लोकसभा चुनाव 2024 के आम चुनावों को देश के महत्वपूर्ण चुनावों में से एक माना जायेगा इसके कई कारण है यदि सिलसिलेवार देखा जाय तो लोकतंत्र में इकतरफावाद होना सदैव स्थिर नहीं हो सकता फिर चाहे वह व्यक्ति का हो, राजनैतिक दल का हो या फिर विचारधारा का ही क्यों न हो । 2014 और 2019 के आम चुनावो में प्रचंड जीत और मोदी जैसे करिश्माई नेता के दम पर चुनावों से पहले भाजपा पूरे आत्मविश्वास में थी कि वह 2019 के प्रदर्शन को हर हाल में दोहरा पायेगी । 22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन के साथ आम जनमानस में भी इन चुनावों को लेकर उतना उत्साह नहीं रह गया था । फिर भाजपा से चुनावी मुकाबले के लिये तैयार इंडिया गठबंधन के प्रमुख सहयोगी नितिश कुमार और ममता बर्नजी के अलग होने से चुनावों में मुकाबले को लेकर नीरसता और बढी लेकिन विपक्ष ने इन झटको के बाद भी जिस तरह से सड़क और मंच पर भाजपा से मुकाबला शुरू किया तो दो चरणो के बाद ही इन चुनावों में जान आ गई और इसके सबसे बड़े नायक रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी जो पिछले डेढ दशक से भाजपा और मीडिया द्धारा बनाई गई अपनी पप्पू इमेज से लड़ रहे थे लेकिन इन चुनावों में राहुल की भाषा शैली और हाव भाव ने न सिर्फ भाजपा को बल्कि जनता को भी अचंभित कर दिया । राहुल ने न सिर्फ रणनैतिक स्तर पर उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में शानदार तरीके से चुनाव लड़ा बल्कि आम जनता के साथ संवाद स्थापित करने की कला भी उनको आ गई है चुनाव में खटाखट और टकटक की चर्चा सबसे अधिक रही ।
यही कारण है कि आज विपक्ष में राहुल गाँधी बड़े नेता के रूप में उभरे है और छ महीने पहले तक राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने या न होने को लेकर जिन दलों में असमंजस बना रहता था वे खुलकर राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोषा कर रहे है । इन आम चुनावों में सबसे बड़ी संजीवनी कांग्रेस पार्टी को मिली है पिछले दो चुनाव में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनने से भी चूकने वाली कांग्रेस ने अपनी सीटों को लगभग दोगुना किया है । और अपने वोटबैंक को बढाया है बहुत हद तक कांग्रेस का कोर वोटर एक बार फिर कांग्रेस के नेतृत्व में विश्वास दिखाने लगा है और इन सबके पीछे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मेहनत है जिन्होने कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को अब लगभग दफन कर दिया है और यदि राहुल संसद में विपक्ष के नेता बनते है तो यह कांग्रेस विपक्ष और खुद राहुल गांघी के लिये तराशने वाला निर्णय होगा।
अभिषेक तिवारी
संपादक भारतभवः
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