वार्षिक सम्मेलन और आम सभा में राज्य बिजली कंपनियों से नाराज पेंशनरों का सांकेतिक मौन प्रदर्शन भी किया ।
घोषणा सागर से : राज्य भर में बिजली पेंशनर्स बिजली यूनाइटेड फोरम के साथ मिलकर ज्यादती के खिलाफ प्रांतव्यापी एकजुट आंदोलन करेंगे ।
सागर – मकरोनिया रोड स्थित वृदांवन गार्डन में सम्भाग भर के सागर, बीना, रहली,दमोह, देवरी,छतरपुर, से आये सैकड़ों बिजली पेंशनरों का मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल पेंशनर्स एसोसिएशन के बैनर तले विशाल आम सभा और वार्षिक सम्मेलन आयोजित हुआ । इस अवसर पर एसोसिएशन के सचिव के.एल.कटारिया ने एसोसिएशन की वार्षिक गतिविधियों और आय-व्यय पर प्रतिवेदन वाचन किये । जो सभा के द्वारा ध्वनिमत से अनुमोदित किये गए ।आयोजित आम सभा में सम्भाग के विभिन्न स्थानों से सैकड़ों की संख्या में बिजली पेंशनर्स के साथ यूनाइटेड फोरम फ़ॉर एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स,भोपाल से प्रन्तीय संयोजक इंजी.व्ही. के.एस. परिहार और राज्य शासन पेंशनर्स एसोसिएशन के बृजबिहारी उपाध्याय, हरिओम पांडेय,अरविंद चौबे विशेष रूप से उपस्थित हुए । सागर क्षेत्र एसोसिएशन के अध्यक्ष ए.के. पांडेय ने अपने सम्बोधन में सुझाव देकर कहा कि विद्युत वितरण कंपनियां यदि चाहें तो विद्युत वितरण केंद्र और संभाग, का कार्य भार प्रयोग के तौर पर सेवानिवृत्त बिजली अधिकारी-कर्मचारियों को सौंपने पर विचार करे । श्री पांडेय ने अपने अनुभव से बताया कि ये प्रयोग सफल होगा और सौंपे गए वितरण केंद्र और संभाग घाटे से उबर सकेंगे । उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों का घाटा बनावटी है । बिजली कंपनियां पेंशनर्स के नाम से जमा राशियाँ पेंशन फंड में जमा ना कर गंभीर अनियमितता कर रही हैं।
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एसोसिएशन के अशोक गोपीचंद रायकवार ने कहा कि ये कितनी विडम्बना पूर्ण स्थिति है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों के आई.ए.एस. प्रबंध संचालक गण अपने वेतन के साथ 38% महंगाई भत्ता ले रहे हैं, पर अपने पेंशनर्स को 22% महंगाई राहत दिला पा रहे हैं । यही नहीं बिजली पेंशनर्स को समय पर पेंशन भुगतान की ठोस व्यवस्था भी नहीं कर पा रहे हैं । राज्य पेंशनर्स एसोसिएशन के सम्भागीय अध्यक्ष बृज बिहारी उपाध्याय और जिला अध्यक्ष हरिओम पांडेय ने अपने सम्बोधनों में कहा कि बिजली पेंशनरों ने हमेशा राज्य पेंशनरों का साथ दिया है और राज्य पेंशनर्स भी बिजली पेंशनरों के साथ हर कदम पर साथ खड़े हुए हैं ।वक्ताओं में आर.आर.पाराशर ने कहा कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा दी गई व्यवस्था और जारी टैरिफ और न्यायिक आदेशों के बावजूद राज्य की बिजली कंपनियां पेंशनरों के फण्ड में राशियाँ जमा कराने में विफल रही हैं। इस संवैधानिक उल्लंघन के लिए राज्य की बिजली सब्सिडी योजना की राशि बिजली कंपनियों को नहीं दिये जाने को जिम्मेदार ठहरा रही हैं । जबकि इसके लिए पात्र लाभार्थी बिजली पेंशनर्स किसी भी तरह जवाबदेह नहीं हैं ।अपने वक्तव्य में रामलखन श्रीवास्तव ने राज्य शासन पर तंज करते हुए कहा-जुगनू ही दीवाने निकले,अंधियारा झुठलाने निकले, जिसको पकड़ा हाथ समझ कर,वो केवल दस्ताने निकले । वक्ता सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सी.एल. स्वर्णकार ने अपने सम्बोधन में संकेतों में राज्य शासन को चेताते हुए कहा-मरी खाल की सांस से लोह भस्म हो जाए ।
आम सभा में डॉ. प्रेम श्रीवास्तव, बीना, एस. एन.सिंह,दमोह, सुरेश बाबू खरे,छतरपुर,डी. डी. तिवारी, के.सी.जैन, दमोह,सहित सभी वक्ताओं ने बिजली पेंशनरों को तनाव और दबाव मुक्त जीवन और सामाजिक न्याय दिलाये की मांग की और प्रदेश के निर्माण में जीवन खपाने वाले अन्याय के शिकार बिजली पेंशनर्स को पेंशन की गारंटी, ट्रेजरी से भुगतान और समय पर महंगाई राहत दिलाये जाने की मांग रखी और जमकर नारेबाजी की गई । श्री व्ही. के.एस. परिहार ने अपने वक्तव्य में बताया कि केवल मध्यप्रदेश में बिजली पेंशनर्स के लिए स्थाई व्यवस्था नहीं की गई है । इसके लिए 52 हजार करोड़ राशि की दरकार है । राजस्थान में बिजली कर्मचारियों की पेंशन के लिए 15 पैसे प्रति यूनिट के टैरिफ प्रावधान किए गए हैं । उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में के बिजली पेंशनर्स की पेंशन भुगतान का दायित्व राज्य ट्रेजरी को सौंपा जा चुका है । मध्य प्रदेश में भी यही व्यवस्था कराये जाने के लिए एकजुट संघर्ष की जरूरत भी है, जो कि किया भी जाएगा । बिजली कर्मचारियों और पेंशनरों की समस्याओं का निराकरण ना होने पर जनवरी से यूनाइटेड फोरम प्रांतव्यापी तीव्र और प्रभावी कार्य बहिष्कार आंदोलन करेंगे । हम निवेदन और आवेदन कर चुके हैं अब आंदोलन के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं है । बिजली वितरण कम्पनियाँ भरपूर राजस्व वसूली कर रही हैं । बताया जा रहा आर्थिक अभाव कृत्रिम है । बिजली पेंशनरों के लिए राज्य द्वारा बनाये गए नियमों का अपालन राज्य ही कर रहा है । किसी बड़े आन्दोलन की प्रतीक्षा की जा रही है , जो किया भी जायेगा और उसमें हमारी हमारी विजय निश्चित है । उन्होंने कहा कि यूनाइटेड फोरम का फैसला है कि की अब आगे बात प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री महोदय से ही होगी क्योंकि उनके अधीनस्थ स्तर पर बात करने के कोई नतीजे नहीं मिले हैं ।
इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को बिजली पेंशनर्स की ओर से भेजे जाने के लिए तैयार ज्ञापनों का वाचन किया गया । जिनमें पूर्व ज्ञापनों की मांगों को दोहराया गया है ।
सम्मेलन के साथ आयोजित बैठक में बिजली पेंशनरों द्वारा 17 दिसम्बर 1982 को सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के द्वारा पेंशनरों के हक़ में दिए गए ऐतिहासिक फैसले की वर्षगांठ को इस साल पेंशनर्स दिवस के रूप में मनाने का निर्णय हुआ । इसके अलावा बिजली पेंशनरों की मांगें पूरी होने तक मौन सत्याग्रह और क्रमिक अनशन आयोजित करने के प्रस्तावों पर सहमति हुई । आयोजन में जहाँ एक ओर सरकार और बिजली कंपनियों की बिजली पेंशनरों की उपेक्षा के विरोध में मौन धारण रखा गया । भविष्य में मृत संवेदनाओं को लेकर पिंडदान और तर्पण करने की बात भी रखी गई ।सम्मेलन संचालन अरविंद जैन ने किया।
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संवाददाता सागर मध्यप्रदेश
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Bel article, je l'ai partagé avec mes amis.