कलमदार

ईरान में हिजाब पर जन-आक्रोश

ईरान में हिजाब के मामले ने जबर्दस्त तूल पकड़ लिया है। पिछले दो माह में 400 लोग मारे गए हैं, जिनमें 58 बच्चे भी हैं। ईरान के गांव-गांव और शहर-शहर में आजकल वैसे ही हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जैसे कि अब से लगभग 50 साल पहले शंहशाहे-ईरान के खिलाफ होते थे। इसके कारण तो कई हैं लेकिन यह मामला इसलिए भड़क उठा है कि 16 सितंबर को एक मासा अमीनी नामक युवती की जेल में मौत हो गई। उसे कुछ दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में उसकी बुरी तरह से पिटाई हुई थी। उसका दोष सिर्फ इतना था कि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था। हिजाब नहीं पहनने के कारण पहले भी कई ईरानी स्त्रियों को बेइज्जती और सजा भुगतनी पड़ी है। कई युवतियों ने तो टीवी चैनलों पर माफी मांग कर अपनी जान बचाई है। यह जन-आक्रोश तीव्रतर रूप धारण करता जा रहा है। अब लोग न तो आयतुल्लाहों के फरमानों को मान रहे हैं और न ही राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के धमकियों की परवाह कर रहे हैं।

ईरानी फौज के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने पिछले दिनों एक बयान में कहा है कि यह जन-आक्रोश स्वाभाविक नहीं है। ईरान की जनता पक्की इस्लामी है। वह हिजाब को बेहद जरुरी मानती है लेकिन अमेरिका, सउदी अरब, यू.ए.ई. और इस्राइल जैसे ईरान-विरोधी देशों ने ईरानी जनता को भड़का दिया है। लेकिन असलियत तो यह है कि ईरान में इस्लामी राज्य शुद्ध डंडे के जोर पर चल रहा है। 80 प्रतिशत से भी ज्यादा जनता वहाँ हिजाब के विरुद्ध है। पिछले 50-55 साल में मुझे ईरान में कई बार रहकर पढ़ने और पढ़ाने का मौका मिला है। शहंशाह के ज़माने में ईरान की महिलाएं अपनी वेशभूषा और व्यवहार में यूरोपीय महिलाओं से भी अधिक आधुनिक लगती थीं लेकिन ईरान के दर्जनों गांवों में मैं तब भी हिजाब, नकाब और बुर्काधारी महिलाओं को जरुर देखता था। जब से आयतुल्लाह खुमैनी का शासन (1979) ईरान में आया है, ईरानी महिलाओं का दम घुट रहा है।

पहले भी दो बार इस तथाकथित इस्लामी शासन के खिलाफ बगावत का माहौल बना था लेकिन अमीनी का यह मामला इतना तूल पकड़ लेगा, इसका किसी को अंदाज भी नहीं था। कल-परसों तो फुटबाल के विश्व कप टुर्नामेंट में ईरान की टीम ने अपने राष्ट्रगीत को गाने से भी मना कर दिया था। ईरानी लोग अपनी इस टीम को राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक मानते हैं। हिजाब के विरोध ने आर्थिक कठिनाइयों में फंसे ईरान के कोढ़ में खाज का काम किया है। इस्लामपरस्त लोग भी खुले-आम कह रहे हैं कि कुरान शरीफ में कहीं भी हिजाब को औरतों के लिए अनिवार्य नहीं बताया गया है। भारत में चाहे हिजाब के लिए हमारी कुछ मुस्लिम बहनें काफी शोर मचा रही हैं लेकिन यूरोप के कई देशों ने तो उस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

आलेख श्री वेद प्रताप वैदिक जी, वरिष्ठ पत्रकार ,नई दिल्ली।

साभार राष्ट्रीय दैनिक  नया इंडिया  समाचार पत्र  ।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

महाराष्ट्र चुनाव में लाडकी बहना योजना बनी गेमचेंजर

महाराष्ट्र चुनाव परिणाम से पूरी भाजपा उत्शहित है तमाम नारों और वादों के बीच भाजपा…

3 hours ago

सिद्धू ने बताया कैंसर को हराने वाला फार्मूला

नवजोत सिंह सिद्धू ने एक प्रेस वार्ता का अयोजन कर अपनी पत्नि की कैंसर से…

2 days ago

एल डी सी ओपन टू आल और पुरानी पेंशन लेकर रहेगा वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ

दिनांक 21.11.2024 को रेलवे स्टेशन सागर में वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ शाखा सागर द्वारा…

2 days ago

सागर गल्ला मंडी में शराब दुकान से किसानों को अनहोनी की आशंका

मंडी समिति ने शराब दुकान खाली कराने के लिए दुकानदार को लिखा पत्र; अब कार्यवाही…

2 days ago

इक धुंद से आना है ,इक धुंद में जाना है

महाराष्ट्र और झारखण्ड के चुनाव परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे देश को अचानक गौतम अडानी…

2 days ago

बागेश्वर धाम की हिन्दू एकता पदयात्रा आज से प्रारम्भ

जहां देश में एक तरफ जातिगत जनगणना को लेकर वार पलटवार का दौर चल रहा…

3 days ago