केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के प्रमुख चुनावी रणनीतिकार माने जाने वाले अमित शाह का राजधानी भोपाल का एक दिवसीय दौरा शहंशाही अंदाज में संपन्न हुआ उनके स्वागत में सत्ता और संगठन ने जहां पलक पावडे बिछाए वही शाह ने भी पीठ थपथपाई और शाह जहां जाते हैं वहां विपक्षी दल में भी खलबली मच जाती है, प्रदेश में भी कांग्रेस के और विधायकों की पार्टी छोड़ने की खबरें जोर पकड़ने लगी।
दरअसल भाजपा में अमित शाह की क्या अहमियत है यह एक बार फिर भोपाल दौरे ने सिद्ध कर दिया इसके पहले जब शाह 3 दिन राजधानी भोपाल में थे तब वे राष्ट्रीय अध्यक्ष थे लेकिन इस बार वे अन्य मंत्रियों की तरह केंद्रीय गृह मंत्री हैं लेकिन उन की धमक भाजपा के सर्वे सर्वा के रूप में बनी हुई है क्योंकि वे पार्टी के ऐसे रणनीतिकार माने जाते हैं जहां जहां मुश्किल होती है वहां वहां वे सरकार बनाते हैं और प्रदेश में 2018 में भाजपा की सरकार ना बन पाने के कारण पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश के प्रति तभी से सतर्क और सावधान हैं । हालांकि डेढ़ साल में ही कुछ ऐसा ताना.बाना बुना गया कि कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा ने अपनी सरकार प्रदेश बना ली और अब 2023 के लिए पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती शायद इसी कारण समय से पहले प्रदेश की चुनावी रणनीति की कमान अमित शाह ने अपने हाथों में ले ली शुक्रवार को उनके दौरे मैं जिस तरह से सत्ता और संगठन से जुड़े तमाम नेताओं ने स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी उससे एक बार फिर भाजपा में अमित शाह की अहमियत देखी गईप्
बहरहाल कांग्रेश जब एकजुटता दिखा रही जब प्रदेश के चुनाव में चुनावी रणनीति का प्रशांत किशोर की सेवाएं लेने की चर्चा कर रही और एक तरह से यह संदेश दे रही है कि 2023 का चुनाव वह 2018 से भी अधिक ताकत और योजना के साथ लड़ेगी उसी समय भाजपा के रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राजधानी दौरे ने कांग्रेस के गुब्बारे में छेद कर दिया क्योंकि पूरे समय राजधानी भोपाल में आगामी दिनों कुछ कांग्रेसी विधायकों के पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने की चर्चा चलती रहे खासकर जब नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि जिस दिन भाजपा अपने दरवाजे खोल देगी उस दिन कांग्रेश खाली हो जाएगी कांग्रेस के लगभग आधा दर्जन विधायक भाजपा ज्वाइन करने के लिए भाजपा के संपर्क में है इसके बाद तुरंत ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान आ गया जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा के पास पैसा पुलिस और प्रशासन है जनता नहीं है यह लोग ऐसे ही बातें करते हैं।
कुल मिलाकर ऐसे ही भाजपा की रणनीति कहें या इत्तेफाक अमित शाह के दौरे के समय ही कांग्रेस में बगावत की चर्चाएं चली अमित शाह का ट्रैक रिकार्ड ही कुछ ऐसा है कि जहां जहां वह जाते हैं वहां विपक्षी दल में खलबली मच जाती है कई जगह उनके दौरे के बाद सत्ता परिवर्तन जैसे बड़े खेल भी हुए भाजपा ने भी अपने धाकड़ नेता अमित शाह की शान शौकत बढ़ाने वाले स्वागत कार्यक्रम में जहां कोई कसर नहीं छोड़ी वहीं जंबूरी मैदान में तेंदूपत्ता संग्राहकों की बोनस वितरण में भारी भीड़ जमा करके और आदिवासी वर्ग के हित में घोषणाएं करके शाह का शहंशाही अंदाज़ बरकरार रखा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष कार्यकर्ता की तरह शाह के आगे पीछे होते रहे वही केंद्रीय मंत्रियों और प्रदेश के मंत्रियों ने स्वागत सत्कार में और आदर सत्कार में कोई कमी नहीं रहने दी तभी शाह के इस दौरे को एक बार फिर शहंशाही दौरा कहा जा रहा है।
भोपाल- देवदत्त दुबे
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