजिम दोनों ही भूल गये। आवागमन हेतु सड़क न होने से कई बार ऐसे अवसर भी आये, जब बीमार व्यक्ति को उसके परिजन खटिया पर लिटाकर अस्पताल लेकर गये और इसी बीच कई लोगों ने रास्ते में ही दम तोड दिया था। यह समस्या आज भी जस की तस है। गामीणों ने बताया कि उन्होंने शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों सभी से गुजारिश की, पर उन्हें आज तक सड़क नहीं मिल पाई है। मामले में आयोग ने कलेक्टर, विदिशा से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही यह भी कहा है कि समस्या का समाधान शासन स्तर के साथ-साथ संबंधितों के सामंजस्य एवं सहयोग से करने का प्रयास भी किया जाये।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने छतरपुर जिले के जनपद शिक्षा केन्द्र गौरिहार के अंतर्गत ग्राम पंचायत पहरा में दीनदयाल स्वसहायता समूह संचालक की मनमानी के चलते बच्चों को भरपेट भोजन नहीं मिलने की घटना पर संज्ञान लिया है। बच्चों द्वारा प्रधानाध्यापक से शिकायत करने पर भी समूह संचालक पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहां मीनू मजाक बनकर रह गया है। भरपेट भोजन मांगने पर बच्चों को मार खाना पड़ती है। बच्चे जब भरपेट भोजन मांगते हैं, तो उन्हें बुरी तरह डराया धमकाया भी जाता है। बीआरसीसी, गौरिहार संबंधित समूह पर कार्यवाही करने की बात तो कहते हैं, परंतु अबतक समूह संचालक पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, छतरपुर से जवाब-तलब किया है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने दमोह जिले के ग्राम बहेरा और तेजगढ़ खुर्द के विद्यार्थियों एवं ग्रामीणजनों द्वारा बांस-ट्यूब से नाव बनाकर एक नाला पार कर अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने को मजबूर होने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार दमोह शहर से लगभग 18 किमी दूर ग्राम बहेरा और तेजगढ़ खुर्द के ग्रामीणजन इन दिनों नाला पार करने के लिये बांस एवं ट्यूब से बनी अस्थाई नाव का उपयोग कर रहे हैं। ग्रामीण अपने दो पहिया वाहन और स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी साईकल सहित नाले को इसी प्रकार पार कराते हैं। यह समस्या पास ही बनी एक सिंचाई परियोजना से नाले के जलस्तर बढ़ने से बनी है। इससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मामले में आयोग ने कलेक्टर दमोह से जवाब-तलब किया है।
समाचार शाखा भोपाल
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