भोपाल। वर्तमान में राजनीति भी क्रिकेट की तरह ही अनिश्चितताओं का खेल होती जा रही है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मध्यप्रदेश में ओबीसी वोटबैंक है जब राजनीतिक दलों ने सियासी फायदे के लिए जातीय उभार देना शुरू किया था तब उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होगा यही जातियों का खेल एक दिन जी का जंजाल बन जाएगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार भले ही रिव्यू पिटिशन की बात कर रही है लेकिन दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह से कहा है कि हम महा विजय के लिए तैयार हैं संभावना यही है कि अब कभी भी प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरी निकाय के चुनाव की घोषणा हो सकती है।
दरअसल राज्य निर्वाचन आयोग ने जिस तरह से स्थानीय निकाय के चुनाव की तैयारियां पूर्ण करने की बात की है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पंचायत और निकाय चुनाव पूर्व को आने का पाप कांग्रेस ने किया है। भारतीय जनता पार्टी की तैयारी पूरी हो चुकी थी हम लोग तो मैदान में जा रहे थे लेकिन सुनिश्चित हार के डर से कांग्रेस को चली गई और इतना बड़ा महापाप किया।
किसके कारण ओबीसी वर्ग का आरक्षण ही रुक गया। हमने अदालत में भी इस बात के लिए पूरी ईमानदारी से प्रयास किए कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव समाज के सभी वर्गों के साथ अन्याय ना हो। यह हमारी पार्टी का निर्णय है हमारी पार्टी पंचायतों निकाय चुनाव में ओबीसी को 27ः टिकट देगी और हर वर्ग के साथ न्याय करते हुए महा विजय का इतिहास रचने के लिए कार्यकर्ता आगे बढ़े भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी ओबीसी वर्ग को उसके राजनीतिक अधिकार मैंने इस दिशा में भाजपा की प्रतिबद्धता को दोहराया है। ऐसे में अब इस बात की संभावनाएं बढ़ गई है कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरी निकाय चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है।
बहरहालए पंचायती राज चुनाव और नगरीय निकाय के चुनाव में प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में ओबीसी वर्ग को टिकट देने की बात कही है। कांग्रेस में 27ः और भाजपा ने 27ः से भी अधिक टिकट देने की घोषणा की है। इसके पहले दोनों ही दल कभी ना कभी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग की नाराजगी का नुकसान झेल चुके हैं।
अब पिछड़ा वर्ग की नाराजगी से बचने के लिए दोनों ही दल अपने.अपने दावे और तर्क जनता मीडिया और कोर्ट के सामने रख चुके हैं लेकिन इसके बावजूद बगैर ओबीसी आरक्षण के ही पंचायती राज और नगरी निकाय के चुनाव होने की संभावना बढ़ गई है। दोनों ही दलों के रणनीतिकार इस झमेले से बाहर कैसे निकले इसके लिए मंथन करने में जुटे हुए हैं जबकि ग्वालियर में ओबीसी संगठन में प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है और प्रदेश में अन्य जगह भी प्रदर्शन करने और 21 मई को मध्य प्रदेश बंद की घोषणा की है। इससे सियासी घमासान और भी बढ़ सकता है और अब जातियों के जंजाल में प्रदेश की सियासत गर्मा रही है।
कुल मिलाकर दोनों ही राजनीतिक दलों ने एक तरफ जहां ओबीसी के पक्ष में खड़े होने की रणनीति अपनाई है तो वहीं दूसरी ओर बगैर ओबीसी आरक्षण के ही होने वाले चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी है।
देवदत्त दुबे , भोपाल – मध्यप्रदेश
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