प्रशासन

मानव अधिकार आयोग ने नौ मामलों में अधिकारीयों से जबाब माँगा


मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य मनोहर ममतानी ने नौ मामलों में संज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

1 – उपचार के दौरान गर्भवती महिला की मौत, मायके पक्ष का आरोप – ससुराली जन ने जहर पिलाकर मारा

आयोग ने कहा – एसपी भिण्ड पंद्रह दिन में दें जवाब
भिण्ड जिले की गोहद तहसील अंतर्गत ग्राम छत्तपुरा निवासी एक महिला की ग्वालियर में बीते रविवार की सुबह आठ बजे उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने मृतका के शव का पीएम कराया है। साथ ही परिजन गोहद थाने में ससुरालीजन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए शव लेकर पहुंच गए। उनका आरोप था कि ससुरालीजन ने उनकी बेटी को जहरीला पदार्थ खिलाया था, जिससे उसकी मौत हो गई। ग्वालियर में मौत हो जाने के बाद परिजन ससुरालीयों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिये गोहद थाने मे मृतका का शव लेकर पहुंचे। जहां उन्होंने पुलिस पर अभद्रता करने का आरोप लगाया, जिसके बाद हंगामा भी हुआ। वहीं एसडीओपी का कहना था कि केस डायरी आने के बाद प्रकरण दर्ज किया जायेगा। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, भिण्ड से जांच कराकर पंद्रह दिन में जवाब मांगा है। साथ ही कहा है कि मृतका के शव परीक्षण की रिपोर्ट भी प्रतिवेदन के साथ भेजें।

2 – स्कूल में पढ़ने के लिये आए मासूमों से धुलवाए जा रहे हैं खाने के बर्तन


आयोग ने कहा – कलेक्टर एवं डीईओ ग्वालियर तीन सप्ताह में दें जवाब

स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिये मध्याह्न भोजन दिया जाता है लेकिन भोजन के बाद जूठे बर्तनों को कर्मचारियों के बजाए बच्चों से ही धुलवाया जा रहा है। वायरल वीडियो में ग्वालियर जिले के शासकीय प्राथमिक विद्यालय हरिप्रकाश वैदिक मुरार में स्कूल के बाहर बच्चे खाने के बर्तन धोते दिख रहे हैं। स्कूल से बच्चों के पढ़ने की आवाजें बाहर तक आ रही हैं, मगर शिक्षकों द्वारा बच्चों को बर्तन धोने से नहीं रोका जा रहा है। बच्चे भोजन के बाद हर दिन बर्तन धोेकर ही कक्षा में जाकर पढ़ाई करते हैं। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, ग्वालियर से जांच कराकर सभी विद्यालयों में बच्चों की गरिमा और अधिकारों को संरक्षित कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

3- आईसीयू में वाटर कूलर के पास कीचड़, पानी पीना मुश्किल


आयोग ने कहा – अधीक्षक जेएएच ग्वालियर दस दिन में दें तथ्यात्मक जवाब

ग्वालियर जिले के जेएएच हास्पीटल के आईसीयू परिसर में
मरीजों के परिजनों के लिए वाटर कूलर तो लगा है लेकिन कीचड़ के कारण वहां तक पहुंचना मुश्किल है। हाल यह है कि मरीज पत्थर रखकर जैसे-तैसे वहां पहुंचकर पानी पीते हैं। आस-पास पानी की सुविधा न होने के कारण आईसीयू के साथ आस-पास के वाडों में भर्ती मरीजों के परिजन भी इसी वाटर कूलर का उपयोग करते हैं। कीचड़ के कारण कई बार लोग फिसल भी जाते हैं। मप्र मानव अधिकार आयोग ने अधीक्षक, जेएएच, ग्वालियर से मामले की जांच कराकर दस दिन में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।

4- होमगार्ड सैनिक को बंधक बनाकर पीटा


आयोग ने कहा – एसपी शिवपुरी पंद्रह दिन में दें जवाब

शिवपुरी जिले में
एक राजनैतिक दल के पदाधिकारी ने अपने साथियों के साथ एक होमगार्ड सैनिक को बंधक बनाकर मारपीट की। जिसे लेकर पीड़ित कपिल मिश्रा ने कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने पार्टी पधाधिकारी और सिंह ब्रदर्स के कंडेक्टर सहित तीन अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। घटना बस के किराए को लेकर घटित हुई थी। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, शिवपुरी से 15 दिन में जवाब मांगा है।
5- अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, मरीज बेहाल

आयोग ने कहा – कलेक्टर एवं सीएमएचओ सीहोर पंद्रह दिन में दें जवाब

सीहोर के जिला चिकित्सालय
, शासन का एक ऐसा उपक्रम जहां सालों क्या दशकों के बाद भी हालात बद से बदतर बने हुये हैं। चिकित्सकों व अन्य चिकित्सा सुविधाओं की कमी से जुझते अस्पताल में डाक्टरों की धींगामस्ती भी बरकरार है। ओपीडी के डाक्टरों की गैरमौजूदगी मरीजों को परेशान कर देती है। व्यवस्थाओं का प्रबंधन जिन हाथों में हैं उन्हें प्रायवेट प्रैक्टिस से फुर्सत नहीं। नतीजन जिला मुख्यालय का यह सरकारी अस्पताल मरीजों का उपचार करने में नकारा साबित हो रहा है। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सीहोर से पंद्रह दिन में जवाब मांगा है। साथ ही यह भी पूछा है कि – 01. जिला अस्पताल सीहोर में कितने पद विभिन्न चिकित्सकों/विशेषज्ञों के स्वीकृत हैं, कितने पदस्थ है, कितने रिक्त है ? 02. सिविल सर्जन का मुख्यालय सीहोर है तो वे आष्टा में इस पद पर बने रहते हुये प्रायवेट प्रैक्टिस कैसे कर रहे हैं ?

7- जेल से अस्पताल आए रसूखदार कैदी को लैपटाॅप-मोबाइल की सुविधा


आयोग ने कहा – आईजी एवं  केन्द्रीय जेल
अधीक्षक, ग्वालियर दस दिन में दें जवाब

ग्वालियर जिले की केन्द्रीय जेल में
बंद कैदी सरकारी अस्पताल के वार्ड में इलाज के नाम पर लग्जरी लाइफ स्टाइल से रह रहा है। लैपटॉप और मोबाइल का खुलेआम इस्तेमाल करने के साथ अपनों से मुलाकात भी कर रहा है। वहीं यहां तैनात गार्ड पास वाले बिस्तर पर बेखबर सोता है। सेंट्रल जेल ग्वालियर में बंद हरीश शर्मा को हाल ही में जेएएच स्थित सुपर स्पेशलिटी में बीमार बताकर भर्ती किया गया। यहां वार्ड का एक पूरा हिस्सा कैदी हरीश शर्मा और उससे मिलने, आने-जाने वाले लोगों के लिए अघोषित तौर पर रिजर्व रखा गया है। पीपुल्स समाचार संवाददाता की पड़ताल में सामने आया कि सुबह से लेकर रात तक मिलने-जुलने वालों का तांता लगा हुआ था। लैपटॉप पर वीडियो कॉल भी चल रहा था और मोबाइल से कैदी अपनी प्रॉपर्टी को लेकर बात कर कर रहा था। उसे रोकने-टोकने के लिए पुलिस का गार्ड या अस्पताल स्टाफ नहीं था। न ही अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई और। इस मामले में जेल अधीक्षक का कहना है कि उसे डॉक्टर की रिपोर्ट पर अस्पताल रेफर किया गया है। उसकी सुरक्षा और देखरेख का जिम्मा पुलिस का है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं।। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने पुलिस महानिरीक्षक, ग्वालियर संभाग, ग्वालियर एवं अधीक्षक, केन्द्रीय जेल, ग्वालियर से मामले की जांच कराकर दस दिन में जवाब मांगा है। साथ ही यह भी निर्देशित किया है कि यह भी सुनिश्चित करें कि बंदी को कोई भी प्रतिबंधित वस्तु उपलब्ध/उपयोग हेतु नहीं दी जावे।

8- सात साल से ट्राई  साइकिल के इंतजार में दिव्यांग


कलेक्टर एवं जिला अधिकारी, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, दमोह तीन सप्ताह में दें जवाब

दमोह जिले के पथरिया ब्लाॅक के बेरखेड़ी गांव
का एक दिव्यांग बीते सात सालों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास के लिए अफसरों के चक्कर काट रहा है। शौचालय के लिए भी कई बार आवेदन किए हैं। इस दिव्यांग का एक पैर कटा हुआ है और उसे अधिकारियों, नेताओं के घर तक घिसटकर जाना पड़ता है, लेकिन इलेक्ट्रिªक ट्रªई साईकिल तक नहीं मिली है। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं जिला अधिकारी, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, दमोह से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही यह भी पूछा है कि – क्या दिव्यांग को प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय तथा मोटराइज्ड ट्राई साईकिल की सुविधा उपलब्ध करयी जा सकती है और नहीं तो उसमें क्या बाधा है और विलम्ब का क्या कारण है ?

9- सिक्योरिटी नहीं होने से फाॅर्मिको कंपनी के श्रमिक के पैर झुलसे


आयोग ने कहा – कलेक्टर एवं जिला श्रम अधिकारी छिंदवाड़ा तीन सप्ताह में दें जवाब

छिंदवाड़ा जिले के औद्यौगिक क्षेत्र बोरगांव
की फार्मिको कंपनी में एक मजदूर के पैर जल गये। कंपनी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने से मजदूरों की जान जोखिम में है। प्रबंधक की लापरवाही से एक युवक का हाथ जलने की घटना पहले भी हुई थी, फिर भी प्रबंधक द्वारा मजदूरों की सुरक्षा नहीं की जा रही है। कम्पनी प्रबंधक की लापरवाही का खामियाजा गरीब मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं जिला श्रम अधिकारी, छिंदवाड़ा से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
10 – हाॅस्टल से पांच किमी दूर हर दिन पैदल स्कूल जाती हैं 200 छात्राएं

आयोग ने कलेक्टर एवं डीईओ बडवानी से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

बड़वानी
जिले के एक गांव में छात्राओं के चार हाॅस्टल बने हैं, तो इससे करीब चार से पांच किमी दूर दूसरे गांव में स्कूल है। हर दिन इस हाॅस्टल करीब 200 छात्राओं को पथरीले रास्तों और मौसम की खुली मार झेलते हुये स्कूल पहुंचने का यह सफर पूरा करना पड़ता है। मामला बड़वानी जिले के पाटी विकासखण्ड पटेल फलिया बूंदी का है। छात्राओं का स्कूल पटेल फलिया से चार किमी दूर आंवली में है, तो हाॅस्टल बूंदी में है। जिसके चलते छात्राओं को पांच किमी का सफर तय करना पड़ता है। छात्राओं की इस परेशानी को देखते हुये हाॅस्टल अधीक्षिका से लेकर गांव के सरपंच तक ने वरिष्ठ अफसरों और जनप्रतिनिधियों को आवेदन देकर सुविधा की मांग की है। लेकिन अफसोस कि छात्राओं की समस्या का समाधान अबतक नहीं हुआ। हाॅस्टल अधीक्षिका का कहना है कि बारिश के दिनों में उक्त मार्ग सफर के काबिल भी नहीं रहता है, पर करें तो क्या करें, कहीं भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, बडवानी से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
समाचार शाखा भोपाल मध्यप्रदेश
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