हमारा इतिहास

हमारा इतिहास : किरमिच ( करेंच ) से युवक कांग्रेस अध्यक्ष का स्वागत

कांग्रेस में जो कुछ भी हो कम है पर एक बात कभी नहीं हो सकती वह कार्यकर्ताओं और नेताओं में अनुशासन। मध्यप्रदेश में देश की सबसे पुरानी पार्टी को ज्यादा ही अराजक और फ्री  फॉर आल की पद्धति पर चलने वाली है । सामान्य आदमी का काग्रेस से मोहभंग तब हो जाता है जब उसका कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओं से पाला पड़ता है कांग्रेस के कार्यकर्ता समूह में ऐसा आचरण करते हैं।  मानो  वह किसी आक्रांता की सेना के हिस्सा हों । वह  सेना  जो कदापि अपने सेनापति के नियंत्रण में भी नहीं रहती।  इस तरह की अराजक परिस्थितियों को नियंत्रित करने की तत्कालीन युवक कांग्रेस अध्यक्ष मीनाक्षी नटराजन को सूझी ।
                        मीनाक्षी उज्जैन के नागदा में पली-बढ़ी तमिल  परिवार की बेटी है उनके पिता बिरला की कपड़ा फैक्ट्री में अधिकारी थे मीनाक्षी स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही अच्छी वक्ता है बायोकेमिस्ट्री और विधि की विद्यार्थी रही और रतलाम और इंदौर में पड़ी है एवं मेधावी होने के कारण भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन में अवसर मिला और प्रदेश अध्यक्ष बने उसके बाद 2002 में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाई गई अध्यक्ष बनते ही उन्होंने युवक कांग्रेस में अनुशासन लाने की कवायद शुरू की नेताओं के नाम की नारेबाजी ,समारोह में स्वागत सत्कार के लिए फूल और अध्यक्ष से बिना समय लिए ही मिलने की परंपरा बंद कर दी। नई कार्यशैली थी तो बहुत अच्छी पर उद्दंड युवक कांग्रेसियों को बिल्कुल पसंद नहीं आई .
                 नटराजन कांग्रेस के जिलेवार सम्मेलन की शुरुआत में जब शाजापुर गयी तो कुपित  युवा कांग्रेसियों ने स्वागत सत्कार की सामग्री में खुजली करने वाली वनौषधि  किरमिच या करेज मिला दी बेचारी नटराजन कार्यक्रम तो दूर पूरे समय किरमिच के दुष्प्रभाव से निपटने में लगी रही अंततः उन्हें  अस्पताल की शरण लेनी पड़ी। नटराजन ने इस मामले को तूल देने के बजाय गुपचुप अपना काम जारी रखा।  कार्यकर्ता भाव एवं सादगी पूर्ण जीवन शैली कर्मठ आचरण के कारण मीनाक्षी नटराजन जल्दी ही कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी की नजर में आ गई दिल्ली में कांग्रेस के मुख्यालय में नटराजन ने धीरे-धीरे अपनी पैठ बना ली और गांधी परिवार की विश्वस्त बन गई अपनी मेहनत और कार्यकर्ताओं से संपर्क के कारण प्रतिभाशाली नटराजन से प्रदेश के कांग्रेसी नेता बहुत भय  खाते हैं उनके बीच आम धारणा है कि वह कभी भी प्रदेश में नेतृत्व देने के लिए ऊपर से आ सकती हैं मीनाक्षी को 2005 में नेहरू युवा केंद्र का उपाध्यक्ष बनाया गया कालांतर में मीनाक्षी नटराजन 2009 में मंदसौर से लोकसभा के सांसद चुनी गई उन्होंने आठ बार के अजेय जनसंघ एवं भाजपा सांसद लक्ष्मी नारायण पांडे को पराजित किया।  जब सोनिया गांधी ने लाभ के पद मामले में इस्तीफा दिया तब उन्होंने भी उनके समर्थन में इस्तीफा दे दिया था लेकिन इस्तीफा सांकेतिक था । लोकसभा में अपने कार्यकाल के दौरान वो विवादों में तब आयीं जब उन्होंने मीडिया पर नियंत्रण के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत किया।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” ( भाजपा युग ) से साभार ।

वीडियो समाचारों के लिये कृप्या हमारे चैनल की लिंक पर क्लिक कर हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें , धन्यवाद।

https://www.youtube.com/c/BharatbhvhTV

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

14 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

3 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

5 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

6 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago