प्रशासन

मच्छु का दर्द आकाश की तरह

अपने प्रिय भतीजे आकाश की आकस्मिक मौत का दुःख अभी टीस की तरह चुभ ही रहा था कि गुजरात की मच्छु नदी का आर्तनाद सुनकर मैं सन्न रह गया।काल ने एक वेगवती नदी की गोद अस्सी से ज्यादा लाशों से भर दी।अब नदी न रो पा रही है, और न बह पा रही है। देश में व्यवस्था की तरह सब कुछ अविश्वसनीय हो गया है। गुजरात के मोरबी में रविवार शाम केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए। हादसे के बाद 78 से ज्यादा लोगों की लाशें देर रात तक बाहर निकाली गईं। अधिकारियों ने बताया कि 70 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं, वहीं 100 लोग अब भी लापता हैं। मृतकों की तादाद बढ़ने की आशंका है। जो ब्रिज टूटा वो 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और दो साल तक बंद रहा था। हाल में 2 करोड़ रुपये की लागत से इसकी मरम्मत का काम हुआ था। दीपावली के एक दिन बाद ही 25 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए फिर से खोला गया था। अधिकारियों ने कहा कि जिस समय हादसा हुआ, उस समय पुल के ऊपर 400 से 500 लोग खड़े थे। जबकि पुल की क्षमता 100 लोगों की है।

इस हादसे में मारे गए लोग आकाश दीक्षित की तरह कर्क रोग से ग्रस्त नहीं थे। चित्रगुप्त की फेहरिस्त में भी शायद उनका नाम नहीं था। यमराज को भी इस हादसे की कोई भनक नहीं थी। मरने वाले बेगुनाह थे उनका कोई गुनाह यदि कुछ था तो सिर्फ इतना कि उन्होंने सरकार पर भरोसा किया। जबकि सरकार कहीं की भी हो, भरोसे की नहीं रही। सरकारें खुद भगवान के भरोसे चल रही है। मोरवी के हादसे से माननीय प्रधानमंत्री जी का दुखी होना स्वाभाविक है।जब कार से कुचलकर कोई पिल्ला मरता है तब भी वे दुखी होते ही हैं न ! प्रधानमंत्री जी से मोरवी का दुःख देखा नहीं जाता, अन्यथा अयोध्या में पांच दीपक जलाने के लिए सजधज कर जाने वाले प्रधानमंत्री मोरवी न पहुंच जाते, आखिर हादसा उनके गृहराज्य में हुआ है? दरअसल प्रधानमंत्री जी अब मच्छु के नहीं गंगा के बेटे हैं।गंगा बड़ी नदी है।मच्छु नदी से ज्यादा बड़ी। गंगा में तो लाशें तैरती ही रहती हैं ।गंगा के बेटे लाशों से दृवित नहीं होते । प्रधानमंत्री जी और उनके जोड़ीदार अमित शाह इस हादसे के लिए राज्य के मुख्यमंत्री का इस्तीफा भी तो नहीं करा सकते, आखिर कितने मुख्यमंत्री बदलें? फिर जब सूबे में विधानसभा का चुनाव सिर पर हो तो मुख्यमंत्री की बलि देना समझदारी का काम नहीं है।

मच्छु पर बना पुल तो 140 साल पुराना था,बेचारा जीर्णोद्धार के बाद गिरा, भाजपा शासित मप्र में तो 350 करोड़ की लागत से बना नया पुल बह गया, कुछ नहीं हुआ क्योंकि इस पुल ने मच्छु पर बने पुल की तरह बेगुनाहों की जान नहीं ली। दो- चार इंजीनियरों का निलंबन ही हुआ, क्योंकि पुल का बजट तो पार्टी कार्यकर्ताओं की जेब में चला गया। देश में जितने भी हादसे होते हैं उनके लिए मानवीय गलतियां होती हैं, किंतु किसी हादसे के लिए कभी भी कोई जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। किसी पर आरोप सिद्ध हो भी जाएं तो उसे भोपाल गैस काण्ड के आरोपी एंडरसन की तरह सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया जाता है। हादसों के लिए भगवान को जिम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता क्योंकि वे भी अब सरकार से कमीशन ने कोरीडोर और लोक लेने लगे हैं।खाप कल्पना कर सकते हैं कि जिस देश में भगवान को भ्रष्टाचार का हिस्सा दिया जाता हो, वहां भला हादसे कैसे रुक सकतें हैं? मोरवी का हादसा हो या कोई दूसरा हादसा, सरकार को अपना दुख जताते के लिए ट्विटर है, पीड़ितों को रात पहुंचाने के लिए राजकोष में। इसलिए बेफिक्र रहिए। हादसों को लेकर दृवित होने की जरूरत नहीं है।

 

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश  । 

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बागेश्वर धाम की हिन्दू एकता पदयात्रा आज से प्रारम्भ

जहां देश में एक तरफ जातिगत जनगणना को लेकर वार पलटवार का दौर चल रहा…

3 hours ago

ग्राम बोधिपुर में सिद्ध स्थान राजा बाबा के यहां वार्षिक मढ़ई महोत्सव का आयोजन

देवरीकला। वीरान ग्राम बोधिपुर में सिद्ध स्थान राजा बाबा के यहां वार्षिक मढ़ई महोत्सव का…

21 hours ago

कमलनाथ की हार और कुमार विश्वास का तंज

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीते साल मध्यप्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े नेता रहे कमलनाथ…

1 day ago

सागर – ई-चालान का भुगतान न करने वाले 997 वाहन चालकों पर की जाएगी सख्त कार्यवाही

यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर पांच या पांच से अधिक ई-चालान जिन वाहनों पर…

2 days ago

कलेक्टर ने की लापरवाह शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई

शिक्षा, स्वास्थ्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी - कलेक्टर संदीप जी आर   डीईओ ,डीपीसी,…

2 days ago

धीरेंद्र शास्त्री से डर गई कांग्रेस या वजह कुछ और….!

धीरेंद्र शास्त्री से डर गई कांग्रेस या वजह कुछ और....! - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री…

3 days ago