विशेष - बात

राकेश अचल : तजुर्बे को स्याही में डुबोने का हुनर

आदरणीय श्री राकेश अचल जी की जीवन के अनुभवों के प्रति जीवंत दृष्टिकोण को अपनी कलम की स्याही में घोलकर कागज पर उतारने की क्षमताओं के सामने उनके विषय में कुछ भी लिखना लगभग हास्यास्पद ही होगा । राकेश अचल जी ने पत्रकारिता में लगभग पचास दशकों का समय गुजारा है यह महत्वपूर्ण नहीं है एंसे कई दिग्गज आज भी तहसील ,जिले ,प्रदेश और देश स्तर पर मौजूद है लेकिन अपने ज्ञान को वैश्विक स्तर पर ले जाकर जानकारियों को अपने पाठकों तक पहंुचाना यह बिल्कुल अदभुत है और तीन पीढियों को अपने ज्ञान और पत्रकारीय अनुभव में बांधकर रखना आज सोशल मीडिया के युग में भी उनके लेखों को उतना ही प्राशंगिक बनाता है जितना पांच दशक पहले प्रिंट मीडिया के दौर में बनाता होगा । आज के दौर में जहां आम जनमानस में भी पत्रकारिता और पत्रकारों के प्रति प्रादुर्भाव का भाव आ गया है, मीडिया में नेरेटिव बनाने का दौर है और दुर्भाग्य से गोदी मीडया जैसे शब्द आम जनता की जुबान पर छाये है भारतीय पत्रकारिता इतिहास के एंसे कठिन समय में  कुछ कलमदारों के निर्भीक अनुभव और उत्साही शब्द ही भारतीय पत्रकारिता को जीवंत होने का अनुभव कराते है जिनमें राकेश अचल जी के आलेखों का अपना वजूद कायम है।और इस वजूद को कायम रखना कितना कठिन है आप राकेश जी की इन पंक्तियों से समझ सकते है कि “तटस्थता एक नंगी तलवार है , मै इसी पर रोज चलता हूँ , लहू.लुहान होता हूँ” 
मैने राकेश अचल जी के लेखों को पढना बहुत बाद में शुरू किया लेकिन प्रत्येक दिन एक नये विषय में दी गई जानकारियां और विचार अनुभवी दृष्टिकोण के साथ हमारे अवचेतन में समाकर जिस प्रकार हमारी तार्किक बुद्धि को जगाने का कार्य करते है वह असाधारण है । राजनीति , अर्थशास्त्र , जीवनशैली , संगीत साहित्य शिक्षा , खेल जगत और एंसे कितने ही विषयों पर आपके लेख पाठकों के लिये और युवा पत्रकारों के लिये प्रेरणा देने वाले होते है। आदरणीय राकेश अचल जी के लेखन शैली और ज्ञान का सानिध्य होना भी मेरे पत्रकारीय जीवन में इश्वर कृपा के समान ही मानता हूं आपका धन्यवाद आदरणीय सर।

 

उसने तर्जुबों को यूं डुबोया है स्याही में
कलम के छूते ही कागज में जान आ जाये।
माना वक्त के फेर नहीं आते लौटकर लेकिन
दीद होते ही वक्त की यादें  तमाम आ जाये।

 

अभिषेक तिवारी ।

संपादक भारतभवः 

 

 

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

23 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

3 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

5 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

6 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago