कलमदार

अबकी होली में सियासी अदावत के रंग

देश में 24 मार्च की रात होली जलाई जाएगी । एक परम्परा का निर्वाह है ,सो होगा लेकिन होली पर लोगों के दिलों से मनोमालिन्य शायद हर बार की तरह दूर नहीं हो पायेगा ,कम से कम राजनीति में तो ये नामुमकिन है। नामुमकिन क्यों है ,ये बताने की जरूरत नहीं है ,क्योंकि पूरा देश जान रहा है , देख रहा है कि हमारे नेता कितने बुरे ढंग से होली खेल रहे हैं। उनकी ठंडाई में अमृत नहीं विश की मात्रा बढ़ती जा रही है। होली दरअसल ‘ होली ‘ रही ही नहीं।हिंदी की होली में रंग ,गुलाल और अबीर होता है लेकिन अंग्रेजी होली में एक तरह की सुचिता होती है। हमारी होली सुचिता के साथ ही रंगीन भी होती है । हम बुराई की प्रतीक होलिका का दहन करते हैं ,आपस में गले मिलते है। फाल्गुन के महीने में मनाये जाने वाले इस त्यौहार में आसमान में रंगों के बादल फेरा करते नजर आते हैं ,लेकिन धीरे-धीरे ये सब अगोचर होता जा रहा है। रंग के बादल काले और भयानक होते जा रहे है। सुचिता अपवित्रता में बदल रही है ,वर्ष 2024 की होली में सियासत ने अचानक और कड़वाहट घोल दी है । सियासत की वजह से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी गिरफ्तार कर चुकी है । उनकी होली उनके परिवार के साथ नहीं बल्कि ईडी के पूछताछ अधिकारीयों के साथ मनाना पड़ेगी । दिल्ली की जनता को अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री से दूर रहना पडेगा। दिल्ली की जनता का दुर्भाग्य ये है कि वहां प्रधानमंत्री भी रहते हैं किन्तु जनता उनसे मिल नहीं सकती ,क्योंकि जनता से उन्हें डर लगता है। वे फकीर हैं और फकीर होली नहीं मनाते। ये गृहस्थों का काम है जो अब उन्हें करने नहीं दिया जा रहा ,ईडी यानि सरकार की कठपुतली ने होली मनाने से पहले केजरीवाल को ईडी की हिरासत में भेज दिया ,
                                    केजरीवाल यदि बाहर रहते तो सरकार के खिलाफ रंग उड़ाते ,जन मानस को जगाने की कोशिश करते और तो और होली में बुराइयों को जलाने के बजाय भाजपा की उपलब्धियों को ही झोंक देते। अब वे तो क्या उनकी तरह भाजपा से होली जलाने वाले भी अब भाजपा की होली जलाने से पहले सौ बार सोचेंगे ,क्योंकि उसके सामने हृदयहीन हुरियारे हैं। उन्हें सियासत में रंग चाहिए ही नहीं ,वे तो ज्यादा रंगीन रहने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अभियान छेड़े हुए है।
हमारी सनातनी मान्यताओं वाली सरकार ने चुन-सुनकर अपने विरोधियों को होली के मैदान से बाहर कर दिया है । भाजपा के मित्र रंगों की जगह प्रतिकार की ,अदावत की होली खेलने लगे हैं भाजपा को अपने प्रतिद्वंदियों को या तो जेल भेजने में मजा आता है फिर अपनी पार्टी में शामिल करने में मजा आता है। केजरीवाल के पहले जितने भी कापुरुष थे से एक-एककर भाजपा में शामिल हो गए हैं। जो बचे हैं उनके लिए भी शरणार्थी शिविर खुले हैं। शरणार्थियों के साथ वो ही बर्ताव किया जाता है जो विभीषणों के साथ किया जाता है।मुझे शरणार्थी शिविरों या जेल भेजे गए नेताओं की फ़िक्र नहीं है । मेरी फ़िक्र में तो केवल और केवल होली है। मै तो चाहता हूँ कि होली लगातार खेली जाती रहे । होली खेलने के लिए दरियादिली जरूरी है न कि रंग। देश के सबसे बड़े हुरियारे लालू प्रसाद यादव की होली पर हमेशा याद आती है। अब वे बीमार हैं लेकिन सद्भावना की होली खेलने से अभी उनका मन भरा नहीं है। होली पर अटल बिहारी बाजपेयी की भी बहुत याद आती है ,वे भी अद्भुद हुरियारे थे। उनका मन भी रंगों से भरा हुआ था। लेकिन हमारे मौजूदा भाग्य विधाता तो खुद होली के मौके पर विदेश निकल जाते हैं। आजकल शायद भूटान में हैं।
                                  भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए दिल्ली की सत्ता में तीसरी बार आये अरविंद केजरीवाल को जिस शराब नीति [घोटाले ] के कारण गिरफ्तार किया गया है उसके बारे मुझे सिर्फ इतना कहना है कि देश में जितने भी राज्यों में शराब की नीतियां बनाएं जातीं हैं वे उसी तरह बनाई जाती हैं जैसे की दिल्ली में बनाई गयी । शराब का कारोबार न हो और उसमें घोटाले न हों तो देश में न सिंगल इंजिन की सरकार चले और न डबल इंजिन की सरकार। गुजरात और बिहार में शराब का कारोबार सरकार नहीं करती तो वहां शराब का अनीति का कारोबार चलता है। मप्र में ही डबल इंजिन की सरकार की शराब नीति के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और निवर्तमान भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा कपडे फाड़ते रह गयीं लेकिन अपने किसी मुख्यमंत्री को ईडी के हवाले नहीं करा पायीं। कोई माने या न माने लेकिन मेरा अनुभव है कि शराब ही राज्य सरकारों के सिंगल और डबल इंजिनों का असली ईंधन है।बहरहाल आप सब होली मनाइये और कोशिश कीजिये कि देश में अदावत न समाज में पनपे और न सियासत में। जो ऐसा कर रहे हैं उन्हें निबटाने के लिए वोट का हथियार आपके हाथ में है । इसका इस्तेमाल समाज का सौहार्द बचाने में जरूर करें। वोट ही आपकी होली को बेरौनक होने से बचा सकता है। इस बार चूके तो फिर शंख बजाते रह जाएंगे आप ! होली की हार्दिक शुभकामनाएं। शुभकामनाएं उन्हें भी जो जेल के बाहर हैं और उन्हें भी जो जेलों के भीतर हैं।

व्यक्तिगत विचार- आलेख 

श्री राकेश अचल जी  ,वरिष्ठ पत्रकार  एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश  ।

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

5 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

2 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

4 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

5 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago