मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल जिले के बैरसिया ब्लाॅक के एक सरकारी स्कूल में मासूमों को बदबूदार कढ़ी खिलाने से आधा दर्जन से ज्यादा बच्चों के बीमार हो जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। इस घटना में एक छात्रा की हालत गंभीर बतायी जा रही है। घटना के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने शाला प्रभारी को निलंबित कर दिया है। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल जिले के संत हिरदाराम नगर में सड़कों के बुरे हाल एवं नागरिकों का धूल मिट्टी से बुरा हाल होने की एक खबर पर संज्ञान लिया है। खबर के अनुसार पहले तो बरसात ने सारी सड़कों को कीचड़ में तब्दील कर दिया था और पानी से भरे गड्ढों के कारण आए दिन दुपहिया वाहन चालक एवं राहगीर इसके शिकार होते थे, लेकिन बरसात का दौर बंद होने के बाद अब धूल मिट्टी से आम जनता का बुरा हाल है। भोपाल इंदौर राजमार्ग के बाद सबसे लम्बे प्रेम रामचंदानी आदर्श मार्ग एवं कैलाश डेयरी से हरिजन कालोनी तक जाती सड़क का इन दिनों बुरा हाल है। इस सड़क के किनारे नाले व नाली की विधायक के निर्देश पर सफाई करवाई गई, जिसमें से कई टन कचरा निकला। उसे पूरी तरह से उठाया नहीं गया है। सड़क पहले से ही जर्जर थी, उस पर दोनों तरफ से नाले व नालियों से निकले मलबे को जितना भी उठाया गया और जो बच गया उसके सूखने के बाद वह धूल में तब्दील हो गया है। मामले में आयोग ने नगर निगम आयुक्त, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर उपरोक्त क्षेत्र की सड़कों के उपयोग योग्य/सुविधाजनक आवागमन की व्यवस्था के संबंध में क्षेत्र का तथ्यात्मक प्रतिवेदन एक माह में मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि 31 मई को डामरीकरण के लिए प्रारंभ प्रक्रिया का प्रगति प्रतिवेदन/वास्तविक स्थिति भी प्रतिवेदन के साथ ही भिजवायें।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने रायसेन जिले के गैरतगंज विकासखंड सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए बनाये गये पेयजल यूनिटों का गुणवत्ताहीन निर्माण होने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के अनुसार पीएचई विभाग की मिलीभगत से निर्माणकर्ता ठेकेदार द्वारा बनाए गए पेयजल यूनिट कई स्थानों पर बनने के साथ ही टूट गए हैं। जिससे शासन का जल जीवन मिशन का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम फ्लाप शो साबित हो रहा है तथा यह अभियान औपचारिक बनकर रह गया है। मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा अधीक्षण यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, रायसेन से प्रकरण की जांच कराकर गैरतगंज विकासखंड के विद्यालयों एवं आगनबाड़ी केन्द्रों पर लगाये गये पेयजल यूनिट्स के उपयोग योग्य होने के संबंध में एक माह में स्पष्ट प्रतिवेदन मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने ग्वालियर में तीन कमरों में दो सरकारी स्कूल संचालित होने के मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर शहर के आमखों इलाके में बनाई जा रही स्मार्ट रोड़ के निर्माण के लिए सरकारी स्कूल को तोड़े जाने के बाद अब इस स्कूल को ऐसे भवन में संचालित किया जा रहा है जहां पहले से ही एक स्कूल संचालित किया जा रहा है। ऐसे में दोनों ही स्कूलों के स्टूडेंटस की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिस स्कूल में शिफ्टिंग की गई है, वहां केवल तीन कमरे ही हंै, ऐसे में दो मिडिल स्कूल यहां संचालित करने में भारी दिक्कतें आ रही हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर प्रभावित विद्यार्थियों के शिक्षा के मौलिक/ मानव अधिकार के संरक्षण हेतु प्राथमिकता से कार्यवाही कराते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल ग्वालियर में मरीजों की हो रही दुर्गती संबंधी एक खबर पर संज्ञान लिया है। ग्वालियर के मुरार स्थित जिला अस्पताल में मेडिसिन वार्ड फुल होने के कारण नए मरीजों को गैलरी में भर्ती किया जा रहा है। गैलरी में रात के समय ठंडी हवा के कारण मरीज कंपकपाते रहते है। ऐसे में यह मरीज अपने घरों से रजाई-कंबल मंगाने को मजबूर हैं। वही दूसरी ओर गैलरी में भर्ती मरीजों से 20 मीटर की दूरी पर ही अस्थि रोग विभाग का वार्ड खाली पड़ा हुआ है। अस्पताल निर्माण के कारण परिसर में बना आईसीयू बंद है, वहीं मेडिसिन सहित कई वार्ड फुल हैं। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल मंडला में ”मरीजों के लिए नहीं केवल व्हीआईपी ड्यूटी में लगाने के लिए है एंबुलेंस” शीर्षक से प्रकाशित एक खबर पर संज्ञान लिया है। खबर के अनुसार जिला अस्पताल में उपलब्ध एंबुलेंस को सिर्फ व्हीआईपी ड्यूटी में ही लगाया जाता है, यहां हालात यह है कि सामान्य दिनों में भी एंबुलेंस को जरूरतमंदों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। कुछ दिनों पहले ही इस अस्पताल में ईलाज के दौरान एक बैगा युवक की मौत हो गई थी। उसके परिजन एंबुलेंस की तलाश में भटकते रहे। अंततः परिजनों को मृतक का शव रिक्शे से ले जाना पड़ा था। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मंडला से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने सिंगरौली जिले के सरई थाने में पूछताछ के बाद घर लौटे एक दलित किशोर की मौत हो जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। मृतक के परिजनों ने पुलिस पर पिटाई करने के आरोप लगाए हैं। जानकारी के अनुसार, गजराबहरा के रामकृपाल शाह ने बीते शनिवार को थाने में राजबहादुर निवासी धिरौली के खिलाफ अपने खाते में पैसा ट्रांसफर करने की शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, सिंगरौली से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
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