वर्तमान राजनीति में देश की दो प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस मैं कहीं ना कहीं बदलाव की बयार चल रही है इसमें मिशन 2023 और 2024 की रणनीति समाई हुई है इन बदलावों का असर प्रदेश की राजनीति पर कितना पड़ेगा इसको लेकर कयासों का सिलसिला जारी है।
दरअसल कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज दो राज्यों में सिमट कर रह गई है इस स्थिति से वर्ग के लिए कांग्रेसमें छटपटाहट है और उदयपुर के 3 दिन के चिंतन शिविर में बदलाव के लिए खुद को बदलने की रणनीति तैयार की गई है जिसमें पार्टी अब संघर्ष का रास्ता इख्तयार करेगी 15 जून से पार्टी का जन जागरण अभियान शुरू हो रहा है पहले जैसा अब पार्टी में ना तो पद पाना आसान होगा और ना ही टिकट इसके लिए मापदंड तय किए गए हैं।
उसी के आधार पर पद या टिकिट मिलेगा पार्टी जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को भी महत्त्व देगी स्थानीय आधार पर गठबंधन भी करेगी प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष बदलने के बाद राज्यसभा के लिए नाम तय करने में भी पार्टी समीकरणों का ध्यान रखेगी और आगे से सामूहिक निर्णय के आधार पर पार्टी चुनावी तैयारियों में जुटेगी पार्टी ने बदलाव के लिए या सत्ता में वापसी के लिए जीत को ही मूल मंत्र माना है और चुनावी जीत पर पार्टी का फोकस रहेगा इसका असर प्रदेश की कांग्रेस की राजनीति पर भी पड़ेगा प्रदेश में मैदानी संघर्ष ही पड़ेगा और कर्मठ नेताओं को उभारा जाएगा।
वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल भाजपा भी पूरे देश में लगातार बदलाव की बयार चलाए हुए हैं हिंदुत्व के उभार के लिए पार्टी कोई मौका नहीं छोड़ रही है वाराणसी मैं ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे से लेकर मथुरा पर भी निगाहें है और राज्य के स्तर पर स्थानीय स्तर पर भी छोटे.छोटे मुद्दों पर ध्रुवीकरण करने पर जोर दिया जा रहा है साथ ही साफ.सुथरी छवि के नेताओं को आगे लाया जा रहा है खासकर ऐसे नेताओं को मौका दिया जा रहा है जो हर हाल में चुनाव जीतने की क्षमता और दक्षता रखते हो जिनकी समाज में अच्छी छवि हो कार्यकर्ताओं से अच्छे संबंध हो और ऐसे नेताओं को पार्टी धीरे धीरे दरकिनार करेगी जो सत्ता के अहंकार के चलते आम जनता और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हैं पार्टी की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक 21 मई से जयपुर में होने जा रही है जिसमें और भी जरूरी बदलाव किए जाने पर मोहर लगेगी जिससे कि पार्टी 2023 और 2024 के चुनाव के लिए मजबूती से आगे बढ़ सके।
क्योंकि इस बार कांग्रेसी भी बदलाव के लिए कमर कस चुकी है ऐसे में भाजापा मैं भी जरूरी बदलाव किये जा रहे हैं इस बदलाव का असर प्रदेश की राजनीति में ही पड़ेगा राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नियुक्तियों में प्रदेश को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा और राज्यसभा की 2 सीटों में भी समीकरणों को साधा जाएगा प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर निगम मंडलों की नियुक्तियां और प्रदेश पदाधिकारियों की नीतियों में भी बदलाव का असर देखा जा सकता है।
कुल मिलाकर मिशन 2023 और मिशन 2024 की तैयारियों में पूरी शिद्दत के साथ जुट चुके देश के दोनों ही प्रमुख दल भा जा पा और कांग्रेश में वैचारिक और संगठनात्मक बदलाव की बयार चल रही है उसका असर प्रदेश की राजनीति पर कितना पड़ेगा यह आने वाला समय ही बताएगा।
देवदत्त दुबे, भोपाल- मध्यप्रदेश
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